(डॉ. गौतम पाण्डेय का विश्लेषण)
भारत-पाक संघर्ष "ऑपरेशन
सिन्दूर" ने भारतीय सेना की वीरता का एक नया अध्याय लिखा, जिसमें दो महिला
अफसर—कर्नल सोपिया कुरैशी (भारतीय सेना) और विंग कमांडर व्योमिका सिंह
(भारतीय वायुसेना)—ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
परंतु युद्ध के बाद मीडिया, सोशल मीडिया और सरकारी मान्यता में कर्नल सोपिया
को प्रमुखता से प्रचारित किया गया, जबकि विंग कमांडर व्योमिका को अपेक्षाकृत
कम सराहना मिली।
युद्ध में भूमिका का तुलनात्मक
विश्लेषण:
पक्ष |
कर्नल सोपिया कुरैशी |
विंग कमांडर व्योमिका सिंह |
सेना शाखा |
थल सेना (Army) |
वायुसेना (Air Force) |
स्थान |
POK में ग्राउंड ऑपरेशन की
अगुवाई |
टारगेट चयन, हवाई हमले का समन्वय,
एरियल बैकअप |
प्रमुख भूमिका |
स्पेशल ऑप्स टुकड़ी का नेतृत्व,
दुश्मन के कब्जे वाले क्षेत्र में प्रवेश |
हवाई मिशन प्लानिंग, पायलट
को दिशा-निर्देश देना, टैक्टिकल स्ट्राइक |
खतरा |
सीधा ग्राउंड फायरिंग में सम्मिलित,
बैकअप न होने की स्थिति |
हवाई हमले में नेविगेशन व निर्णय
की जिम्मेदारी, क्रॉस-बॉर्डर रडार खतरा |
दोनों भूमिकाएं अत्यंत जोखिमपूर्ण
थीं, परंतु कर्नल सोपिया की भूमिका ज़मीन पर थी, जिससे वह कैमरों, ग्राउंड रिपोर्ट
और सैनिकों के बयान में अधिक सामने आईं। व्योमिका सिंह की भूमिका रणनीतिक थी, लेकिन
दृश्य नहीं।
मीडिया कवरेज और जन-प्रभाव:
तत्व |
कर्नल सोपिया कुरैशी |
विंग कमांडर व्योमिका सिंह |
वीडियो/फोटो उपलब्धता |
मिशन के कुछ हिस्सों के बॉडीकैम
फुटेज लीक हुए |
NDTV और Doordarshan में नाममात्र
चर्चा |
सोशल मीडिया |
#ColonelSophiya ट्रेंड कर
रहा था |
#VyomikaSingh केवल रक्षा पत्रकारों
द्वारा उल्लेखित |
टीवी डिबेट्स/कवरेज |
ज़ी न्यूज़, इंडिया टुडे, रिपब्लिक
पर लगातार चर्चा |
केवल एक-दो रक्षा रिपोर्ट में
उल्लेख |
मूल कारण:
मीडिया को "एक्शन फुटेज"
और "साहसिक दृश्य" ज्यादा बेचते हैं। ग्राउंड ऑपरेशन की रिपोर्ट को दृश्य
माध्यम में दिखाना आसान होता है, जबकि एयरबेस या कंट्रोल रूम की रणनीतिक भूमिका कम
‘दर्शनीय’ होती है।
संस्थागत और सामाजिक कारण:
- सेना
की रणनीति:
थल सेना आमतौर पर अपने ग्राउंड ऑपरेशनों को अधिक प्राथमिकता देती है, और उसी हिसाब
से अफसरों को सम्मानित करने की परंपरा रही है।
- महिला
नेतृत्व की प्रतीक: कर्नल सोपिया की छवि एक “पहली महिला ग्राउंड कमांडर” जैसी बनाई
गई, जो समाज में अधिक तेजी से प्रेरणा बनती है।
- विंग
कमांडर व्योमिका
का रोल तकनीकी था—महत्वपूर्ण किंतु "low-profile"—जैसे की ज्यादातर
रणनीतिक योजनाकारों का होता है।
निष्पक्षता और भेदभाव का प्रश्न:
विषय |
सत्यता |
क्या दोनों ने अद्वितीय योगदान
दिया? |
✅
हां |
क्या दोनों को समान श्रेय मिला? |
❌
नहीं |
क्या प्रचार में असंतुलन था? |
✅
बिल्कुल |
क्या यह संस्थागत या जानबूझा
भेदभाव था? |
आंशिक रूप से सामाजिक-प्रचार
आधारित पक्षपात |
यह जानबूझा भेदभाव नहीं,
बल्कि प्रचार की प्रकृति (दृश्यता, कथा, सोशल मीडिया ट्रेंड) और हमारे समाज
की 'विज़ुअल हीरो' संस्कृति का असर था।
समाधान और सुझाव:
1. भारतीय सेना और वायुसेना को अपने-अपने नायकों को एक समान
मंच देना चाहिए।
2. सरकारी प्रेस ब्रीफिंग्स में ग्राउंड और रणनीतिक दोनों
स्तरों के योगदान को उजागर किया जाना चाहिए।
3. राष्ट्रीय पुरस्कारों में संतुलन: दोनों अफसरों को एक ही श्रेणी
में समान स्तर पर नामांकित किया जाना चाहिए।
4. मीडिया की जिम्मेदारी: “दृश्यता” के बजाय “योगदान”
पर आधारित रिपोर्टिंग को बढ़ावा देना।
निष्कर्ष:
कर्नल सोपिया कुरैशी और विंग
कमांडर व्योमिका सिंह दोनों ही “ऑपरेशन सिन्दूर” की रीढ़ थीं—एक ज़मीन पर, दूसरी आकाश
में। जहां एक की वीरता सामने दिखी, वहीं दूसरी की रणनीति ने जीत को संभव बनाया। असमान
प्रचार हमारे समाज के "दृश्य-केन्द्रित" रवैये को दर्शाता है, न कि इन वीरांगनाओं
की वास्तविक क्षमता को।
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