नई दिल्ली: दक्षिण-पूर्व एशिया में कोविड-19 के मामलों में तेजी के बीच अब भारत में भी एक बार फिर कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने लगे हैं। महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु सहित कई राज्यों में कोविड-19 के नए मामलों की पुष्टि हुई है। विशेषज्ञों और स्वास्थ्य अधिकारियों ने स्थिति पर नजर बनाए रखने की बात कही है, हालांकि अभी तक मामलों की गंभीरता कम है और घबराने की जरूरत नहीं है।

 

तमिलनाडु और पुडुचेरी में कोविड-19 के 12-12 नए मामले सामने आए हैं। वहीं, कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने राज्य में 16 सक्रिय मामलों की पुष्टि की है। गुजरात के अहमदाबाद में एक ही दिन में 7 नए मामले दर्ज किए गए। मुंबई, चेन्नई और अहमदाबाद जैसे बड़े शहरों में भी संक्रमण के नए मामले मिलने से सतर्कता बरती जा रही है।

 

यह वृद्धि ऐसे समय में हो रही है जब सिंगापुर और हांगकांग जैसे एशियाई देशों में कोरोना संक्रमण एक बार फिर तेज़ी से फैल रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में कोरोना वायरस पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है, बल्कि यह अब स्थानिक (endemic) रूप में बना हुआ है और समय-समय पर स्थानीय प्रकोप का कारण बनता है।

 

क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ?
फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग के पल्मोनोलॉजी विभाग के सीनियर डायरेक्टर डॉ. विकास मौर्य के अनुसार, वर्तमान में फैले वेरिएंट JN.1 से केवल हल्के से मध्यम लक्षण सामने आ रहे हैं और गंभीर मामलों की संख्या बहुत कम है। उन्होंने कहा, “फिलहाल घबराने की कोई जरूरत नहीं है, लेकिन परीक्षण और जीनोमिक निगरानी पर ज़ोर ज़रूर दिया जा रहा है।”

 

मैक्स हेल्थकेयर के ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर डॉ. संदीप बुद्धिराजा का कहना है कि कोविड-19 कभी पूरी तरह से गायब नहीं हुआ। “यह समय-समय पर प्रकोप करता है, खासकर तब जब वैक्सीनेशन कम हो जाता है और लोगों की इम्यूनिटी घटती है। अगर संक्रमण बढ़ा, तो सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय जैसे मास्क, हाथ धोना और सोशल डिस्टेंसिंग फिर से जरूरी हो सकते हैं।”

 

अपोलो हॉस्पिटल्स, नवी मुंबई के जनरल मेडिसिन कंसल्टेंट डॉ. भरत अग्रवाल के अनुसार, “देश में कोरोना के खिलाफ सामूहिक इम्यूनिटी बनी हुई है। चाहे वह वैक्सीनेशन से हो, नेचुरल संक्रमण से या हाइब्रिड इम्यूनिटी से – सभी अब तक प्रभावी हैं। JN.1 को हल्का वेरिएंट माना गया है और अभी तक बूस्टर डोज की जरूरत नहीं दिखी है।”

 

कौन सा वेरिएंट बना चिंता का कारण?
दक्षिण-पूर्व एशिया में बढ़ते मामलों का मुख्य कारण JN.1 वेरिएंट है, जो ओमिक्रॉन BA.2.86 का सब-वेरिएंट है। WHO के अनुसार, इस वेरिएंट में करीब 30 म्यूटेशन हैं, जिनमें से LF.7 और NB.1.8 दो प्रमुख वेरिएंट्स हैं जो हाल के मामलों में देखे गए हैं।

 

निष्कर्ष:
भारत में फिलहाल कोविड-19 के मामलों में जो बढ़ोतरी देखी जा रही है, वह चिंता का कारण तो है लेकिन घबराने की बात नहीं है। बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं और अन्य बीमारियों से पीड़ित लोगों को विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है। विशेषज्ञों के अनुसार, समय रहते सतर्कता और सावधानी अपनाकर हालात को काबू में रखा जा सकता है।

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