'ऑपरेशन सिंदूर'
की सफलता और शशि थरूर की मोदी से मुलाकात ने रचा नया राजनीतिक विमर्श
नई दिल्ली: 'ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता के
बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन वरिष्ठ सांसदों से मुलाकात की, जिन्होंने दुनियाभर
में भारत का पक्ष मजबूती से रखा और पाकिस्तान के झूठ का पर्दाफाश किया। लेकिन इस मुलाकात
की सबसे चर्चित तस्वीर वह रही, जिसमें पीएम मोदी कांग्रेस सांसद शशि थरूर से मुस्कुरा
कर हाथ मिला रहे हैं। यह तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई, और लोगों ने इस
पर जमकर प्रतिक्रियाएं दीं।
प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद
शशि थरूर ने 'एक्स' (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “हम सब देश की सेवा का मौका मिलने के
लिए आभारी हैं, प्रधानमंत्री जी! जय हिंद।” इस संदेश के जरिए थरूर ने यह साफ किया
कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ केवल एक मिशन नहीं, बल्कि उनके लिए राष्ट्रीय कर्तव्य था। उन्होंने
यह भी दर्शाया कि जब बात भारत की हो, तो राजनीति पीछे छूट जाती है।
क्या है 'ऑपरेशन सिंदूर'?
‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया एक रणनीतिक मिशन था, जिसके तहत कुछ
वरिष्ठ सांसदों को दुनियाभर के देशों में भेजा गया ताकि पाकिस्तान द्वारा फैलाए जा
रहे दुष्प्रचार का मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके। मिशन का उद्देश्य कश्मीर, आतंकवाद और
मानवाधिकार जैसे मुद्दों पर भारत का पक्ष स्पष्ट रूप से रखना था।
शशि थरूर, जो इस मिशन के सबसे
प्रभावशाली चेहरों में से एक रहे, ने अमेरिका, यूरोप और मध्य-पूर्व में भारत की मजबूत
पैरवी की। थरूर ने पाकिस्तान को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “पाकिस्तान अपने घर
में झांके, भारत को सीख न दे।” वहीं एक मंच पर उन्होंने जोर देकर कहा, “भारत
एक लोकतंत्र है और आतंक का जवाब कानून से देगा, जरूरत पड़ी तो ताकत से भी।”
उनके तार्किक और प्रभावशाली भाषणों ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को असहज कर
दिया।
राजनीति से ऊपर राष्ट्र
पीएम मोदी और शशि थरूर की यह मुस्कुराती मुलाकात इसलिए खास बन गई क्योंकि इसने दर्शाया
कि जब बात राष्ट्र की होती है, तो दलगत सीमाएं धुंधली पड़ जाती हैं। सोशल मीडिया पर
कई यूजर्स ने इसे "नई राजनीति की तस्वीर" बताया। एक यूजर ने लिखा, “जब
देश की बात हो, तो कांग्रेस-बीजेपी मायने नहीं रखते।” वहीं कुछ ने मजाक में लिखा,
“थरूर जी, कहीं BJP में ना आ जाएं!”
संवाद की राजनीति की वापसी?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह तस्वीर और मुलाकात एक बड़ा संकेत हो सकती है
– कि आने वाले समय में भारत की राजनीति में संवाद और सहमति की एक नई धारा शुरू हो सकती
है। थरूर और मोदी दोनों ने जिस गरिमा और शालीनता से एक-दूसरे का सम्मान किया, वह लोकतंत्र
की परिपक्वता को दर्शाता है।
निष्कर्ष:
‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने केवल भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को मजबूत नहीं किया, बल्कि देश
के भीतर भी यह संदेश दिया कि राष्ट्रीय हित सर्वोपरि है। और जब शशि थरूर बोले और मोदी
मुस्कुराए, तो वाकई पाकिस्तान की बोलती बंद हो गई।
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