धुबड़ी: धुबड़ी से हाटशिंगीमारी जा रही एक यात्री फेरी शुक्रवार की रात ब्रह्मपुत्र नदी के बीच में फंस गई, जिससे यात्रियों में हड़कंप मच गया। फेरी में 250-300 यात्री और भारी मात्रा में सामान ओवरलोड था, जिसके कारण यह फेरी लगभग दो घंटे तक नदी के बीच में फंसी रही। प्रशासन और स्थानीय अधिकारियों के त्वरित हस्तक्षेप से बड़ी मशक्कत के बाद फेरी को सुरक्षित हाटशिंगीमारी फेरी घाट तक पहुंचाया गया।

 

घटना का विवरण:

धुबड़ी से रवाना हुई फेरी ओवरलोडिंग के कारण नदी के बीच में फंस गई। ब्रह्मपुत्र जैसी विशाल और तेज़ प्रवाह वाली नदी में यह घटना यात्रियों के लिए एक बड़ा खतरा बन गई। फेरी में मौजूद यात्रियों ने बताया कि जहाज पर भारी मात्रा में सामान और अधिक यात्री होने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई।

यात्रियों में से कई ने घटना के दौरान घबराहट और असुरक्षा की भावना व्यक्त की। फेरी के संचालन के दौरान सुरक्षा मानकों की अनदेखी की वजह से यह स्थिति पैदा हुई।

 

प्रशासन ने निभाई अहम भूमिका:

घटना की जानकारी मिलते ही प्रशासन और स्थानीय बचाव दल सक्रिय हो गए। कई घंटे की मशक्कत के बाद फेरी को हाटशिंगीमारी फेरी घाट तक सुरक्षित पहुंचाया गया। सभी यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला गया, जिससे एक बड़ी दुर्घटना टल गई।

 

स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि फेरी के ओवरलोड होने की वजह से इसे नदी के बीच में संचालन में कठिनाई हुई। उन्होंने फेरी संचालन में सुरक्षा मानकों का सख्ती से पालन करने की जरूरत पर बल दिया।

 

यात्रियों का अनुभव:

घटना के दौरान फेरी में मौजूद एक यात्री ने बताया, "हम सभी बहुत डरे हुए थे। फेरी में अधिक सामान और यात्रियों की वजह से स्थिति और खराब हो रही थी। शुक्र है कि प्रशासन ने समय पर कदम उठाया और हमारी जान बचाई।"

एक अन्य यात्री ने कहा, "यह घटना बताती है कि फेरी संचालन में सुरक्षा नियमों को लागू करना कितना जरूरी है। हमें उम्मीद है कि इस घटना के बाद अधिकारी इस पर ध्यान देंगे।"

 

सुरक्षा नियमों की अनदेखी पर सवाल:

यह घटना फेरी संचालन में लगातार हो रही लापरवाही और सुरक्षा नियमों के उल्लंघन की ओर इशारा करती है। स्थानीय लोगों और विशेषज्ञों का कहना है कि फेरी सेवाओं में ओवरलोडिंग एक आम समस्या बन गई है, जो यात्रियों की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है।

 

विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि फेरी सेवाओं में यात्रियों और सामान की सीमा तय की जानी चाहिए और उसका सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। इसके अलावा, फेरी चालकों और प्रबंधकों को प्रशिक्षण देकर आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने की तैयारी करनी चाहिए।