नई दिल्ली: चीन और भारत के तनावपूर्ण रिश्तों के बीच अब आईफोन उत्पादन का मुद्दा गरमा गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन भारत में आईफोन बनाने वाली फॉक्सकॉन फैक्ट्रियों को बाधित करने की कोशिश कर रहा है। यह घटनाक्रम चीन और भारत के बीच बढ़ती आर्थिक प्रतिद्वंद्विता और भू-राजनीतिक तनाव को दर्शाता है।

 

फॉक्सकॉन और भारत में आईफोन उत्पादन

फॉक्सकॉन ने 2019 में तमिलनाडु के अपने प्लांट में आईफोन बनाना शुरू किया था। शुरुआत में यह फैक्ट्री पुराने मॉडल का उत्पादन करती थी, लेकिन 2022 से फॉक्सकॉन ने भारतीय कारखानों और कर्मचारियों की संख्या बढ़ाना शुरू कर दी। भारत में आईफोन के उत्पादन का विस्तार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत हो रहा है।

 

2024 में, तमिलनाडु प्लांट ने पहली बार नवीनतम iPhone Pro मॉडल का उत्पादन किया। मार्च 2024 में समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में, ऐपल ने भारत में लगभग 14 अरब डॉलर मूल्य के आईफोन असेंबल किए। यह लगभग हर सात में से एक आईफोन के बराबर है। भारत में यह उत्पादन फॉक्सकॉन, पेगाट्रॉन और टाटा ग्रुप संचालित प्लांट्स में हुआ।

 

चीन की भूमिका और बाधाएं

हालांकि, भारत में आईफोन उत्पादन अभी भी चीनी कर्मचारियों और चीन से आने वाली मशीनों पर निर्भर है। हाल की रिपोर्ट्स के अनुसार, फॉक्सकॉन के चीनी कर्मचारियों को भारत जाने से रोका जा रहा है। कुछ कर्मचारियों को यात्रा से पहले ही रोक दिया गया, जबकि भारत में पहले से मौजूद कर्मचारियों को जल्द चीन लौटने के निर्देश दिए गए हैं।

 

यह माना जा रहा है कि चीन की सरकार भारत में आईफोन उत्पादन बाधित करने के प्रयासों में शामिल हो सकती है। भारत में आवश्यक मशीनें और उपकरण भी चीन से भेजे जाने में रुकावट आ रही है। इससे ऐपल की भारत में उत्पादन योजनाओं पर असर पड़ सकता है।

 

ताइवानी कर्मचारियों पर निर्भरता

फॉक्सकॉन अब ताइवानी कर्मचारियों को भारत भेजने की योजना बना रही है। ताइवानी कर्मचारियों की यात्रा पर किसी प्रकार की रोक नहीं है। इसके अलावा, चीन में स्थित फॉक्सकॉन के कारखानों में अधूरे आईफोन का उत्पादन बढ़ाया गया है ताकि इन्हें भारत में असेंबल किया जा सके। हालांकि, भारत के पास अभी उपकरण निर्माण की तकनीक का अभाव है।

 

भारत को चीन का विकल्प बनाने की चुनौती

चीन और पश्चिमी देशों के बीच व्यापारिक तनाव और चीन की सख्त कोविड नीतियों के कारण कई वैश्विक कंपनियां अब दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया की ओर रुख कर रही हैं। भारत, चीन के विकल्प के रूप में उभर रहा है, लेकिन इसे अभी भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

 

चीन-भारत आर्थिक और भू-राजनीतिक तनाव

चीन भारत को एक भू-राजनीतिक प्रतिद्वंदी और लोकतांत्रिक विकल्प के रूप में देखता है। चीन की चिंता यह है कि भारत उसकी मैन्युफैक्चरिंग के दबदबे को चुनौती दे सकता है। काइल चान, जो प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के एक शोधकर्ता हैं, का कहना है कि चीन भारत में उत्पादन शिफ्टिंग से चिंतित हो सकता है।

 

चीन और भारत के बीच आर्थिक प्रतिद्वंद्विता और सीमा विवाद ने तनाव को और बढ़ा दिया है। हालांकि, भारत में ऐपल का उत्पादन विस्तार इस बात का संकेत है कि भारत वैश्विक विनिर्माण के केंद्र के रूप में उभरने की कोशिश कर रहा है।