पटना: बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) ने शिक्षक फैजल खान और गुरु एम रहमान को लीगल नोटिस भेजा है। आयोग ने इन शिक्षकों से कहा है कि उन्होंने आयोग पर कई निराधार आरोप लगाए हैं और इसके खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की है। बीपीएससी ने अपने वकील के जरिए यह नोटिस भेजा है, जिसमें कहा गया है कि उनके खिलाफ लगाये गए आरोपों का कोई ठोस आधार नहीं है। इसके साथ ही आयोग ने यह भी कहा कि ऐसे शिक्षकों से ऐसी भाषा की उम्मीद नहीं की जाती, जिनका समाज पर बड़ा प्रभाव होता है।

 

बीपीएससी ने खान सर से कहा कि उन्होंने आयोग को "बकलोल" और "बेशर्म" कहकर अपमानित किया। इस तरह की अपमानजनक टिप्पणियों और आरोपों से आयोग की छवि को गहरी चोट पहुंची है। बीपीएससी ने यह भी आरोप लगाया कि खान सर ने बिना पुष्टि किए 70वीं संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा में सामान्यीकरण के लागू होने को लेकर गलत सूचनाएं फैलायीं और छात्रों को भड़काया। इन अफवाहों ने छात्रों को बीपीएससी के खिलाफ विरोध करने के लिए उकसाया। बीपीएससी ने नोटिस में यह भी कहा कि खान सर ने यूट्यूब और समाचार चैनलों पर आयोग के अध्यक्ष के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की और अधिकारियों के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया।

बीपीएससी के अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की टिप्पणी न केवल आयोग की प्रतिष्ठा को धूमिल करती है, बल्कि इससे पूरे राज्य में गलत संदेश जाता है। आयोग ने कहा कि खान सर जैसे वरिष्ठ शिक्षकों से इस तरह की भाषा का इस्तेमाल न केवल अनुचित है, बल्कि यह छात्रों को भी गलत दिशा में प्रेरित करता है। बीपीएससी ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि खान सर और रहमान सर इन आरोपों का कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं करते, तो उनके खिलाफ विधि संगत कार्रवाई की जाएगी।

 

आयोग ने यह भी बताया कि बीपीएससी बिहार राज्य के तहत विभिन्न सेवाओं और पदों के लिए परीक्षाओं और साक्षात्कारों का आयोजन करता है और परीक्षा में योग्यता के आधार पर उम्मीदवारों की सिफारिश करता है। आयोग के कामकाजी तरीकों को लेकर इन शिक्षकों की टिप्पणियां न केवल अनुचित हैं, बल्कि इनसे पूरे परीक्षा प्रक्रिया पर सवाल उठाए जाते हैं, जो गलत है।

 

बीपीएससी ने खान सर और रहमान सर से जवाब मांगा है और कहा है कि यदि वे इन आरोपों का समर्थन करने के लिए कोई प्रमाण नहीं पेश करते, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

बीपीएससी के खिलाफ आरोपों को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है और इससे बिहार राज्य में परीक्षा प्रणाली पर एक नई बहस शुरू हो गई है।