पूर्णिया/वाशिंगटन डीसी (डॉ. गौतम पाण्डेय रिपोर्ट): संयुक्त राष्ट्र (UN) और अमेरिका के रिश्ते में बड़ी दरार सकती है! सूत्रों से मिली जानकारी और अखबार में छपी खबर के अनुसार, सीनेटर माइक ली ने डीफंड एक्ट नामक एक विधेयक पेश किया है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका को संयुक्त राष्ट्र से पूरी तरह अलग करने की मांग करता है। क्या अमेरिका अब UN को कोई आर्थिक मदद नहीं देगा? क्या यह फैसला वैश्विक राजनीति को हिला देगा? आइए विस्तार से जानते हैं।

 

सीनेटर माइक ली (रिपब्लिकन - यूटा) ने डीफंड एक्ट पेश किया है, जिसका समर्थन सीनेटर मार्शा ब्लैकबर्न और रिक स्कॉट भी कर रहे हैं। प्रतिनिधि सभा में इस बिल को माइक रोजर्स और चिप रॉय आगे बढ़ा रहे हैं।

 

इस कानून का मुख्य उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र से अमेरिका की पूर्ण वापसी को सुनिश्चित करना है। माइक ली ने कहा कि अमेरिका अब UN को "Blank चेक" नहीं देगा, क्योंकि यह संस्था ऐसी पहलों को बढ़ावा देती है जो अमेरिका के मूल्यों के खिलाफ हैं और अधिनायकों को फायदा पहुंचाती हैं।

 

अमेरिका के कुछ नेता मानते हैं कि संयुक्त राष्ट्र:

·       अमेरिका की संप्रभुता को कमजोर कर रहा है।

·       अमेरिकी करदाताओं के पैसे का दुरुपयोग कर रहा है।

·       हमास और चीन जैसे संगठनों के पक्ष में काम कर रहा है।

·       जलवायु परिवर्तन और मानवाधिकारों के मुद्दों पर राजनीतिक एजेंडा चला रहा है।

 

प्रतिनिधि चिप रॉय ने कहा कि UNRWA, जो फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए बनाई गई एजेंसी है, वास्तव में हमास का समर्थन कर रही है। इसके अलावा, चीन को UN मानवाधिकार परिषद में चुना जाना भी सवालों के घेरे में है।

 

अगर डीफंड एक्ट कानून लागू हो जाता है तो, इस कानून के तहत:

·       1945 का संयुक्त राष्ट्र भागीदारी अधिनियम और UN मुख्यालय समझौता अधिनियम निरस्त किया जाएगा।

·       अमेरिका द्वारा UN को दी जाने वाली सभी वित्तीय सहायता बंद की जाएगी।

·       संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में अमेरिका की भागीदारी समाप्त होगी।

·       अमेरिका में UN अधिकारियों की राजनयिक प्रतिरक्षा रद्द की जाएगी।

·       अमेरिका विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अन्य UN संगठनों से भी बाहर हो जाएगा।

·       भविष्य में किसी भी UN समझौते के लिए सीनेट की मंजूरी जरूरी होगी।

 

हालांकि, यह विधेयक पेश किया गया है, लेकिन इसे पास कराना आसान नहीं होगा। क्योंकि:

·       कई अमेरिकी राजनेता UN के साथ बने रहने का समर्थन करते हैं।

·       अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका की साख पर असर पड़ सकता है।

·       चीन और रूस जैसे देश इस स्थिति का फायदा उठा सकते हैं।

लेकिन रिपब्लिकन नेताओं का कहना है कि अगर अमेरिका को अपनी संप्रभुता बचानी है, तो उसे UN से बाहर निकलना ही होगा।

 

क्या अमेरिका सच में UN से बाहर हो सकता है? अगर यह विधेयक पास होता है, तो वैश्विक राजनीति पर इसका जबरदस्त प्रभाव पड़ेगा। अमेरिका की यह रणनीति दुनिया में नए समीकरण बना सकती है।

 

आपका क्या सोचना है? क्या अमेरिका को UN से बाहर निकलना चाहिए या नहीं? हमें कमेंट में बताएं

वीडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करें: https://youtu.be/3kjGoe1bwkA