नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 दिसंबर से दो दिनों के लिए तेल-समृद्ध देश कुवैत की यात्रा पर जा रहे हैं। यह दौरा कई मायनों में ऐतिहासिक है क्योंकि 1981 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री का यह पहला कुवैत दौरा होगा। 43 साल के लंबे अंतराल के बाद इस यात्रा को भारत-कुवैत संबंधों के लिए एक नई दिशा देने वाला माना जा रहा है।

 

भारत-कुवैत के ऐतिहासिक संबंध

भारत और कुवैत के संबंध ऐतिहासिक रूप से गहरे और दोस्ताना रहे हैं। तेल मिलने से पहले ही दोनों देशों के बीच समुद्री मार्ग से व्यापार होता था। यहां तक कि 1961 तक कुवैत में भारतीय रुपया प्रचलन में था। इसी साल दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित हुए और भारत ने कुवैत में एक ट्रेड कमिश्नर नियुक्त किया।

 

1965 में भारत के तत्कालीन उपराष्ट्रपति जाकिर हुसैन ने कुवैत का दौरा किया था। इसके बाद से उच्चस्तरीय राजनेताओं के दौरे सीमित रहे। हालांकि, दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और व्यापारिक रिश्ते हमेशा मजबूत रहे।

 

पिछले दौरों की झलक

2009 में भारत के तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कुवैत का दौरा किया था। यह दौरा इंदिरा गांधी के बाद किसी भारतीय राजनेता का सबसे महत्वपूर्ण कुवैत दौरा माना गया। इसके अलावा, कुवैत के शीर्ष नेताओं ने भी समय-समय पर भारत का दौरा किया। 2006 में कुवैत के तत्कालीन अमीर शेख सबाह अल अहमद अल जाबेर अल सबाह और 2013 में प्रधानमंत्री शेख जाबिर अल मुबारक अल हमाद अल सबाह ने भारत यात्रा की।

 

प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा का महत्व

प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा कई पहलुओं में विशेष है। यह दौरा न केवल भारत और कुवैत के बीच संबंधों को मजबूत करेगा बल्कि ऊर्जा सुरक्षा, व्यापार, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए भी एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करेगा। यात्रा से पहले, दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने एक-दूसरे के देशों का दौरा करके इस यात्रा के लिए आधार तैयार किया।

 

अगस्त 2024 में भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कुवैत का दौरा किया, जबकि कुवैत के विदेश मंत्री अब्दुल्ला अली अल याह्या 3-4 दिसंबर को भारत आए। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को कुवैत आने का निमंत्रण दिया। कुवैती विदेश मंत्री की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों ने साझा सहयोग कमीशन (जेसीसी) की स्थापना की, जिसका उद्देश्य व्यापार और सहयोग को बढ़ावा देना है।

 

अरब देशों की भारत के लिए बढ़ती अहमियत

मध्य पूर्व के देश भारत के लिए ऊर्जा सुरक्षा, व्यापार, और रणनीतिक साझेदारी के लिए बेहद महत्वपूर्ण बन गए हैं। कुवैत जैसे देश भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा, इन देशों में लाखों भारतीय प्रवासी रहते हैं, जो दोनों देशों के रिश्तों को मजबूत करने में अहम योगदान देते हैं।

 

प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा भारत और कुवैत के मजबूत रिश्तों को एक नई ऊंचाई पर ले जाने का अवसर है। यह यात्रा न केवल दोनों देशों के लिए लाभकारी होगी, बल्कि भारत और मध्य पूर्व के संबंधों को और भी मजबूत करेगी।

 

चित्र साभार: गूगल