नई दिल्ली: राज्यसभा में वक्फ (संशोधन)
विधेयक, 2025 पर जोरदार बहस जारी है। विपक्षी दलों ने इस बिल को संविधान विरोधी
बताते हुए सरकार से इसे वापस लेने की मांग की है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार जनता
की असली समस्याओं से ध्यान भटकाने के लिए इस तरह के मुद्दे उठा रही है, जिससे समुदायों
के बीच वैमनस्य फैले। वहीं, सरकार का तर्क है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के संरक्षण
और दानदाताओं की मंशा की रक्षा करने के लिए लाया गया है।
राज्यसभा में बहुमत का गणित
वर्तमान में राज्यसभा में
कुल 234 सदस्य हैं। बहुमत के लिए 118 सांसदों का समर्थन जरूरी है। बीजेपी
के पास 96 सांसद हैं और सहयोगी दलों को मिलाकर यह संख्या 113 तक पहुंचती
है। साथ ही, छह मनोनीत सदस्य, जो आमतौर पर सरकार के पक्ष में रहते हैं, मिलकर
एनडीए की ताकत 119 कर देते हैं। हालांकि, अगर कुछ सांसद गैरहाजिर रहते हैं या
विरोध में वोट करते हैं, तो सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
दूसरी ओर, विपक्ष के पास 85
सांसद हैं, जिसमें कांग्रेस के 27 सांसद और अन्य दलों के 58 सांसद
शामिल हैं। ऐसे में, बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस का रुख इस विधेयक के भविष्य का फैसला
करेगा। दोनों दल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले सरकार के समर्थन में थे, लेकिन
अब आंध्र प्रदेश और ओडिशा में राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं।
लोकसभा में 12 घंटे की बहस के
बाद पास हुआ विधेयक
इससे पहले, लोकसभा में इस
विधेयक पर 12 घंटे लंबी बहस के बाद इसे 288 के मुकाबले 232 मतों से पारित किया
गया। विपक्षी दलों ने इस पर कई संशोधन सुझाए, लेकिन अंततः बहुमत के आधार पर सरकार
ने विधेयक को पारित करा लिया।
खरगे बोले- 'जिसकी लाठी उसकी
भैंस' का तरीका नहीं चलेगा
राज्यसभा में विपक्ष के नेता
और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा, "इस
बिल को लेकर देश में ऐसा माहौल बन गया है कि यह अल्पसंख्यकों को परेशान करने के लिए
लाया गया है। 1995 के एक्ट में अगर कुछ बड़े बदलाव होते तो हम इसे स्वीकार कर लेते,
लेकिन इसमें कुछ भी नया नहीं है।”
उन्होंने आगे कहा, "अगर आप ‘जिसकी लाठी उसकी भैंस’ के हिसाब से चलेंगे तो यह
किसी के लिए भी अच्छा नहीं होगा।"
देवेगौड़ा ने किया समर्थन, कहा-
‘दानदाताओं की संपत्ति की रक्षा होगी’
पूर्व प्रधानमंत्री और जेडीएस
प्रमुख एच.डी. देवेगौड़ा ने इस विधेयक का समर्थन करते हुए कहा, "प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी को बधाई देना चाहिए कि उन्होंने वक्फ संपत्तियों के सही इस्तेमाल को सुनिश्चित
करने के लिए कदम उठाया। जिन संपत्तियों का जिक्र हो रहा है, उनकी कीमत लगभग 1.2
लाख करोड़ रुपये है।"
उन्होंने कहा कि यह संपत्तियां
सरकार ने नहीं, बल्कि दानदाताओं ने दी हैं। अगर इनका दुरुपयोग हो रहा है, तो
इसे रोकने के लिए वर्तमान सरकार सही कदम उठा रही है।
कपिल सिब्बल ने जताई आपत्ति,
बोले- ‘दान देने की आजादी सबको होनी चाहिए’
निर्दलीय सांसद कपिल सिब्बल
ने इस विधेयक पर सवाल उठाते हुए कहा, "अगर मैं हिंदू, मुस्लिम, सिख या ईसाई
हूं और अपनी संपत्ति दान में देना चाहता हूं, तो मुझे कौन रोक सकता है? लेकिन 1954
और 1995 के वक्फ कानून में केवल मुसलमानों को वक्फ करने का अधिकार दिया गया था।
2013 में इस प्रावधान को खत्म कर दिया गया था, लेकिन अब फिर से वही प्रतिबंध लगाया
जा रहा है।"
उन्होंने कहा कि हिंदुओं ने कई
बार अपनी जमीन कब्रिस्तानों या अन्य वक्फ परियोजनाओं के लिए दान की है। ऐसे में
सरकार को यह तय करना चाहिए कि यह कानून निष्पक्ष और सबके लिए समान हो।
‘मुसलमानों के खिलाफ कानून’
– जम्मू-कश्मीर के ग्रैंड मुफ्ती
जम्मू-कश्मीर के ग्रैंड मुफ्ती
नासिर-उल-इस्लाम ने इस विधेयक का विरोध करते हुए इसे मुसलमानों के खिलाफ बताया।
उन्होंने कहा, "पहले से मौजूद कानून में संशोधन कर इसे और कठोर बना दिया गया
है। यह मुसलमानों के साथ विश्वासघात है। हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे और जल्द ही सुप्रीम
कोर्ट में चुनौती देंगे।"
उन्होंने कहा कि 232 सांसदों
ने इसके खिलाफ मतदान किया, जो एक बड़ी संख्या है और उनकी बात को नजरअंदाज नहीं किया
जा सकता।
क्या है वक्फ संशोधन विधेयक,
2025?
- 1995
के वक्फ अधिनियम
में संशोधन कर नए नियम जोड़े गए हैं।
- केवल
मुसलमानों को वक्फ करने का अधिकार मिलेगा, गैर-मुसलमान अब वक्फ संपत्ति दान नहीं कर
सकेंगे।
- वक्फ
संपत्तियों की हेरफेर रोकने के लिए सख्त प्रावधान किए गए हैं।
- वक्फ
बोर्ड में अधिकतम 2 महिलाओं को आरक्षण का प्रावधान जोड़ा गया है।
विधेयक पर आगे क्या?
अब यह विधेयक राज्यसभा में मतदान
के लिए जाएगा। अगर राज्यसभा से भी यह पारित हो जाता है, तो इसे राष्ट्रपति की मंजूरी
के लिए भेजा जाएगा। लेकिन विपक्ष के कड़े विरोध को देखते हुए यह बहस अभी और लंबी
चल सकती है।
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