पूर्णिया: पूर्णिया जिले में 14 दिसंबर को इस वर्ष की चौथी और अंतिम राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा। यह आयोजन न्यायिक प्रक्रियाओं में सुधार और विवादों को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। राष्ट्रीय लोक अदालतें तेजी से न्याय प्रदान करने और विवादों को कम लागत में सुलझाने के लिए एक प्रभावी मंच के रूप में उभरी हैं। इस बार का आयोजन न केवल मुख्य जिला न्यायालय में होगा, बल्कि जिले के अन्य अनुमंडलीय व्यवहार न्यायालयों, जैसे बनमनखी, धमदाहा और बायसी में भी किया जाएगा।

 

लोक अदालत की उपयोगिता और महत्व

राष्ट्रीय लोक अदालत का मुख्य उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया को सरल और त्वरित बनाना है। यह एक ऐसा मंच है जहां मामलों का निपटारा पारंपरिक अदालती प्रक्रियाओं के बजाय आपसी सहमति से होता है। इसमें विवादित पक्षों को उनके मुद्दों का समाधान सौहार्दपूर्ण तरीके से प्राप्त करने का अवसर मिलता है।

 

लोक अदालत में कई प्रकार के मामलों का निपटारा किया जाता है, जैसे:

  1. सिविल मामले: भूमि विवाद, किराया विवाद और अनुबंध से जुड़े मामले।
  2. फौजदारी मामले: धारा 138 के तहत चेक बाउंस, यातायात उल्लंघन आदि।
  3. पारिवारिक विवाद: तलाक, भरण-पोषण और अन्य पारिवारिक मुद्दे।
  4. बैंक ऋण और वसूली: बैंक और वित्तीय संस्थानों से जुड़े विवाद।
  5. राजस्व विवाद: भूमि रिकॉर्ड और राजस्व संबंधी मामले।

 

लोक अदालत में मामलों के निपटारे से न केवल विवादित पक्षों को राहत मिलती है, बल्कि अदालती कार्यभार भी कम होता है।

 

पूर्णिया जिले में तैयारियां जोरों पर

पूर्णिया जिले में इस आयोजन को सफल बनाने के लिए तैयारियां जोरों पर हैं। न्यायालय प्रशासन ने अधिक से अधिक मामलों के निपटारे का लक्ष्य रखा है। अधिकारियों का कहना है कि इस लोक अदालत में मामलों की संख्या पिछले आयोजनों की तुलना में अधिक होगी।

इसके लिए संबंधित विभागों और अधिवक्ताओं के साथ समन्वय स्थापित किया जा रहा है। पक्षकारों को उनके मामलों की स्थिति और प्रक्रिया के बारे में जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं।

 

लोक अदालत में भाग लेने के लाभ

लोक अदालतों में भाग लेने से पक्षकारों को कई लाभ मिलते हैं:

  1. समय की बचत: पारंपरिक अदालती प्रक्रियाओं में लंबा समय लगता है, जबकि लोक अदालत में मामले जल्द सुलझ जाते हैं।
  2. कम लागत: पक्षकारों को महंगे अदालती खर्चों से राहत मिलती है।
  3. आपसी सहमति से समाधान: पक्षकारों के बीच विवाद का समाधान सौहार्दपूर्ण तरीके से होता है, जिससे भविष्य में विवाद की संभावना कम हो जाती है।
  4. भावनात्मक तनाव में कमी: लंबी अदालती प्रक्रिया से उत्पन्न मानसिक तनाव कम होता है।

 

लोक अदालत की सफलता के लिए जागरूकता जरूरी

लोक अदालतों की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि लोग इसमें कितनी संख्या में भाग लेते हैं। पूर्णिया जिला न्यायालय ने इसके लिए जागरूकता अभियान चलाया है, जिससे अधिक से अधिक पक्षकार अपने मामलों को लोक अदालत में प्रस्तुत कर सकें।

 

आशा और अपेक्षा

पूर्णिया में 14 दिसंबर को आयोजित होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत से लोगों को न्याय प्राप्त करने में सहूलियत मिलेगी। न्यायालय और संबंधित अधिकारियों की यह पहल न्यायिक प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और सुलभ बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। उम्मीद है कि इस लोक अदालत से जिले में विवादों की संख्या कम होगी और लोगों का न्याय व्यवस्था पर विश्वास मजबूत होगा।