नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय
(ED) द्वारा शराब नीति मामले में केस चलाने की अनुमति मिलने के बाद राजनीतिक और कानूनी
हलचल तेज हो गई है। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने शनिवार को इस मामले में केजरीवाल
के खिलाफ मुकदमा शुरू करने की मंजूरी दे दी।
क्या है मामला?
मार्च 2023 में ED ने केजरीवाल के खिलाफ प्रिवेंशन
ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत केस दर्ज किया था। इस मामले में 21 मार्च को
ED ने चार घंटे की पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के बाद उन्हें 1
अप्रैल को तिहाड़ जेल भेजा गया। हालांकि, कुछ समय बाद उन्हें जमानत मिल गई।
ED ने इस मामले में केजरीवाल के खिलाफ 7वीं चार्जशीट
दाखिल की थी। 9 जुलाई को ट्रायल कोर्ट ने इस चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए कहा कि केजरीवाल
के खिलाफ केस चलाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। इसके बावजूद ED को मामले में आगे बढ़ने
के लिए उपराज्यपाल की मंजूरी का इंतजार करना पड़ा।
केजरीवाल की कानूनी लड़ाई
चार्जशीट पर कार्रवाई को लेकर अरविंद केजरीवाल
ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। उन्होंने कहा कि ED ने जिन आरोपों का आधार बनाया
है, वे उस समय दिल्ली के मुख्यमंत्री और पब्लिक सर्वेंट के रूप में काम कर रहे थे।
इसलिए, उनके खिलाफ केस चलाने के लिए आवश्यक सरकारी मंजूरी नहीं थी।
हाईकोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी, जिसके बाद
मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने 6 नवंबर को अपने फैसले में कहा कि किसी
भी पब्लिक सर्वेंट के खिलाफ PMLA के तहत केस चलाने के लिए सरकार की मंजूरी आवश्यक है।
एलजी की मंजूरी और AAP की प्रतिक्रिया
ED द्वारा मंजूरी मिलने के बाद आम आदमी पार्टी
(AAP) ने इस कार्रवाई पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया
ने आरोप लगाया कि यह सरकार द्वारा ध्यान भटकाने की साजिश है। उन्होंने सवाल उठाया कि
ED द्वारा दी गई मंजूरी की कॉपी सार्वजनिक क्यों नहीं की जा रही।
AAP ने इस मुद्दे को बाबा साहेब अंबेडकर के अपमान
और दिल्ली सरकार द्वारा शुरू की गई अंबेडकर स्कॉलरशिप योजना से ध्यान भटकाने की कोशिश
करार दिया है।
राजनीतिक असर
इस मामले का राजनीतिक प्रभाव दिल्ली के आगामी विधानसभा
चुनावों पर पड़ सकता है। दिल्ली विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल फरवरी 2025 में समाप्त
हो रहा है, और अगले दो महीने में चुनाव संभावित हैं। पिछली बार, AAP ने 70 में से
62 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत हासिल किया था।
हालांकि, मौजूदा मामले में केजरीवाल की बढ़ती कानूनी
मुश्किलें उनकी पार्टी की छवि और चुनावी रणनीति को प्रभावित कर सकती हैं।
क्या होगा आगे?
अरविंद केजरीवाल ने इस मामले में अब तक 156 दिन
जेल में बिताए हैं। ED की चार्जशीट और एलजी की मंजूरी के बाद कानूनी प्रक्रिया तेज
होने की संभावना है। यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव से पहले इस मामले में कानूनी कार्रवाई
और राजनीतिक बयानबाजी किस दिशा में जाती है।
इस पूरे मामले ने एक बार फिर सरकार और विपक्ष के
बीच टकराव को सामने ला दिया है। जहां एक ओर AAP इसे राजनीतिक षड्यंत्र बता रही है,
वहीं दूसरी ओर विपक्ष इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के रूप में देख रहा है।
चित्र साभार: गूगल
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