नई दिल्ली: कांग्रेस से अन्य
दलों की दूरी की असल वजहें गहरी राजनीतिक जड़ें रखती हैं। भले ही कांग्रेस 2024 लोकसभा
चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी हो, लेकिन इसके सहयोगी दल राहुल गांधी की नेतृत्व
क्षमता पर सवाल उठाने से पीछे नहीं हट रहे। यह स्थिति न केवल कांग्रेस के लिए बल्कि
पूरे विपक्षी गठबंधन के लिए भी चुनौतीपूर्ण है।
कांग्रेस से दूरी
की मुख्य वजहें
1. लगातार हार
का सिलसिला
- राज्यों में प्रदर्शन:
कांग्रेस ने बीते वर्षों में हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, और महाराष्ट्र जैसे प्रमुख राज्यों में अपेक्षा से कमजोर प्रदर्शन किया है। - हरियाणा में पार्टी की संभावनाओं के बावजूद
वह सत्ता से दूर रही।
- जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस सम्मानजनक सीटें
तक नहीं जीत सकी।
- महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी (MVA) के
पतन और कमजोर रणनीति ने पार्टी की स्थिति और खराब कर दी।
- पिछले चुनावों का असर:
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, और राजस्थान जैसे राज्यों में कांग्रेस के चुनावी प्रदर्शन ने राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर गंभीर सवाल खड़े किए।
2. राहुल गांधी
की नेतृत्व क्षमता पर अविश्वास
- राहुल गांधी को विपक्ष के साझा नेता के रूप
में स्वीकारने में अन्य दलों की झिझक उनकी नेतृत्व शैली और निर्णय लेने की क्षमता
पर सवाल उठाती है।
- राहुल की कार्यशैली को लेकर आलोचना होती रही
है कि वह गंभीर राजनीतिक मुद्दों पर ठोस रणनीति बनाने में कमजोर हैं।
3. क्षेत्रीय दलों
का आत्मनिर्भर रवैया
- ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, और अरविंद केजरीवाल
जैसे नेता अपने-अपने राज्यों में मजबूत जनाधार रखते हैं।
- ये नेता कांग्रेस के नेतृत्व में अपने राजनीतिक
अस्तित्व को खतरे में नहीं डालना चाहते।
- इनके लिए राहुल गांधी की छवि और नेतृत्व की
स्वीकार्यता एक बड़ी बाधा है।
4. गठबंधन की आंतरिक
राजनीति
- इंडिया गठबंधन में नेतृत्व का संघर्ष:
कांग्रेस चाहती है कि राहुल गांधी को गठबंधन का नेता बनाया जाए, लेकिन ममता बनर्जी, अखिलेश यादव और अन्य दल इस विचार के पक्ष में नहीं हैं। - ममता बनर्जी की दावेदारी:
ममता बनर्जी जैसी नेता, जो पहले खुद प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवार मानी जाती रही हैं, राहुल गांधी को नेतृत्व देने के लिए तैयार नहीं हैं।
5. कांग्रेस की
कार्यप्रणाली और संवाद की कमी
- कांग्रेस अपने सहयोगी दलों के साथ तालमेल
बनाने में असफल रही है।
- गठबंधन की साझी रणनीति बनाने के बजाय कांग्रेस
ने अक्सर अपने निर्णय सहयोगियों पर थोपने की कोशिश की है।
- अखिलेश यादव और अरविंद केजरीवाल जैसे नेता
कांग्रेस के इस रवैये से असंतुष्ट हैं।
कांग्रेस को क्या
करना चाहिए?
1. विश्वास बहाली
अभियान
- कांग्रेस को अपने गठबंधन सहयोगियों के साथ
खुले संवाद की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए।
- राहुल गांधी को नेतृत्व की बजाय सहयोगियों
को अधिक स्वतंत्रता और महत्व देने की नीति अपनानी होगी।
2. क्षेत्रीय नेताओं
के साथ तालमेल
- क्षेत्रीय दलों के नेताओं की महत्वाकांक्षाओं
का सम्मान करते हुए उनके साथ सहमति बनानी होगी।
- गठबंधन के नेतृत्व का मुद्दा जोर देने की
बजाय सर्वसम्मति से तय करना चाहिए।
3. सकारात्मक राजनीति
- ईवीएम या चुनावी प्रक्रियाओं पर सवाल उठाने
की प्रवृत्ति से बचना होगा।
- चुनावी हार के कारणों का ठोस विश्लेषण कर
रणनीति में सुधार करना चाहिए।
4. प्रभावी नेतृत्व
का प्रदर्शन
- राहुल गांधी को अपनी छवि को सुधारने और मजबूत
नेतृत्व क्षमता दिखाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
- उन्हें जनता और गठबंधन के नेताओं के बीच भरोसा
कायम करना होगा।
निष्कर्ष
कांग्रेस से अन्य
दलों की दूरी के पीछे मुख्य वजह राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर अविश्वास और राज्यों
में पार्टी के कमजोर प्रदर्शन हैं। अगर कांग्रेस 2024 के बाद अपनी प्रासंगिकता बनाए
रखना चाहती है, तो उसे तुरंत अपने कामकाज और रणनीति में बदलाव करना होगा। गठबंधन के
सहयोगियों के साथ बेहतर संवाद और साझेदारी ही कांग्रेस के पुनरुत्थान की कुंजी हो सकती
है।
(प्रतीकात्मक तस्वीर:
गूगल साभार)
Recent Comments