(GPNBihar Desk)

भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) की सफल यात्रा पूरी कर स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट में सवार होकर पृथ्वी पर सकुशल लौट आए हैं। उनके साथ अमेरिका, पोलैंड और हंगरी के तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री भी शामिल थे। यह ऐतिहासिक मिशन 26 जून को शुरू हुआ था और लगभग 20 दिनों के बाद 23 घंटे के सफर के बाद यह टीम कैलिफोर्निया के समुद्र में सफलतापूर्वक स्प्लैशडाउन कर पाई।

 

यह यात्रा भारत के लिए विशेष रूप से इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि शुभांशु शुक्ला, राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय बने हैं। राकेश शर्मा ने 1984 में यह उपलब्धि हासिल की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शुभांशु की सकुशल वापसी पर प्रसन्नता जताई और इसे भारत के गगनयान मिशन की दिशा में एक और मील का पत्थर बताया।

 

अंतरिक्ष यान की वापसी आसान नहीं थी। पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश के दौरान यान को 1,600 डिग्री सेल्सियस तक की गर्मी का सामना करना पड़ा और करीब सात मिनट का ब्लैकआउट पीरियड भी आया, जब यान से संपर्क टूट गया था। लेकिन स्पेसएक्स की तकनीक और क्रू के साहस ने इस चुनौती को भी पार कर लिया। वापसी के समय ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के ट्रंक को अलग किया गया और हीट शील्ड को सही दिशा में स्थापित किया गया, ताकि यान सुरक्षित उतर सके। दो चरणों में पैराशूट खोले गए, जिससे लैंडिंग सुरक्षित हो पाई।

 

आईएसएस पर अपने प्रवास के दौरान, शुभांशु शुक्ला ने 310 से ज्यादा बार पृथ्वी की परिक्रमा की और लगभग 1.3 करोड़ किलोमीटर की दूरी तय की, जो पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी से 33 गुना अधिक है। इस दौरान उन्होंने और उनके साथियों ने 300 से ज्यादा सूर्योदय और सूर्यास्त देखे — जो पृथ्वी की तेज परिक्रमा के कारण संभव हो सका।

 

इसरो के अनुसार, शुभांशु शुक्ला ने मिशन के दौरान सभी सात सूक्ष्म-गुरुत्व प्रयोग और अन्य नियोजित वैज्ञानिक गतिविधियाँ सफलतापूर्वक पूरी कीं। यह भारत के वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।

 

यह मिशन इस बात का प्रमाण है कि भारत अब वैश्विक अंतरिक्ष अभियानों में न केवल भागीदार बन रहा है, बल्कि वैज्ञानिक अनुसंधान और सहयोग के क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है।