नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर की अमेरिका यात्रा और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ व्हाइट हाउस लंच को लेकर तीखा तंज कसा है। थरूर ने कहा कि शायद जनरल मुनीर को लंच के साथ-साथ “फूड फॉर थॉट” यानी सोचने के लिए कुछ गम्भीर बात भी मिली होगी।

 

गुरुवार को मीडिया से बात करते हुए थरूर ने कहा, “व्हाइट हाउस के अनुसार, जनरल मुनीर ने कभी ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार देने की सिफारिश की थी, और अब उन्हें दोपहर के भोजन से सम्मानित किया गया है। मुझे उम्मीद है कि खाना अच्छा रहा होगा और उन्हें कुछ गंभीर संदेश भी मिले होंगे।”

 

थरूर यहीं नहीं रुके। उन्होंने अमेरिका से यह भी अपेक्षा जताई कि वह पाकिस्तान को आतंकवाद पर अपनी भूमिका की गंभीरता याद दिलाएगा। उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद है कि अमेरिका पाकिस्तान को यह याद दिलाएगा कि आतंकवाद को पनपने देना, आतंकियों को शरण देना, उन्हें भारत भेजना और वित्तीय सहायता देना वैश्विक शांति के खिलाफ है। और यह भी कि अमेरिका खुद 9/11 का दर्द भोग चुका है।”

 

इस दौरान थरूर ने कटाक्ष करते हुए कहा, “जब जनरल मुनीर को वाइन सर्व की जा रही थी या लंच कराया जा रहा था, उसी समय उन्हें कुछ ऐसे संदेश भी मिले होंगे जो अमेरिका के राष्ट्रीय हित में होंगे।”

 

गौरतलब है कि यह मुलाकात भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया चार दिवसीय सैन्य संघर्ष के कुछ सप्ताह बाद हुई है। ट्रंप ने व्हाइट हाउस के कैबिनेट रूम में जनरल मुनीर की मेजबानी की, जबकि भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस से मुलाकात की।

 

कांग्रेस द्वारा इस बात पर सवाल उठाए जाने पर कि क्यों भारतीय प्रतिनिधिमंडल को राष्ट्रपति से नहीं मिलवाया गया, थरूर ने सफाई दी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही ट्रंप से मिल चुके थे। उन्होंने कहा, “संसदीय प्रतिनिधिमंडल की उपराष्ट्रपति से मुलाकात संसदीय प्रणाली के अनुरूप थी। हमने वही संदेश दोहराया जो प्रधानमंत्री ने ट्रंप को पहले ही दे दिया था।”

 

अमेरिकी मध्यस्थता के दावे पर थरूर ने स्पष्ट कहा, “मध्यस्थता समानता पर आधारित होती है। आतंकवादियों और उनके पीड़ितों के बीच कोई समानता नहीं हो सकती।”

 

उल्लेखनीय है कि शशि थरूर हाल ही में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति मजबूत करने हेतु विभिन्न देशों की राजधानियों में एक बहु-दलीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर चुके हैं।