आज यानि 25 दिसंबर 2024 को महाबोधि महाविहार, बोधगया के तत्वावधान में पूर्णिया के टैक्सी स्टैंड बुद्ध चौराहा पर नव बौद्ध संगठन, बिहार के बौद्ध परिवार, तथा पूर्णिया के धर्म मित्रों एवं बुद्ध विचारक बंधुओं द्वारा "अन्धविश्वास हटाओ, देश बचाओ" और "बाबा तेरा मिशन अधूरा, कैमरा वर्ग मिल करेगा पूरा” के नारों के साथ मनुस्मृति पुस्तक दहन कार्य शांति पूर्वक संपन्न किया।

 

बाबा साहब के सम्मान में मनुस्मृति दहन:

कार्यक्रम में शामिल बिमल कुमार जी ने बताया कि आज मनुस्मृति दिवस है और आज ही के दिन 25 दिसंबर 1927 को बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने विष भरा हुआ मनुस्मृति दहन किया था। इसलिए आज हम लोग मनुस्मृति को दहन कर समाज में एक समानता का एलान कर रहे हैं। बाबा साहेब ने कहा था कि सभी मनुष्य एक सामान हैं। जन्म से कोई बड़ा या छोटा नहीं होता है, बल्कि अपने कर्म से बड़ा या छोटा होता है। उसी पर हमलोग चल रहे हैं। बिमल कुमार ने बताया कि मनुस्मृति में लिखा है कि शूद्र को धन रखने का अधिकार नहीं है और वो जूठन खाने के लिए है, पुराना कपडा पहनने के लिए है। जो कि समानतावादी समाज में शोभनीय नहीं है। ये पूछने पर कि क्या इसके अलावे भी आप लोगों की कोई मांग है क्या? तो उन्होंने कहा "सत्ता पक्ष के जो लोग हैं वो हमेशा से हमारे आंबेडकर साहब का अपमान करते रहते हैं। उन्होंने साफ़ शब्दों में कहा कि माननीय गृह मंत्री अमित शाह जी जो संसद में बाबा साहब के लिए बोले हैं वह स्वीकार्य नहीं है। गृह मंत्री अमित शाह को माफ़ी मांगनी ही होगी उन्होंने बाबा साहब पर ऊँगली उठाई है।“

 

संविधान का अनुच्छेद 13 और 19 देश में लागू नहीं:

भारतीय मूल निवासी सत्संग मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबा नन्द किशोर साहब ने मीडिया को बताया कि देश में आर्टिकल 13 लागू नहीं है। आर्टिकल 13 कहता है कि संविधान लागू होने से पहले जितनी भी मान्यताएं हैं, प्रथाएं हैं वो सभी संविधान लागू होने के बाद शून्य हो जाएँगी। क्या ऐसा हुआ है? नहीं हुआ। आर्टिकल 19 कहता है हर नागरिक को बोलने का अधिकार है। अगर ऐसा है तो फिर जीतन राम मांझी के बयान पर कैसे किसी ने जीभ काटने के लिए इनाम घोषित कर दिया। आपको बता दें कि एक सभा में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री श्री मांझी ने कहा था कि जो ब्राह्मण मांस खाता है, शराब पीता है, उस से पूजा करवाना बंद कर दो। आरएसएस संविधान के विरुद्ध काम कर रहा है। ये भाजपा वाले कैसे काम कर रहे हैं? आरएसएस प्रमुख मोहन भगवत ने नया संविधान किस आधार पर और कैसे लिखा है। मोदी जी ने 15 लाख रूपये और दो करोड़ नौकरियां जैसे जुमला से अवगत करवा दिया, पहले तो जुमला शब्द जानते भी नहीं थे।वर्तमान सरकार हिन्दू राष्ट्र की बात करती है। क्या गृहमंत्री और प्रधानमंत्री को मालूम है कि हिन्दू शब्द क्या है और कौन सी भाषा से है?

 

एक और प्रबुद्ध ने बताया कि जब प्रधानमंत्री विदेश जाते हैं तो कहते हैं कि गौतम बुद्ध की धरती से आया हूँ और यहाँ सिर्फ राम जन्म भूमि का नाम लेते हैं। ये सब क्या है।

 

कई प्रबुद्ध कार्यक्रम में शामिल हुए:

इस मनुस्मृति दहन कार्यक्रम में मुख्य रूप से श्याम बाबू धम्माचार्य, राजेंद्र बौद्ध, ई पी एन सिंह, अधिवक्ता राणा यादव, विमल कुमार, बुद्ध विचारक से नंद किशोर बाबा, ब्रजकिशोर ठाकुर, अनिरुद्ध मेहता, सुरेश यादव, दिनेश शर्मा, कादिर खान, सच्चिदा नंद भारती, नवींद्र कुमार, सोनाक्षी कुमारी, नीलाक्षी कुमारी सहित कई अन्य लोग मौजूद थे ।

 

निष्कर्ष

25 दिसंबर 2024 को पूर्णिया के बुद्ध चौराहा पर नव बौद्ध संगठन, बौद्ध परिवारों और बुद्ध विचारकों ने शांतिपूर्ण तरीके से मनुस्मृति दहन का आयोजन किया। इस अवसर पर "अंधविश्वास हटाओ, देश बचाओ" और "बाबा तेरा मिशन अधूरा, कैमरा वर्ग मिल करेगा पूरा" जैसे नारों के साथ सामाजिक समानता की पुकार लगाई गई।

कार्यक्रम में विमल कुमार ने बाबा साहेब आंबेडकर के 1927 के मनुस्मृति दहन को स्मरण करते हुए जातिवाद और असमानता के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने पर बल दिया। नंद किशोर बाबा ने संविधान के अनुच्छेद 13 और 19 के सही क्रियान्वयन की मांग करते हुए वर्तमान सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए। उन्होंने आरएसएस और भाजपा पर संविधान विरोधी कार्यों के आरोप लगाए।

इस आयोजन में श्याम बाबू धम्माचार्य, राजेंद्र बौद्ध, अधिवक्ता राणा यादव और अन्य बुद्धिजीवी शामिल हुए। इसने सामाजिक न्याय, समानता, और संविधान की रक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को मजबूत किया।

 

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