राहुल झा, संपादक
GPNBihar
दो देशों ने भारतीय सेना के पराक्रम
का लोहा मानते हुए बहुत बड़ा खुलासा कर दिया है। ये खुलासा पाकिस्तान के लिए परेशानी
का सवब तो बन ही रहा है, चीन के मूंह पर भी बहुत बड़ा तमाचा है।
एक देश ने तो यहां तक कह दिया
है कि, हमारी सेना को और हमें, भारतीय सेना की रणनीति और लक्ष्य पर आधारित युद्ध योजना
से यह सीखना चाहिए की युद्ध कैसे लड़ा जाता है। उनका कहना है कि आपरेशन सिंदूर आधुनिक
समय में युद्ध लड़ने की कला का सबसे सटीक उदाहरण है।
जान लें की इस तरह के विचार ग्रीस
के प्रमुख अखबार "ग्रीस सिटी टाइम्स" में व्यक्त किए गए हैं । ग्रीस को तुर्की
की विस्तारवादी नीति, और हाल में ही हुए इरान – इज़रायल युद्ध ने परेशानी में डाल रखा
है। तुर्की के द्वारा ग्रीस के कई आईलैंड पर पहले हीं दावा ठोका जा चुका है, और साइप्रस
के एक बड़े भूभाग पर कब्जा भी जमाया जा चुका है, जो उसके विस्तारवादी सोच का जीता जागता
सबूत है।
इन सारी बातों के मद्देनजर ग्रीस
सिटी टाइम्स ने लिखा है कि ग्रीस की सेना को भारतीय सेना से युद्ध कला सीखनी चाहिए।
भारतीय सेना ने आपरेशन सिंदूर के दौरान युद्धकला और शौर्य का अप्रतिम उदाहरण पेश किया
है। अखबार का ये कहना कि तुर्किए अगर अपनी विस्तारवादी नीति के तहत ग्रीस से युद्ध
करता है, तो वह पाकिस्तान की मदद लेगा। अतः ग्रीस को चाहिए कि वह रक्षा के क्षेत्र
में अपना बजट और निवेश बढाए। ग्रीस सिटी टाइम्स के मुताबिक भारत इसके लिए सर्वश्रेष्ठ
विकल्प है।
दूसरे देश थाइलैंड ने आधिकारिक
तौर पर ये कहा है कि ‘आपरेशन सिंदूर’ आधुनिक युग में युद्धकला की श्रेष्ठता के सर्वोच्च
विंदु को छूती हुई प्रतीत होती है।
थाई वायुसेना के शब्द हैं "यह
युद्ध विज्ञान का मास्टर क्लास है"
यह बात थाई वायुसेना के मुख्यालय
में आयोजित एक कान्फ्रेंस में कही गई जहां बोलते हुए डिप्टी एयर चीफ सोमई लिलथम ने
बताया कि कैसे भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के ग्यारह एयर बेस तबाह कर दिए; और युद्ध
की खूबसूरती ये रही कि एक भी भारतीय पायलट हताहत नहीं हुआ।
थाईलैंड ने यह माना कि भारत ने
मल्टी लेयर एयर डिफेंस, साइबर आपरेशन, डीप स्ट्राइक में दुनिया भर में अपनी श्रेष्ठता
सिद्ध कर दी। इस तरह की युद्ध नीति दुनिया में बहुत कम देखने को मिलती है!
अब सोचने की बात ये है कि एक
तरफ दुनिया भारतीय युद्धकला की श्रेष्ठता को मान रही है, कह रही है कि भारत ने आपरेशन
सिंदूर में अपना लक्ष्य पूरा किया। और दूसरी तरफ अपने देश में सफलता पर सवाल उठाए जा
रहे हैं। ‘नरेंदर – सरेंडर’ जैसे जुमले हवा में उछाले जाते हैं। क्या इससे सेना का
मनोबल नहीं टूटेगा? यह यक्ष प्रश्न है।
Recent Comments