पटना/पूर्णिया (डॉ.गौतम पाण्डेय
की रिपोर्ट):
प्रशांत किशोर द्वारा पटना के गांधी मैदान में आयोजित इस धरने ने राजनीतिक और प्रशासनिक
हलचलों को बढ़ावा दिया है। उनकी मांगें और अनशन का उद्देश्य बिहार लोक सेवा आयोग
(BPSC) की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा को रद्द करना और प्रशासनिक पारदर्शिता को लेकर सवाल
उठाना है।
मुख्य बिंदु:
1. प्रशांत किशोर का अनशन:
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जन
सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने गांधी मैदान स्थित गांधी प्रतिमा के नीचे अनशन
शुरू किया।
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उनकी
पाँच सूत्रीय मांगों में बीपीएससी की परीक्षा रद्द करना प्रमुख है।
2. प्रशासन का रुख:
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पटना
जिला प्रशासन ने अनशन को गैर-कानूनी घोषित किया, क्योंकि यह बिना अनुमति के एक प्रतिबंधित
स्थल पर हो रहा था।
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प्रशासन
ने प्रदर्शन को गर्दनीबाग के धरना स्थल पर स्थानांतरित करने का निर्देश दिया।
3. कानूनी कार्रवाई:
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प्रशांत
किशोर और उनके समर्थकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की बात कही गई है।
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प्रशासन
ने उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देकर गांधी मैदान को धरना-प्रदर्शन के लिए अनुपयुक्त
स्थल बताया।
प्रशांत किशोर का पक्ष:
प्रशांत किशोर ने प्रशासन की
इस कार्रवाई को अनुचित बताते हुए कहा कि यह जनता की आवाज को दबाने का प्रयास है। उनका
कहना है कि बीपीएससी की परीक्षा में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार को उजागर करना उनका कर्तव्य
है।
संभावित परिणाम:
1. राजनीतिक प्रभाव:
प्रशांत किशोर का यह कदम उन्हें जनता के बीच एक मजबूत सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता
के रूप में स्थापित कर सकता है।
2. कानूनी विवाद:
प्रशासन की ओर से दर्ज प्राथमिकी के चलते प्रशांत किशोर के विरोध प्रदर्शन पर विधि-सम्मत
कार्रवाई की जा सकती है।
3. सामाजिक जागरूकता:
यह अनशन बीपीएससी परीक्षाओं और प्रशासनिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता की मांग को लेकर
सामाजिक जागरूकता बढ़ा सकता है।
निष्कर्ष:
प्रशांत किशोर का गांधी मैदान
में अनशन और प्रशासन की प्रतिक्रिया एक बड़े राजनीतिक और सामाजिक विमर्श की ओर इशारा
करता है। आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि इस प्रकरण का समाधान कैसे होता है और
इसके बिहार की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ते हैं।
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