नई दिल्ली: भारत-नेपाल बॉर्डर रोड निर्माण कार्य की धीमी गति का मुद्दा मंगलवार को लोकसभा में उठा। अररिया सांसद प्रदीप कुमार सिंह ने सदन का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि 552 किलोमीटर लंबे इस सड़क परियोजना का कार्य 2013 में शुरू हुआ था, जिसे दो चरणों में 2016 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। हालांकि, अब तक केवल 177 किलोमीटर सड़क ही बन पाई है, जबकि 375 किलोमीटर का कार्य अब भी अधूरा है।

 

सांसद ने बताया कि इंडो-नेपाल बॉर्डर रोड बिहार के पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया के सिकटी होते हुए किशनगंज गलगलिया तक जाती है। इस सड़क के निर्माण से भारत-नेपाल सीमा से लगे गांवों का विकास होगा और तस्करी पर भी प्रभावी रोक लगेगी। उन्होंने इस परियोजना की धीमी प्रगति पर चिंता जताते हुए कहा कि यह सड़क न केवल आर्थिक विकास बल्कि सुरक्षा की दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है।

 

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत में सड़क निर्माण के क्षेत्र में हुई प्रगति का उल्लेख करते हुए इस परियोजना को जल्द पूरा करने की मांग की। सांसद ने केंद्र और राज्य सरकार से जल्द से जल्द निर्माण कार्य को गति देने की अपील की ताकि सीमावर्ती इलाकों का समुचित विकास हो सके और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूती मिले।