पूर्णिया/ नई दिल्ली: सरकार ने यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) लेनदेन पर कर लगाने का प्रस्ताव रखा है, जिससे डिजिटल भुगतान करने वाले उपभोक्ताओं में चिंता बढ़ गई है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, बड़े लेनदेन पर एक मामूली शुल्क लगाने की योजना बनाई जा रही है, ताकि डिजिटल भुगतान प्रणाली को और अधिक सतत बनाया जा सके।

UPI सुविधा वाले कुछ एप्प्स PhonePe, Bheem, GooglePay आदि हैं जो खरीददार और दूकानदार के बीच पेमेंट के लिए एक पुल का काम करते हैं। यह app आपके बैंक अकाउंट से जुड़ा होता है और अब तक मुफ्त सेवा प्रदान करता रहा है। 

विरोध और समर्थन की मिली-जुली प्रतिक्रिया
सरकार का तर्क है कि यूपीआई इंफ्रास्ट्रक्चर को बनाए रखने और बेहतर करने के लिए वित्तीय संसाधनों की जरूरत है। हालांकि, उपभोक्ता और व्यापारी वर्ग इस कदम का विरोध कर रहे हैं। कई लोगों का मानना है कि यह डिजिटल इंडिया अभियान की भावना के खिलाफ है, क्योंकि अब तक यूपीआई भुगतान पूरी तरह नि:शुल्क रहा है।

विशेषज्ञों की राय
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अगर सरकार यूपीआई पर टैक्स लगाती है, तो नकद लेनदेन की ओर रुझान बढ़ सकता है, जिससे डिजिटल अर्थव्यवस्था को झटका लगेगा। वहीं, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह टैक्स केवल बड़े लेनदेन तक सीमित रहेगा, तो इसका आम जनता पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।

सरकार का रुख
वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है और जनता की राय को ध्यान में रखकर ही आगे कदम उठाए जाएंगे। फिर भी, विपक्षी दल इस फैसले को जनता पर अतिरिक्त बोझ बताकर विरोध जता रहे हैं।

सूत्रों के हवाले से पता चला है कि सरकार 2000 रूपये से अधिक के ट्रांसैक्शन पर 1.1% टैक्स लगाने पर विचार कर रही है। अगर ऐसा होता है तो आम लोग पुनः नकद लेन-देन में दिलचस्पी दिखाएंगे। सरकार को इस बारे में सोचना पड़ेगा। एक तरफ तो डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा दे रही है और दूसरी ओर टैक्स लगाती है। यह आम लोगों पर एक अलग बोझ पड़ेगा। ब-मुश्किल तो अभी लगभग सभी डिजिटल पेमेंट को अपना पाए हैं, ये टैक्स सरकार को फायदे के बजाय नुकसान भी पंहुचा सकती है।

अब देखना होगा कि सरकार इस प्रस्ताव को लागू करती है या जनता के विरोध को देखते हुए इसे वापस लेती है।

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https://youtu.be/m92781dK2LU