पूर्णिया: प्रधानमंत्री मोदी की फ्रांस यात्रा पर डॉ. गौतम पाण्डेय की विश्लेषणात्मक रिपोर्ट:

भारत और फ्रांस के बीच संबंध ऐतिहासिक रूप से मजबूत रहे हैं। दोनों देश रणनीतिक साझेदार हैं और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग कर रहे हैं। हाल के वर्षों में, यह संबंध रक्षा, व्यापार, अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन जैसे विषयों पर और भी प्रगाढ़ हुआ है। यह रिपोर्ट भारत-फ्रांस द्विपक्षीय संबंधों का विश्लेषणात्मक अध्ययन प्रस्तुत करती है।

 

ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य:

भारत और फ्रांस के संबंध 17वीं शताब्दी से शुरू हुए, जब फ्रांसीसी व्यापारियों ने भारत में अपनी व्यापारिक गतिविधियाँ शुरू कीं। भारत की स्वतंत्रता के बाद, दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों की औपचारिक शुरुआत हुई। 1998 में भारत द्वारा परमाणु परीक्षण करने के बाद जब अधिकांश पश्चिमी देश भारत से दूर हो गए थे, तब फ्रांस ने भारत का साथ दिया और रणनीतिक साझेदारी की नींव रखी।

 

आर्थिक और व्यापारिक संबंध:

भारत और फ्रांस के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 12 बिलियन यूरो (2023) के स्तर पर पहुँच चुका है। फ्रांस भारत में एक प्रमुख निवेशक के रूप में उभरा है, विशेष रूप से बुनियादी ढाँचा, ऊर्जा, और एयरोस्पेस उद्योग में। प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग इस प्रकार है:

  • विमानन और रक्षा: भारत ने फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमान खरीदे, जिससे दोनों देशों के रक्षा संबंध और मजबूत हुए।
  • परमाणु ऊर्जा: फ्रांस भारत को असैन्य परमाणु सहयोग में मदद कर रहा है, खासकर जैतापुर परमाणु परियोजना के माध्यम से।
  • स्पेस टेक्नोलॉजी: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और फ्रांस की CNES अंतरिक्ष एजेंसी के बीच विभिन्न परियोजनाओं पर सहयोग जारी है।

 

रणनीतिक और रक्षा सहयोग:

फ्रांस और भारत के बीच रक्षा सहयोग एक प्रमुख स्तंभ है। हाल ही में:

  • दोनों देशों ने हिंद महासागर क्षेत्र में नौसैनिक अभ्यास किए।
  • फ्रांस भारत के आत्मनिर्भर भारत अभियान (Make in India) के तहत भारत में रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है।
  • साइबर सुरक्षा और आतंकवाद-रोधी अभियानों में भी आपसी सहयोग जारी है।

 

सांस्कृतिक और शैक्षणिक संबंध:

फ्रांस भारतीय छात्रों के लिए एक प्रमुख शिक्षा गंतव्य बनता जा रहा है। फ्रांस की सरकार ने भारतीय छात्रों के लिए वीजा प्रक्रिया को आसान बनाया है, जिससे बड़ी संख्या में भारतीय विद्यार्थी फ्रांस में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। साथ ही, योग और भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने में भी फ्रांस रुचि दिखा रहा है।

 

चुनौतियाँ और भविष्य की संभावनाएँ:

हालाँकि भारत और फ्रांस के बीच संबंध काफी मजबूत हैं, फिर भी कुछ चुनौतियाँ बनी हुई हैं:

  • व्यापार असंतुलन: व्यापार संतुलन को बनाए रखने के लिए भारत को अपनी निर्यात नीति को सशक्त बनाना होगा।
  • रक्षा सौदों में पारदर्शिता: राफेल सौदे पर विवाद के कारण रक्षा सौदों में पारदर्शिता की आवश्यकता बनी रहती है।
  • जलवायु परिवर्तन और सतत विकास: दोनों देशों को हरित ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।

 

निष्कर्ष:

भारत-फ्रांस संबंध बहुआयामी और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं। इन संबंधों को और मजबूत करने के लिए दोनों देशों को आर्थिक, रक्षा, और सांस्कृतिक क्षेत्रों में अपने सहयोग को और विस्तार देना होगा। वैश्विक परिदृश्य में भारत और फ्रांस की साझेदारी आने वाले दशकों में और अधिक प्रगाढ़ होने की संभावना है।