वाशिंगटन डीसी/Dr. Gautam Pandey Report: जब से अमेरिका में Trump 2.0 के सरकार बनी है तब से वहां कुछ ना कुछ बदलाव हो ही रहे हैं। आपको याद होगा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प हमेशा और खास कर चुनाव प्रचार के दौरान ‘अमेरिका फर्स्ट’ पर जोर देते थे। और सरकार बनते ही उसपर अमल भी करना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में अमेरिका ने अवैध प्रवासियों को भी भगाना शुरू कर दिया है। याद होगा आपको कि अभी दो दिन पहले ही भारतीयों को लेकर भी एक अमेरिकी फ्लाइट भारत आई थी। ये वो लोग हैं जो अवैध रूप से अमेरिका में घुसे थे।

 

इसी अमेरिका फर्स्ट को और गति देने के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कई वैश्विक संगठनों में अमेरिका की भागीदारी पर पुनर्विचार किया और कुछ संस्थानों से समर्थन वापस ले लिया। इनमें संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC), संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी (UNRWA), और संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) शामिल हैं। 

 

इसका कारण बताते हुए ट्रम्प प्रशासन ने कहा कि यह संस्था अमेरिका और उसके सहयोगियों के खिलाफ पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाती है। अमेरिका ने आरोप लगाया कि यह परिषद उन देशों को सदस्यता प्रदान करती है, जो खुद मानवाधिकारों का उल्लंघन करते हैं। इसके अलावा, ट्रम्प प्रशासन का मानना था कि यह संगठन इस्राइल के खिलाफ अधिक सख्त रवैया अपनाता है और अमेरिका के हितों की अनदेखी करता है। 

 

UNRWA फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए कार्य करने वाली संयुक्त राष्ट्र एजेंसी है। अमेरिका इस संगठन का सबसे बड़ा वित्तीय योगदानकर्ता था। ट्रम्प ने आरोप लगाया कि यह एजेंसी फिलिस्तीनी नेताओं को फायदा पहुंचाती है और इस्राइल-विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहती है। अमेरिका का यह कदम इस्राइल के समर्थन में उठाया गया, क्योंकि ट्रम्प प्रशासन का मानना है कि UNRWA की नीतियां इस्राइल के खिलाफ जाती हैं और मध्य पूर्व में शांति स्थापित करने में बाधा डालती हैं। 

 

UNESCO एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है, जो शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति के क्षेत्र में कार्य करती है। ट्रम्प प्रशासन ने इस संगठन से अमेरिका की भागीदारी की समीक्षा करने का फैसला किया। अमेरिका पहले भी 2011 में इस संस्था से बाहर हो चुका था, जब इसने फिलिस्तीन को सदस्यता दी थी। ट्रम्प प्रशासन का मानना है कि यह संगठन अमेरिका विरोधी फैसले लेता है और इसके कार्य अमेरिका के हित में नहीं हैं। 

 

ट्रम्प प्रशासन के इस रुख का एक आर्थिक पहलू भी है। डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने "अमेरिका फर्स्ट" नीति के तहत संयुक्त राष्ट्र संगठनों को दी जाने वाली फंडिंग पर सवाल उठाए। अमेरिका संयुक्त राष्ट्र के बजट में सबसे बड़ा योगदान देने वाला देश है। ट्रम्प प्रशासन का मानना है कि अमेरिका की वित्तीय मदद का दुरुपयोग किया जाता है और इसके बदले अमेरिका के हितों की अनदेखी की जाती है। 

 

निष्कर्ष:

डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न संगठनों से समर्थन वापस लेने का निर्णय अमेरिका की वैश्विक कूटनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव है। उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि अमेरिका ऐसे संगठनों में पैसा नहीं लगाएगा, जो उसके हितों के अनुरूप कार्य नहीं करते। हालांकि, उनके फैसलों की आलोचना भी हुई, क्योंकि इससे अंतरराष्ट्रीय सहयोग में अमेरिका की भूमिका कम हो सकती है। ट्रम्प के इन फैसलों का असर वैश्विक राजनीति पर भी देखने को मिलेगा।

 

वीडियो के लिए लिंक पर क्लिक करें: https://youtu.be/2v00htFaNdE

 

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