भारत द्वारा 7 मई 2025 को चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और उसके जवाब में पाकिस्तान की तीखी प्रतिक्रिया ने पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया है। इस सैन्य कार्रवाई के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच उपजे तनाव को लेकर संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और अन्य प्रमुख देशों ने गंभीर चिंता व्यक्त की है। इन देशों ने दोनों परमाणु संपन्न राष्ट्रों से संयम बरतने और मामले को बातचीत से सुलझाने की अपील की है।

 

संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने एक बयान में कहा, “दक्षिण एशिया की शांति के लिए भारत और पाकिस्तान दोनों को धैर्य और कूटनीति का रास्ता अपनाना चाहिए। सैन्य टकराव किसी के हित में नहीं है।” संयुक्त राष्ट्र ने अपने प्रतिनिधियों को दोनों देशों से संपर्क में रहने का निर्देश दिया है और आवश्यकता पड़ने पर मध्यस्थता की पेशकश भी की है।

 

अमेरिका और यूरोपीय देशों की भूमिका
अमेरिकी विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकन ने भारत और पाकिस्तान दोनों से अपील की कि वे क्षेत्रीय स्थिरता को बनाए रखें और आतंकवाद से निपटने के लिए मिलकर काम करें। अमेरिका ने यह स्पष्ट किया कि वह भारत के आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई को समझता है, लेकिन तनाव बढ़ने की स्थिति में उसे दोनों पक्षों से बात करनी होगी।


इसी प्रकार यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, और फ्रांस ने भी चिंता जताते हुए शांति और संयम की सलाह दी है। फ्रांस ने भारत के ‘आत्मरक्षा के अधिकार’ को मान्यता दी, लेकिन साथ ही पाकिस्तान से भी कहा कि वह आतंकवादियों को अपने क्षेत्र में पनाह न दे।

 

चीन की रणनीतिक चुप्पी और इशारे
चीन ने शुरू में संयमित बयान जारी करते हुए सिर्फ इतना कहा कि “दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता बनाए रखना सभी के हित में है।” लेकिन उसके सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने भारत पर ‘आक्रामक रवैये’ का आरोप लगाया, जिससे स्पष्ट है कि चीन पाकिस्तान के पक्ष में खड़ा है, भले ही औपचारिक रूप से तटस्थता का मुखौटा पहन रहा हो।

 

रूस की संतुलित प्रतिक्रिया
रूस ने संतुलन बनाते हुए भारत के आतंकवाद विरोधी प्रयासों को उचित बताया, लेकिन पाकिस्तान से भी अपील की कि वह स्थिति को और न बिगाड़े। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि “हम भारत के साथ आतंकवाद के खिलाफ सहयोग में खड़े हैं, लेकिन दक्षिण एशिया में युद्ध की स्थिति नहीं होनी चाहिए।”

 

मध्यस्थता की पहल और भारत का स्पष्ट रुख
कुछ देशों ने भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की पेशकश की है, लेकिन भारत ने इसे विनम्रता से ठुकरा दिया है। विदेश मंत्रालय ने साफ कहा, “यह भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मामला है, और भारत आतंकवाद के मुद्दे पर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करता।”

 

निष्कर्ष:
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने जहां एक स्पष्ट सुरक्षा नीति को लागू किया है, वहीं पूरी दुनिया इस क्षेत्र में शांति बनाए रखने की अपील कर रही है। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता जायज है, लेकिन भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद के विरुद्ध उसका रुख कठोर और नीतिगत है।