नई दिल्ली/राज्यसभा:




प्रस्ताव की पृष्ठभूमि:
10 दिसंबर 2024 को विपक्ष ने संविधान के अनुच्छेद 67-B के तहत राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया। विपक्ष का आरोप है कि सभापति सदन में पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रहे हैं, जिसके चलते उन्हें बोलने का उचित अवसर नहीं मिलता।

 

यह पहली बार है जब राज्यसभा के इतिहास में सभापति के खिलाफ इस तरह का प्रस्ताव लाया गया है। विपक्षी दलों का दावा है कि यह कदम उनके बर्ताव पर नाराजगी व्यक्त करने के लिए है, न कि उन्हें पद से हटाने के लिए।

 

विपक्ष के आरोप:

  1. पक्षपातपूर्ण आचरण:
    विपक्षी नेताओं को बोलने से रोकने और सत्ता पक्ष को विशेष प्राथमिकता देने का आरोप।
  2. विपक्ष के वक्ताओं के माइक्रोफोन बंद करना:
    मल्लिकार्जुन खरगे सहित अन्य नेताओं को सदन में अपनी बात पूरी नहीं करने देना।
  3. सत्ता पक्ष को नियमों के विपरीत छूट देना:
    सत्ता पक्ष के सदस्यों को सदन में अधिक समय और स्वतंत्रता प्रदान करना।

 

संविधान और नियम क्या कहते हैं?

  • अनुच्छेद 67-B:
    • उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए 50 सदस्यों के साइन के साथ प्रस्ताव लाया जा सकता है।
    • प्रस्ताव पर विचार करने से पहले इसे 14 दिन पहले नोटिस में दिया जाना चाहिए।
    • प्रस्ताव को राज्यसभा में प्रभावी बहुमत और लोकसभा में साधारण बहुमत की आवश्यकता होती है।
  • सभापति की भूमिका:
    राज्यसभा के सभापति को हटाने का अर्थ है उपराष्ट्रपति को पद से हटाना। यह प्रक्रिया संसद के दोनों सदनों में बहुमत की मांग करती है।

 

नंबर गेम:

विपक्ष के लिए प्रस्ताव पारित कराना कठिन है।

  • राज्यसभा:
    250 सदस्यों में विपक्ष के पास केवल 103 सदस्य हैं, जबकि बहुमत के लिए 125 सदस्यों की आवश्यकता है।
  • लोकसभा:
    लोकसभा में एनडीए के पास 293 और विपक्ष के पास 236 सदस्य हैं। बहुमत के लिए 272 की आवश्यकता है, जो विपक्ष के पास नहीं है।

 

क्या विपक्ष का उद्देश्य धनखड़ को हटाना है?

विपक्ष ने खुद स्वीकार किया है कि उनके पास आवश्यक संख्या नहीं है।

  • राजनीतिक संकेत:
    यह प्रस्ताव सभापति के रवैये के खिलाफ एक सांकेतिक विरोध है।
  • रणनीतिक उद्देश्य:
    यह जनता और मीडिया में सरकार के पक्षपाती रवैये को उजागर करने की रणनीति हो सकती है।

 

भविष्य की संभावना:

  1. संविधानिक प्रक्रिया:
    प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा, लेकिन इसके पारित होने की संभावना बेहद कम है।
  2. राजनीतिक परिणाम:
    • विपक्ष इस मुद्दे का इस्तेमाल राजनीतिक विमर्श को धार देने के लिए करेगा।
    • सरकार को विपक्ष की शिकायतों पर जवाब देना होगा।
  3. सभापति की भूमिका:
    उपराष्ट्रपति धनखड़ का कार्यकाल इस विवाद से प्रभावित हो सकता है, लेकिन संवैधानिक सुरक्षा के चलते उनका पद खतरे में नहीं है।

 

निष्कर्ष:

यह अविश्वास प्रस्ताव विपक्ष की राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है, न कि उपराष्ट्रपति को हटाने का गंभीर प्रयास। इस प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य सभापति के कार्यों पर सवाल उठाना और जनता के बीच अपनी स्थिति मजबूत करना है। हालांकि, संख्या बल के आधार पर यह प्रस्ताव असफल होगा, लेकिन यह संसद के भीतर और बाहर राजनीतिक बहस को जरूर बढ़ावा देगा।