नई दिल्ली (डॉ. गौतम पाण्डेय
रिपोर्ट): दिल्ली
के सीतापुरी डाबरी इलाके में एक बेहद दर्दनाक और हृदयविदारक घटना घटी है, जिसने न सिर्फ
मानवता को शर्मसार किया है, बल्कि दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े
कर दिए हैं।
जानकारी के मुताबिक, 21–22 साल
के एक युवक ने अपनी ही पड़ोस में रहने वाली 12 साल की मासूम बच्ची के सिर को दरवाजे
की चौखट पर पटक कर पहले उसे बेहोश किया। इसके बाद उसके हाथ-पैर बांध कर दरिंदगी की
सारी हदें पार कर दीं। जब यह डर सताने लगा कि बच्ची उसके खिलाफ कुछ बता न दे, तो उसने
उसी की चुनरी से गला घोंट कर उसकी हत्या कर दी। फिर घर में लूटपाट कर फरार हो गया।
यह सनसनीखेज वारदात 29 मई को
दोपहर करीब 12 बजे की है, जब बच्ची घर पर अकेली थी और उसकी मां काम पर गई हुई थी। पड़ोसियों
और रिश्तेदारों ने मिलकर बच्ची को अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित
कर दिया। फिलहाल पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की प्रतीक्षा की जा रही है।
इस पूरी घटना को 'एक और निर्भया
कांड' कहा जाए तो गलत नहीं होगा।
22 केस वाला अपराधी खुलेआम घूमता
रहा – पुलिस क्या कर रही थी?
पीड़िता के मामा मेराज सिद्दीकी
ने जो जानकारी दी, वह बेहद चौंकाने वाली है। उन्होंने बताया कि जिस युवक ने यह जघन्य
अपराध किया, उस पर पहले से ही 22 से 23 केस दर्ज हैं। इतना बड़ा आपराधिक रिकॉर्ड रखने
वाला व्यक्ति देश की राजधानी दिल्ली में, वो भी डाबरी थाने से महज 20–25 मीटर दूरी
पर, खुलेआम कैसे घूमता रहा?
घटना दिनदहाड़े होती है, चीख-पुकार
मचती है, लेकिन डाबरी पुलिस पूरी तरह निष्क्रिय बनी रहती है। कई घंटों बाद जब स्थानीय
लोग और परिजन विरोध में सड़क पर उतरते हैं, तब जाकर पुलिस और आला अधिकारी हरकत में
आते हैं।
पुलिस की कार्यशैली पर उठे सवाल
मेराज ने बताया कि घटना के दो
दिन बाद जब परिवार ने आरोपी के बारे में जानकारी मांगी, तो पुलिस ने कहा कि उसे गिरफ्तार
कर लिया गया है। लेकिन न तो पीड़ित परिवार को इसकी सूचना दी गई, और न ही उन्हें FIR
की कॉपी दी गई। बताया गया कि आरोपी उत्तर प्रदेश का निवासी है।
मेराज ने केंद्र सरकार के ‘बेटी
बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान पर सवाल उठाते हुए कहा कि दिल्ली में कोई भी बेटी सुरक्षित
नहीं है, खासकर वो बेटियां जो बिहार या अन्य राज्यों से दिल्ली रोज़ी-रोटी के लिए आती
हैं।
राजनीतिक जिम्मेदारी और नैतिक
सवाल
दिल्ली और केंद्र – दोनों जगह
NDA की सरकार है। दिल्ली पुलिस सीधे केंद्र सरकार के अधीन आती है, ऐसे में गृह मंत्री
अमित शाह की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है कि ऐसे मामलों में त्वरित और कठोर कार्रवाई
हो।
“क्या गृह मंत्री अमित शाह इस
घटना को गंभीरता से लेकर, दिल्ली पुलिस को सख्त निर्देश देंगे कि आरोपी को जल्द से
जल्द कोर्ट में पेश कर फास्ट-ट्रैक कोर्ट के जरिए उसे फांसी की सजा दिलाई जाए”? यही पीड़ित परिवार की मांग है।
सवाल विपक्ष और नेताओं से भी
हैं
इस गंभीर मसले पर विपक्ष को भी
आगे आकर आवाज उठानी चाहिए, ना कि सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी तक सीमित रहना चाहिए।
पीड़ित परिवार बिहार के सुपौल
जिले के त्रिवेणीगंज का रहने वाला है। कुछ परिजन रामबाग, पूर्णिया में रहते हैं। मेराज
ने बताया कि उन्होंने सैकड़ों बार पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव को फोन किया, लेकिन
उनके पीए ने बात तक नहीं करवाई। क्या ‘जनता के मसीहा’ कहलाने वाले पप्पू यादव को इस
घटना से कोई फर्क नहीं पड़ता? जब आप पूरे देश की बात करते हैं, तो क्या आपको देश की
एक मासूम बच्ची की मौत पर चुप रहना शोभा देता है?
नीतीश कुमार और बिहार सरकार की
भूमिका
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
से भी सवाल है कि क्या उनकी अंतरात्मा इस घटना से झकझोरेगी? क्या यह सोचने का वक्त
नहीं है कि बिहार की बेटियों को दूसरे राज्यों में क्यों जाना पड़ता है?
अगर पिछले 17 वर्षों में बिहार
में पर्याप्त रोजगार के अवसर उत्पन्न किए गए होते, तो शायद यह बच्ची आज जीवित होती।
'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' जैसे नारे अगर ज़मीन पर नहीं उतरते, तो वे केवल खोखले
राजनीतिक भाषण बनकर रह जाते हैं।
न्याय की पुकार और हमारी जिम्मेदारी
हम अदालत से भी निवेदन करते हैं
कि इस मामले की त्वरित सुनवाई हो और आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा, यानी फांसी,
दी जाए ताकि भविष्य में कोई ऐसा कुकृत्य करने से पहले सौ बार सोचने को मजबूर हो।
इस घटना से जुड़ी हर छोटी-बड़ी
जानकारी आपको www.gpnbihar.com पर मिलेगी। इस खबर को ज्यादा - से - ज्यादा लोगों
को शेयर करें ताकि ये आवाज़ संसद तक गूंजे। नीचे से ऊपर तक, हर सरकारी महकमे
और ज़िम्मेदार व्यक्ति तक पहुंचे। हमें उम्मीद है कि इस बार जनता की आवाज़ को दबाया
नहीं जाएगा।
बने रहें हमारे साथ — क्योंकि
एक बेटी का इंसाफ पूरे देश की ज़िम्मेदारी है।
वीडियो के लिए यहाँ क्लिक करें:
https://youtu.be/8Owtw6vmvOE
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