नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना की विंग कमांडर निकिता पांडे को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने गुरुवार को आदेश दिया कि अगली सुनवाई तक उन्हें सेवा से हटाया न जाए। विंग कमांडर निकिता ने ऑपरेशन सिंदूर और बालाकोट जैसे महत्वपूर्ण सैन्य अभियानों में भाग लिया था, लेकिन 14 वर्षों की सेवा के बावजूद उन्हें स्थायी कमीशन नहीं मिला। इसी के खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

 

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एनके मेनन सिंह की पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है। अदालत ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से पूछा कि आखिर निकिता को अब तक स्थायी कमीशन क्यों नहीं दिया गया।

 

अदालत में पेश होकर ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि यह निर्णय बोर्ड के मूल्यांकन पर आधारित होता है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि निकिता पांडे के मामले की दोबारा समीक्षा के लिए एक नया बोर्ड गठित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सभी महिला अधिकारी बेहद योग्य हैं, लेकिन वायुसेना की प्रक्रिया और आवश्यकताओं के अनुसार ही निर्णय लिए जाते हैं।

 

वहीं, निकिता पांडे की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने तर्क रखा कि उनकी मुवक्किल एक विशेषज्ञ फाइटर कंट्रोलर हैं और उन्होंने देश के दो महत्वपूर्ण सैन्य अभियानों में निर्णायक भूमिका निभाई है। उन्होंने बताया कि निकिता ने भारतीय वायुसेना के एकीकृत कमांड और कंट्रोल सिस्टम में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। गुरुस्वामी ने 2019 की नीति का हवाला देते हुए कहा कि इस नीति के कारण निकिता को जबरन सेवा समाप्त करनी पड़ी, जो उनके अनुभव और योगदान को देखते हुए अन्यायपूर्ण है।

 

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने भारतीय वायुसेना की प्रशंसा करते हुए कहा कि "हमारी वायुसेना दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सेनाओं में से एक है।" उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि भविष्य में केवल उन्हीं अधिकारियों की एसएससी (शॉर्ट सर्विस कमीशन) भर्ती हो, जिन्हें स्थायी कमीशन देने की संभावना हो। उन्होंने कहा कि पारदर्शिता और ठोस कारणों के आधार पर निर्णय लेना ज़रूरी है, ताकि अधिकारियों के मन में असुरक्षा की भावना न पनपे।

 

कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 6 अगस्त तय की है और तब तक विंग कमांडर निकिता पांडे को सेवा में बनाए रखने का निर्देश दिया है। इस फैसले को महिला सैन्य अधिकारियों के अधिकारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।