पटना: जिले में लंबे समय से ज़मीन
के कागजातों की गड़बड़ियों से जूझ रहे रैयतों के लिए अब बड़ी राहत की ख़बर है। राजस्व
एवं भूमि सुधार विभाग ने राजस्व महाअभियान की शुरुआत की है, जिसके तहत उत्तराधिकार
नामांतरण, बंटवारा नामांतरण और ऑनलाइन जमाबंदी में दर्ज त्रुटियों को दूर किया जाएगा।
यह अभियान 16 अगस्त से शुरू होकर 30 अक्टूबर तक चलेगा।
वर्षों से परेशान
रैयतों की बड़ी समस्या
जिले में कुल 15,04,383
जमाबंदी दर्ज है। इनमें से अधिकांश में त्रुटियाँ होने की वजह से रैयत सालों से
परेशान थे। डिजिटाइजेशन के दौरान कई नाम ग़लत लिख दिए गए, कहीं खाता और खेसरा संख्या
बदल गई तो कहीं रकवा (भूमि क्षेत्रफल) में गड़बड़ी हो गई। सबसे बड़ी समस्या मृत पूर्वजों
के नाम दर्ज ज़मीन को वारिसों के नाम ट्रांसफर न होना रही।
ऐसे मामलों में
रैयतों को अंचल से लेकर जिला मुख्यालय तक महीनों तक चक्कर लगाने पड़ते थे। बिना बाबुओं
को ‘चढ़ावा’ दिए काम पूरे नहीं होते थे। यही वजह है कि रैयतों में नाराज़गी और असंतोष
लगातार बढ़ता जा रहा था।
सरकार का नया
प्रयास: बिना दफ़्तर के चक्कर लगाए सुधरेंगे कागज़ात
अब सरकार ने यह
प्रक्रिया सरल बनाने का दावा किया है। राजस्व महाअभियान के तहत रैयतों को सिर्फ़ एक
साधारण फॉर्म भरना होगा, जिसके बाद उनकी ज़मीन उनके नाम ट्रांसफर हो जाएगी।
साथ ही कागजात में मौजूद तमाम त्रुटियों का सुधार भी कराया जा सकेगा।
अभियान के ज़िम्मेदार
अपर समाहर्ता (ADM) रवि राकेश ने बताया कि रैयतों को सरकारी दफ़्तरों के चक्कर
न लगाने पड़ें, इसके लिए प्रशासन उनके घर-घर जाकर जागरूकता फैला रहा है। उन्होंने कहा
कि अभियान शुरू होने के दो दिनों में ही 87,813 जमाबंदी की प्रति का वितरण किया
जा चुका है।
तीन चरणों में
होगा अभियान
राजस्व महाअभियान
को तीन चरणों में चलाया जा रहा है –
1.
पहला चरण (16 अगस्त से 17 सितंबर): रैयतों के आवेदन लिए जाएंगे
और जमाबंदी की जाँच होगी।
2.
दूसरा चरण (18 सितंबर से 20 सितंबर): रैयतों के घर-घर जाकर जमाबंदी
की प्रति सौंपी जाएगी।
3.
तीसरा चरण (21 सितंबर से 30 अक्टूबर): शेष त्रुटियों का सुधार, डिजिटाइजेशन
और बंटवारे की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
वंशावली और
बंटवारे के आधार पर होगा नामांतरण
ADM रवि राकेश
ने स्पष्ट किया कि यदि किसी भू-स्वामी की मृत्यु हो चुकी है, तो उनकी संपत्ति का नामांतरण
वंशावली (Family Tree) के आधार पर किया जाएगा। संयुक्त जमाबंदी के मामलों में
वारिस आपसी सहमति से बँटवारा कर सकते हैं, या फिर रजिस्टर्ड बंटवारे के दस्तावेज़ प्रस्तुत
कर अलग-अलग जमाबंदी बनवा सकते हैं।
इसके अलावा, जिन
जमाबंदियों का अब तक डिजिटाइजेशन नहीं हुआ है, उन्हें भी इस अभियान में ऑनलाइन किया
जाएगा। साथ ही, खाता, खेसरा, रकवा जैसी त्रुटियों का सुधार प्राथमिकता के आधार पर किया
जाएगा।
ज़िलेभर के
अधिकारियों को मिले निर्देश
इस महाअभियान को
सफल बनाने के लिए प्रशासन ने ज़िले के सभी 14 अंचलों के सीओ (Circle Officer),
प्रखंड नोडल पदाधिकारी, डीसीएलआर और एसडीओ को निर्देश दिए हैं
कि वे अपने-अपने क्षेत्र में रैयतों के बीच जमाबंदी की प्रति का वितरण सुनिश्चित करें।
ADM ने बताया कि
यह सिर्फ़ सरकारी औपचारिकता नहीं है, बल्कि सीधे रैयतों को लाभ पहुँचाने की कोशिश है।
रैयतों में
उम्मीद की किरण
अभियान शुरू होते
ही रैयतों में एक नई उम्मीद जगी है। वर्षों से अदालतों और दफ़्तरों में भटक रहे लोग
अब उम्मीद कर रहे हैं कि बिना घूस दिए और बिना ज्यादा भाग-दौड़ किए उनकी ज़मीन उनके
नाम हो जाएगी।
कई रैयतों का कहना
है कि अगर सरकार का यह अभियान ज़मीनी स्तर पर पूरी ईमानदारी से लागू हुआ तो यह ऐतिहासिक
कदम साबित होगा।
निष्कर्ष
ज़मीन से जुड़ी
गड़बड़ियाँ बिहार और देशभर में हमेशा से एक बड़ी समस्या रही हैं। डिजिटाइजेशन के बाद
भी यह समस्या और गहरी हो गई। अब राजस्व महाअभियान के ज़रिए सरकार ने इसे आसान
बनाने की कोशिश की है।
यदि अभियान अपने तय लक्ष्यों को हासिल कर पाया, तो ज़िले के लाखों रैयतों को बड़ी राहत
मिलेगी और प्रशासन के प्रति उनका विश्वास भी मज़बूत होगा।
GPNBihar न्यूज़
रिपोर्ट - सूत्रों के हवाले से
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