पूर्णिया: आप जो
वीडियो देख रहे हैं, उससे
साफ समझ में आता है
कि यहाँ हालात
कितने खतरनाक हो
सकते हैं। यह घटना आलमनगर
काझा की है, जहाँ कुछ
ग्रामीणों ने मिलकर
एक बस ड्राइवर
की पिटाई कर
दी। कारण? इस
बस ने एक टोटो (ई-रिक्शा) को साइड से टक्कर
मार दी।
टोटो
पलटते-पलटते बच
गया, लेकिन उसमें
5-6 सवारियां थीं, जिनमें
ड्राइवर को छोड़कर
सभी महिलाएं थीं।
सभी एक ही परिवार से
थे, और खास बात ये
कि उनमें एक
महिला की गोद में एक
नवजात शिशु था—जिसका जन्म
महज एक दिन पहले हुआ
था। यह परिवार
पूर्णिया से आलमनगर
की ओर जा रहा था।
बनभाग
बाईपास मोड़ के पास बस
ड्राइवर ने बिना सावधानी गाड़ी मोड़ी,
जिससे टोटो के पिछले हिस्से
में टक्कर लग
गई। इसके बाद
टोटो ड्राइवर ने
अपने गाँव वालों
को सूचना दी
और ग्रामीणों ने
बस को घेरकर
ड्राइवर की पिटाई
कर दी।
अब
सवाल यह है—गलती किसकी थी?
क्या वह बस
ड्राइवर दोषी है,
जिसने लापरवाही से
गाड़ी मोड़कर एक
बड़ा हादसा होते-होते टाल
दिया?
या फिर वे ग्रामीण, जिन्होंने ड्राइवर
को कानून हाथ
में लेकर पीटा?
फैसला आप करें।
लेकिन
असली सवाल यह है कि
आखिर इस रूट पर इतनी
रफ ड्राइविंग क्यों होती
है?
ऐसे ड्राइवरों को
आखिर किस बात की जल्दी
रहती है, जो न आसपास
देखते हैं, न ट्रैफिक नियमों की
परवाह करते हैं?
बस तेज हॉर्न
बजाते हैं और यह मान
लेते हैं कि बाकी लोग
रास्ता छोड़ देंगे।
उनकी मानसिकता होती
है: "हमने तो हॉर्न
दिया, साइड नहीं हुए
तो आपकी गलती!"
भले ही उनकी लापरवाही से किसी की जान
चली जाए, उन्हें
फर्क नहीं पड़ता।
हमें
और आपको यह सोच बदलनी
होगी कि हॉर्न
बजाना ही रास्ता
साफ करने का लाइसेंस नहीं है।
मैं स्थानीय प्रशासन,
खासकर पूर्णिया DTO से अपील
करता हूँ कि इस तरह
के लापरवाह चालकों
के खिलाफ सख्त
कार्रवाई करें। साथ
ही लोगों को
जागरूक करें कि:
- हॉर्न
का प्रयोग न्यूनतम हो।
- कम
डेसिबल वाले हॉर्न का ही इस्तेमाल करें।
इससे
न केवल दुर्घटनाएं
कम होंगी, बल्कि
शोर और पर्यावरण
प्रदूषण से भी राहत मिलेगी।
वीडियो
के लिए यहाँ
क्लिक करें: https://youtu.be/JM4Q5xbzA-s
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