नांदेड़: हाल ही में संपन्न हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी की हार के बाद EVM और VVPAT मशीनों पर सवाल उठाए गए। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने चुनावी परिणामों पर शक जताते हुए EVM की जांच की मांग की थी। लेकिन चुनाव आयोग द्वारा की गई विस्तृत जांच के बाद यह स्पष्ट हो गया कि EVM और VVPAT में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी नहीं हुई।

 

चुनाव आयोग की जांच और निष्कर्ष:

चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के 288 विधानसभा क्षेत्रों में प्रत्येक क्षेत्र से 5 VVPAT पर्चियों का औचक चयन किया। कुल 1440 VVPAT पर्चियों को EVM में दर्ज मतों के साथ मिलान किया गया। जांच के परिणाम चौंकाने वाले थे, क्योंकि 1440 पर्चियों में एक भी मिसमैच नहीं पाया गया। इससे यह सिद्ध हो गया कि EVM और VVPAT पूरी तरह से सही तरीके से काम कर रहे हैं।

 

महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि मतदान केंद्रों का चयन उम्मीदवारों के प्रतिनिधियों और चुनाव पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में लॉटरी के जरिए किया गया। इस प्रक्रिया की पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान दिया गया।

 

नांदेड़ में भी मिली सटीकता:

नांदेड़ जिला प्रशासन ने भी 75 VVPAT पर्चियों का मिलान EVM से दर्ज मतों के साथ किया। यह जांच कांग्रेस द्वारा नांदेड़ में लगाए गए EVM गड़बड़ी के आरोपों के बाद की गई थी। नांदेड़ लोकसभा सीट पर कांग्रेस को जीत मिली थी, लेकिन विधानसभा चुनाव में जिले की सभी 6 सीटों पर पार्टी हार गई। कांग्रेस ने इस हार के लिए EVM को जिम्मेदार ठहराया था।

 

जिला कलेक्टर अभिजीत राउत ने बताया कि 75 केंद्रों, जिनमें 30 लोकसभा और 45 विधानसभा केंद्र शामिल थे, पर किए गए मिलान में कोई भी अंतर नहीं पाया गया। यह स्पष्ट करता है कि EVM और VVPAT प्रणाली निष्पक्ष और सटीक हैं।

 

विपक्ष के आरोपों की हकीकत:

महाविकास अघाड़ी गठबंधन ने चुनावी हार के बाद EVM में गड़बड़ी के आरोप लगाए थे। हालांकि, चुनाव आयोग की इस जांच ने इन दावों को पूरी तरह से खारिज कर दिया। जांच के निष्कर्ष ने विपक्ष के आरोपों की सच्चाई को उजागर कर दिया और चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता को मजबूत किया।

 

EVM और VVPAT: भरोसेमंद तकनीक:

EVM और VVPAT भारत के लोकतांत्रिक चुनावी प्रक्रिया के महत्वपूर्ण उपकरण हैं। इनका उपयोग चुनावों को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए किया जाता है। VVPAT प्रणाली के जरिए मतदाता को यह पुष्टि मिलती है कि उसका वोट सही उम्मीदवार को गया है। इस जांच से यह साबित हो गया कि यह प्रणाली पूरी तरह से सटीक और सुरक्षित है।

 

विपक्ष की जिम्मेदारी:

हर चुनाव के बाद हारने वाली पार्टी द्वारा EVM पर सवाल उठाना एक नई परंपरा बनता जा रहा है। यह लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने के समान है। जब झारखंड में विपक्ष को जीत मिली तो EVM पर कोई सवाल नहीं उठाए गए, लेकिन महाराष्ट्र और हरियाणा में हार के बाद EVM को दोष देना शुरू कर दिया गया। यह दोहरा मापदंड जनता को गुमराह करता है और लोकतांत्रिक संस्थानों पर अविश्वास पैदा करता है।

 

जनता के लिए संदेश:

चुनाव आयोग की इस जांच ने यह स्पष्ट कर दिया है कि EVM और VVPAT तकनीक पर सवाल उठाने का कोई ठोस आधार नहीं है। जनता को चाहिए कि वह ऐसे आरोपों को तथ्यों के आधार पर परखे और राजनीतिक दलों द्वारा फैलाए जा रहे भ्रम से बचें।

 

निष्कर्ष

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में EVM और VVPAT पर लगाए गए आरोप पूरी तरह से निराधार साबित हुए हैं। चुनाव आयोग ने पारदर्शी तरीके से जांच कर विपक्ष के सभी दावों को खारिज कर दिया। यह घटना हमें यह सिखाती है कि चुनावी प्रक्रिया पर विश्वास बनाए रखना और तकनीक पर भरोसा करना लोकतंत्र के लिए कितना महत्वपूर्ण है। विपक्ष को चाहिए कि वह अपनी हार के कारणों पर आत्मचिंतन करे और लोकतांत्रिक संस्थाओं की गरिमा को बनाए रखे।

 

EVM और VVPAT जैसी तकनीकों पर बिना तथ्यात्मक आधार के सवाल उठाने से जनता में भ्रम फैल सकता है। यह जरूरी है कि राजनीतिक दल जिम्मेदारी से कार्य करें और हार को लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा मानें। जनता के लिए भी यह आवश्यक है कि वह सही जानकारी के आधार पर अपनी राय बनाए और लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत बनाए रखने में अपना योगदान दे।