नई दिल्ली: वर्ष 2025 का पहला आधा हिस्सा भारत के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण रहा है। केंद्र सरकार और आपदा प्रबंधन एजेंसियों की साझा रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी से जून 2025 तक देश ने कई गंभीर त्रासदियों का सामना कियाजिनमें मानव निर्मित दुर्घटनाएं, प्राकृतिक आपदाएं और आतंकी हमले शामिल हैं। यह रिपोर्ट केवल आंकड़ों की एक श्रृंखला है, बल्कि यह देश की सुरक्षा, संरचना और तैयारियों की हकीकत भी उजागर करती है।

 

प्रमुख घटनाएं:

1. प्रयागराज स्टैम्पीड (मार्च 2025):

प्रयागराज में आयोजित एक धार्मिक मेले के दौरान मची भगदड़ में 47 लोगों की जान चली गई और 100 से अधिक घायल हुए। यह घटना भीड़ प्रबंधन की विफलता और प्रशासनिक सुस्ती का प्रतीक बनी।

 

2. जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले (फरवरी और मई):

साल की शुरुआत से ही जम्मू और कश्मीर क्षेत्र में आतंकवाद एक बार फिर सिर उठा रहा है। फरवरी में पुलवामा जैसे हमले ने 12 सुरक्षाकर्मियों की जान ली, वहीं मई में डोडा में हुए हमले में सेना के तीन जवान शहीद हो गए।

 

3. एयर इंडिया विमान हादसा (जून 2025):

अहमदाबाद से लंदन जा रही फ्लाइट AI-179 का इंजन उड़ान के दौरान फेल हो गया, जिससे यात्रियों की जान जोखिम में गई। गनीमत रही कि समय रहते फ्लाइट की इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई। जांच में साजिश की आशंका सामने आई है।

 

4. बाढ़ और मानसूनी तबाही (जून 2025):

उत्तर भारत के राज्योंपंजाब, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेशमें मानसून के असमय और अत्यधिक वर्षा ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया। हजारों लोग बेघर हुए और करीब 60 लोगों की मौत बाढ़ से जुड़ी घटनाओं में हुई।

 

5. रेल दुर्घटनाएं और अव्यवस्था:

मई में बिहार में पटना-नई दिल्ली एक्सप्रेस के दो कोच पटरी से उतर गए, जिसमें 15 यात्रियों की मौत हो गई और 70 घायल हुए। तकनीकी गड़बड़ी और समय पर मरम्मत होने को इसकी मुख्य वजह बताया गया।

 

रिपोर्ट की मुख्य बातें:

·         कुल मौतें: 230 से अधिक

·         आर्थिक नुकसान: ₹1,200 करोड़ से अधिक

·         सुधार की आवश्यकता: आपदा प्रबंधन नीति, भीड़ नियंत्रण, आतंकी इंटेलिजेंस सिस्टम, एविएशन सेफ्टी और रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर में व्यापक सुधार की आवश्यकता को रिपोर्ट ने रेखांकित किया है।

 

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि प्राकृतिक आपदाओं की तीव्रता में जलवायु परिवर्तन की भूमिका अहम रही है। विशेषज्ञों ने चेताया है कि आने वाले महीनों में यदि मौसम इसी तरह अनिश्चित रहा, तो स्थिति और बिगड़ सकती है।

 

निष्कर्ष:

यह मध्यवर्षीय रिपोर्ट केवल घटनाओं की सूची नहीं है, बल्कि यह सिस्टम में मौजूद खामियों को उजागर करने वाला दस्तावेज़ है। सरकार को इससे सबक लेते हुए त्वरित और टिकाऊ उपाय करने होंगे ताकि वर्ष का अगला भाग देश के लिए स्थिरता और सुरक्षा लेकर आए।