पूर्णिया (डॉ. गौतम पाण्डेय रिपोर्ट):

पूर्णिया विश्वविद्यालय के नए परिसर का निर्माण कार्य तेज गति से जारी है। वर्तमान में हॉरिजॉन्टल वर्क प्रगति पर है और परिसर की जमीन के चारों ओर चारदीवारी का काम पूरा हो चुका है।


निर्माण कार्य से संबंधित अधिकांश सामग्री भी साइट पर पहुँच चुकी है। वहां के कर्मचारियों का कहना है कि जल्द ही वर्टीकल वर्क (भवन निर्माण) की शुरुआत होगी।

 

सूत्रों के अनुसार, इस प्रोजेक्ट की कुल लागत लगभग 300 करोड़ रुपये है। हालांकि, यह नया परिसर कब तक बनकर तैयार होगा, इस संबंध में कोई आधिकारिक जानकारी अब तक नहीं मिल पाई है।

 

पूर्णिया विश्वविद्यालय की स्थापना 18 मार्च 2018 को बिहार विधानसभा के एक अधिनियम के तहत भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय (बीएनएमयू), मधेपुरा से विभाजित कर की गई थी। इसे बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1976 के तहत संशोधित कर अधिसूचित किया गया था। इस नए विश्वविद्यालय का मुख्यालय पूर्णिया में ही प्रस्तावित है और इसका प्रभाव क्षेत्र पूर्णिया, अररिया, कटिहार और किशनगंज जिलों में होगा।

 

कॉलेजों का विभाजन:

पूर्णिया विश्वविद्यालय के अंतर्गत 15 अंगीभूत और 19 एफिलिएटेड कॉलेज होंगे:

  • अंगीभूत कॉलेज: पूर्णिया (7), अररिया (2), किशनगंज (2), कटिहार (4)
  • एफिलिएटेड कॉलेज: पूर्णिया (6), कटिहार (5), अररिया (6), किशनगंज (2)
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इस विभाजन के बाद भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय का प्रभाव क्षेत्र कोसी प्रमंडल के सहरसा, मधेपुरा और सुपौल जिलों तक सीमित रहेगा।

 

छात्रों को मिलेगा लाभ:

पूर्णिया में विश्वविद्यालय की स्थापना से सीमांचल के छात्र-छात्राओं, शिक्षकों और शिक्षकेतर कर्मचारियों की बड़ी परेशानी दूर होगी। अब उन्हें 100-150 किलोमीटर की लंबी दूरी तय करने से छुटकारा मिलेगा, जो पहले बीएनएमयू, मधेपुरा के अंतर्गत आते थे।

 

जमीन का हस्तांतरण और चुनौतियाँ:

साल 2020 में विश्वविद्यालय के लिए 37.5 एकड़ भूमि हस्तांतरित की गई, जो पूर्णिया के पुराने एयरपोर्ट की जमीन है। हालांकि, इस जमीन पर वर्षों से कई लोगों का अवैध कब्जा है, जिन्हें भूमि दलालों ने धोखे से बेच दिया था। इस पर पक्के मकान बन चुके हैं, और इसे खाली करवाना बिहार सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।

 

निष्कर्ष:

पूर्णिया विश्वविद्यालय का निर्माण सीमांचल क्षेत्र के शैक्षणिक विकास के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। छात्रों और शिक्षकों को बेहतर सुविधाएं मिलने के साथ-साथ, यह विश्वविद्यालय क्षेत्र की शिक्षा प्रणाली को नई दिशा प्रदान करेगा।