नई दिल्ली: भारतीय
रेलवे द्वारा 1 जुलाई 2025 से तत्काल टिकट बुकिंग में लागू किए गए नए नियम का
असर महज एक दिन में दिखने लगा है। वर्षों से तत्काल टिकट के नाम पर हो रहे
फर्जीवाड़े पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से उठाए गए इस कदम से आम यात्रियों को बड़ी
राहत मिली है। खासकर बिहार, बनारस और लखनऊ जैसे लोकप्रिय रूट्स पर अब आईआरसीटीसी वेबसाइट पर भी तत्काल
कोटे की सीटें खाली दिखने लगी हैं, जो पहले कुछ ही मिनटों में
भर जाती थीं।
रेल मंत्रालय के अनुसार, अब
तत्काल टिकट बुक करने के लिए आधार आधारित ऑथेंटिकेशन अनिवार्य कर दिया गया है।
बिना आधार वेरीफिकेशन के अब कोई भी यात्री तत्काल टिकट बुक नहीं कर सकता। इस नियम
का मुख्य उद्देश्य एजेंटों द्वारा बल्क में टिकट बुक करने की प्रवृत्ति पर रोक
लगाना है, जिससे आम यात्री अक्सर वंचित रह जाते थे।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव
ने स्वयं इस नियम के सकारात्मक असर को स्वीकार करते हुए सोशल मीडिया पर जानकारी
साझा की कि उन्हें यात्रियों से कई संदेश मिल रहे हैं, जिनमें
बताया जा रहा है कि अब आपात स्थिति में भी आसानी से तत्काल टिकट बुक हो पा रहा है।
मंत्री ने कहा, "बिना आधार के टिकट बुकिंग बंद होने से फर्जीवाड़ा
रुका है और आम लोग लाभान्वित हो रहे हैं।"
रेलवे ने न सिर्फ आधार
अनिवार्य किया है, बल्कि तत्काल टिकट बुकिंग में एजेंटों की भूमिका को भी सीमित कर दिया है। नए
नियम के तहत:
- एसी क्लास की तत्काल बुकिंग सुबह 10 से 11 बजे तक होती है, लेकिन एजेंट 10:30 बजे के बाद ही बुकिंग कर सकते हैं।
- नॉन-एसी क्लास की बुकिंग सुबह 11 से 12 बजे के बीच होती है, जिसमें एजेंट 11:30 बजे के बाद ही टिकट बुक कर सकते हैं।
- 15 जुलाई के बाद विंडो से टिकट बुक कराने वालों को भी आधार प्रस्तुत
करना होगा।
इन बदलावों के चलते दिल्ली
से बिहार, बनारस और लखनऊ जाने वाली ट्रेनों में तत्काल कोटे की सीटें बुकिंग खुलने के 30 मिनट
बाद भी खाली दिखाई दे रही हैं। इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि पहले की तुलना में
अब आम यात्रियों को बुकिंग में प्राथमिकता और सुविधा मिल रही है।
यात्री भी इस नए सिस्टम को
सराह रहे हैं। पहले जहां लोग एजेंटों पर निर्भर रहते थे और अधिक पैसे देकर भी टिकट
नहीं मिलती थी, वहीं अब वे सीधे खुद टिकट बुक कर पा रहे हैं।
रेलवे के इस डिजिटल
पारदर्शिता अभियान से न सिर्फ फर्जीवाड़े पर लगाम लगी है, बल्कि
आम जनता का विश्वास भी मजबूत हुआ है। यह कदम रेलवे की यात्रा अनुभव को सरल, सुलभ और
निष्पक्ष बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
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