अटल बिहारी वाजपेयी के बाद संघ दफ्तर जाने वाले दूसरे प्रधानमंत्री बने मोदी

 

नागपुर: (GPN Bihar desk) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 वर्षों के अंतराल के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के नागपुर स्थित मुख्यालय का दौरा किया। इससे पहले, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 27 अगस्त 2000 को संघ के 75वें स्थापना दिवस पर संघ कार्यालय का दौरा किया था। अब ठीक 25 साल बाद, प्रधानमंत्री मोदी ने भी संघ मुख्यालय जाकर एक ऐतिहासिक क्षण को पुनः दोहराया।

आरएसएस पदाधिकारियों से की मुलाकात

प्रधानमंत्री मोदी ने आरएसएस के स्मारक स्थल स्मृति भवन में संघ के शीर्ष पदाधिकारियों से मुलाकात की और उनके साथ तस्वीरें खिंचवाईं। उन्होंने संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार और पूजनीय गुरुजी एम.एस. गोलवलकर की स्मृति में बनाए गए इस स्मारक स्थल पर अपना संदेश भी लिखा।

मोदी ने संदेश पुस्तिका में लिखा, "यह स्मारक भारतीय संस्कृति, राष्ट्रवाद और संगठन के मूल्यों को समर्पित है। आरएसएस के दो मजबूत स्तंभों का यह स्मारक उन लाखों स्वयंसेवकों के लिए प्रेरणा है, जिन्होंने राष्ट्र की सेवा के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया है।"

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि वह स्मृति मंदिर में आकर अभिभूत महसूस कर रहे हैं, क्योंकि यह स्थल परम पूज्य डॉ. हेडगेवार और पूज्य गुरुजी की यादों को संजोए हुए है।

संघ और भाजपा के रिश्तों की मजबूती का संकेत

भाजपा और आरएसएस के बीच संगठनात्मक रूप से गहरा रिश्ता रहा है। भाजपा अपने कई प्रमुख फैसलों में संघ के सुझावों को प्राथमिकता देती रही है। यही वजह है कि जब कोई प्रधानमंत्री संघ मुख्यालय का दौरा करता है, तो यह न केवल राजनीतिक बल्कि वैचारिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है।

2000 में जब अटल बिहारी वाजपेयी संघ मुख्यालय पहुंचे थे, तब इसे संघ और भाजपा के बीच एकजुटता का संदेश माना गया था। ठीक उसी तरह, प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा भी यही संकेत देता है कि संघ और भाजपा के रिश्ते मजबूत हैं और दोनों की विचारधारा एक-दूसरे से जुड़ी हुई है।

अटल और मोदी के बीच समानताएँ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बीच कई समानताएँ देखी जा सकती हैं, खासकर संघ के साथ उनके संबंधों को लेकर। अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने तीसरे कार्यकाल के दौरान संघ मुख्यालय का दौरा किया था, और अब नरेंद्र मोदी भी अपने तीसरे कार्यकाल में संघ कार्यालय गए हैं।

यह ‘संयोग’ मात्र नहीं बल्कि एक स्पष्ट संकेत है कि भाजपा और संघ के बीच मजबूत रिश्ता बना हुआ है। मोदी के इस दौरे को राजनीतिक दृष्टि से भी अहम माना जा रहा है, क्योंकि इससे संघ और भाजपा के बीच के संबंधों पर उठने वाले सवालों को विराम मिलेगा और पार्टी के समर्थकों को भी एकजुट करने में मदद मिलेगी।

राजनीतिक मायने

प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे को आगामी राजनीतिक घटनाक्रमों के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भाजपा और संघ की रणनीतिक एकता आगामी चुनावों में पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। संघ से जुड़े कई संगठन, जैसे स्वदेशी जागरण मंच और विश्व हिंदू परिषद (विहिप), पहले भी भाजपा की नीतियों को समर्थन देते रहे हैं।

निष्कर्ष

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संघ मुख्यालय दौरा ऐतिहासिक और राजनीतिक दृष्टि से अहम माना जा रहा है। 25 साल बाद दोहराई गई यह घटना संघ-भाजपा के रिश्तों की मजबूती का संदेश देती है। यह दौरा न केवल भाजपा के संगठनात्मक संबंधों को स्पष्ट करता है, बल्कि मोदी की राजनीतिक यात्रा को भी एक ऐतिहासिक संदर्भ में जोड़ता है।