पूर्णिया, बिहार (जीपीन्यूज़ बिहार – नवींद्र कुमार की रिपोर्ट): नव बौद्ध संगठन, पूर्णिया द्वारा आज पूर्णिया के जिलाधिकारी को महामहिम राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन सौंपा गया। संगठन ने बोधगया मंदिर प्रबंधन अधिनियम (BTMC Act) 1949 को निरस्त करने की मांग की है। संगठन का कहना है कि इस अधिनियम के कारण बोधगया स्थित महाबोधि मठ पर ब्राह्मणों का कब्जा हो गया है और बौद्ध परंपराओं का उल्लंघन हो रहा है। संगठन सदस्यों ने समाहरणालय समीप धरना देकर 'बोधगया से ब्राह्मणों को हटाओ' और 'बोध गया बौद्धों का है' का नारा भी लगाया।

संगठन की प्रमुख आपत्तियाँ:

1.  बौद्ध धरोहर पर कब्जा – नव बौद्ध संगठन का आरोप है कि महाबोधि मठ, जो शाक्य मुनि गौतम बुद्ध की ज्ञान स्थली और विश्व धरोहर स्थल है, पर ब्राह्मणों ने कब्जा कर लिया है।

2.  एक मठ, दो विधान – बौद्ध धर्म के प्रतीक बुद्ध प्रतिमा के ठीक सामने एक शिवलिंग स्थापित कर हिंदू रीति-रिवाजों का प्रचार किया जा रहा है।

3.  धार्मिक परंपराओं का उल्लंघन – मठ, जो शांति का प्रतीक है, वहां घंटियों का शोर और आरती की जा रही है, जिससे बौद्ध परंपरा की मूल भावना भंग हो रही है।

4.  हिंदू रीति से पिंडदान – मठ परिसर में हिंदू परंपराओं के अनुसार पिंडदान किया जा रहा है, जो बौद्ध अनुयायियों के लिए अस्वीकार्य है।

5.  बुद्ध परिवार की मूर्तियों का गलत अर्थ – संगठन ने दावा किया है कि बुद्ध परिवार की मूर्तियों को पांडव परिवार घोषित किया जा रहा है, जिससे बौद्ध धर्म के मूल सिद्धांतों को ठेस पहुंच रही है।

6.  संवैधानिक अधिकारों का हनन – संविधान के अनुच्छेद 13 और 26 का उल्लंघन कर BTMC Act के तहत मंदिर का प्रबंधन चलाया जा रहा है, जो धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ है।

 

भूख हड़ताल और प्रशासन का रुख

संगठन ने इन समस्याओं को हल करने की मांग करते हुए कहा है कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो 12 फरवरी 2025 से शुरू हुई अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल जारी रहेगी। जिलाधिकारी ने संगठन का ज्ञापन स्वीकार कर लिया है और आश्वासन दिया है कि इस मामले की गहन जांच की जाएगी और जल्द से जल्द उचित समाधान निकाला जाएगा।

 

ज्ञापन सौंपने वालों में श्री श्याम बाबू धम्माचार्य, श्री राजेंद्र पासवान, और श्री राम शरण यादव, उमेश प्रसाद यादव जिला अध्यक्ष भारत मुक्ति मोर्चा पूर्णिया, राजेन्द्र बौद्ध, प्रदीप पासवान, शशिकांत सुशील, हरिलाल पासवान, नवीन कुमार बौद्ध, मो. इस्लामुद्दीन माले नेता, किसान नेता अनिरुद्ध मेहता , इंजीनियर पी एन सिंह, मनीष गौतम, साध्वी चम्पा एवं उर्मिला देवी सहित अनेक गणमान्य लोग शामिल थे।

 

एक नजर डालते हैं कि ये BTMC Act 1949 क्या है:

BTMC ACT, जिसे बोधगया मंदिर प्रबंधन अधिनियम 1949 कहा जाता है, बोधगया के महाबोधि मंदिर के प्रबंधन और नियंत्रण के लिए बनाया गया था, जिसमेँ बौद्ध और हिंदू दोनों सदस्यों की भागीदारी होती है। 

 

अधिनियम का उद्देश्य:

यह अधिनियम महाबोधि मंदिर की देखरेख और प्रबंधन के लिए बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति (BTMC) का गठन करता है। 

 

समिति में सदस्य:

BTMC में बौद्ध भिक्षुओं और अन्य सदस्यों (जिनमें मुख्य रूप से हिंदू धर्म के सदस्य शामिल हैं) को शामिल करने का प्रावधान है। 

 

वर्तमान स्थिति:

हाल ही में बौद्ध भिक्षु BTMC एक्ट को खत्म करने और महाबोधि मंदिर का पूरा नियंत्रण बौद्ध भिक्षुओं को सौंपने की मांग कर रहे हैं। वे इस बात पर विरोध करते हैं कि हिंदू पुजारियों ने मंदिर पर नियंत्रण कर लिया है, जिससे उनकी मान्यताएँ और मंदिर का स्वरूप बाधित हो रहा है।

 

हिंदू पक्ष की दलीलें:

वहीं, हिंदू पक्ष का कहना है कि मंदिर में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ और संरचनाएँ भी हैं और मंदिर हजारों वर्षों से हिंदू धार्मिक परंपराओं से जुड़ा रहा है। वे BTMC में हिंदू सदस्यों की उपस्थिति को जारी रखने की मांग करते हैं।

 

संशोधन:

2013 में इस एक्ट में संशोधन किया गया था, जिसमे जिला अधिकारी (DM) के हिंदू होने की बाध्यता खत्म कर दी गई थी। 

 

निष्कर्ष:

बोधगया स्थित महाबोधि मठ पर जारी विवाद ने एक बार फिर धार्मिक अस्मिता और परंपराओं के टकराव को उजागर कर दिया है। नव बौद्ध संगठन द्वारा उठाई गई मांगें और भूख हड़ताल इस मुद्दे को और गंभीर बना सकती है। प्रशासन द्वारा जांच और समाधान का आश्वासन दिया गया है, लेकिन यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या इससे विवाद समाप्त होगा या यह और विकराल रूप धारण करेगा।

वीडियो के लिए यहाँ click करें: https://youtu.be/mBre_HmVSE0