पटना: बिहार की राजनीति में एक नया
मोड़ लाने की तैयारी कर रहे प्रशांत किशोर (PK) शुक्रवार को पटना के ऐतिहासिक गांधी
मैदान से चुनावी बिगुल फूंकने जा रहे हैं। जन सुराज पार्टी के बैनर तले हो रही इस रैली
को लेकर पीके ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। उपचुनाव में मिली हार के बाद उठे सवालों
का जवाब देते हुए पीके इस रैली के जरिए जनता के सामने खुद को एक मजबूत विकल्प के तौर
पर पेश करना चाहते हैं।
जन सुराज के वरिष्ठ नेता आनंद
मिश्रा ने जानकारी दी कि रैली में करीब दस लाख लोगों के जुटने की संभावना है। रैली
की सबसे खास बात यह है कि पहली बार गांधी मैदान में कोई राजनीतिक सभा दोपहर दो बजे
से शुरू होगी। आमतौर पर रैलियां सुबह दस या ग्यारह बजे आरंभ होती रही हैं। मिश्रा का
कहना है कि शाम के ठंडे माहौल में रैली कर जनता को सुकून का एहसास कराया जाएगा, ताकि
उन्हें लगे कि बिहार में बदलाव का नया एहसास जन सुराज ही ला सकता है।
रैली के मंच को भी खास अंदाज
में सजाया गया है। गांधी मैदान के बीचोंबीच एक लंबा रैंप वॉक तैयार किया गया है, जिससे
प्रशांत किशोर भाषण देते हुए आखिरी पंक्ति तक बैठे लोगों के करीब पहुंच सकें। पार्टी
का संदेश साफ है कि विकास और परिवर्तन की रोशनी समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे।
राजनीतिक विश्लेषकों का भी मानना
है कि यह रैली बिहार की राजनीति में एक नई हलचल पैदा कर सकती है। वरिष्ठ पत्रकार रवि
उपाध्याय कहते हैं, "प्रशांत किशोर ने राजनीति में अपनी एक मजबूत जगह बना ली है।
अगर इस रैली में ठीक-ठाक भीड़ आ जाती है तो विधानसभा चुनाव में उन्हें नजरअंदाज करना
मुश्किल होगा।" वहीं पत्रकार अरुण पांडे का कहना है कि भले ही उपचुनाव में जन
सुराज को हार मिली हो, लेकिन मिले वोट प्रतिशत ने विरोधियों की चिंता बढ़ा दी है।
इस रैली पर सत्तारूढ़ दल भी नजर
बनाए हुए हैं। जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने पीके पर तंज कसते हुए कहा कि
"जो गांधीजी के सिद्धांतों की बात करता है और गांधीजी की मूर्ति के नीचे शराबबंदी
खत्म करने की वकालत करता है, उसे बिहार की जनता कभी माफ नहीं करेगी।"
बहरहाल, गांधी मैदान में होने
वाली यह रैली सिर्फ एक सभा नहीं, बल्कि बिहार की सियासत में जन सुराज के अस्तित्व और
ताकत का इम्तिहान भी है। अब देखना होगा कि क्या प्रशांत किशोर वाकई जनता को अपने पक्ष
में मोड़ने में कामयाब होते हैं या फिर विरोधियों की बात सच साबित होती है।
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