नई दिल्ली: 12 जून 2025 को एयर इंडिया की एक इंटरनेशनल फ्लाइट AI-179, जो अहमदाबाद से लंदन के गेटविक एयरपोर्ट जा रही थी, उड़ान के दौरान गंभीर तकनीकी दिक्कतों का सामना करने के बाद आपातकालीन लैंडिंग के लिए मजबूर हुई। इस हादसे ने न केवल यात्रियों को दहशत में डाल दिया, बल्कि भारतीय एविएशन सेक्टर को भी हिला कर रख दिया है। शुरुआती रिपोर्ट्स में इंजन फेल होने की बात सामने आई, लेकिन अब ब्लैक बॉक्स जांच के दौरान साजिश की आशंका जताई जा रही है।
हादसे की जानकारी:
विमान में कुल 281 यात्री और 12 क्रू मेंबर सवार थे। टेकऑफ के करीब 40 मिनट बाद पायलट को इंजन नंबर दो में थ्रस्ट की असमानता महसूस हुई। थोड़ी ही देर में वह इंजन पूरी तरह बंद हो गया। पायलट ने तुरंत कंट्रोल टॉवर से संपर्क किया और फ्लाइट को मुंबई डायवर्ट कर इमरजेंसी लैंडिंग की। सौभाग्यवश किसी को गंभीर चोट नहीं आई।
जांच की दिशा:
DGCA (नागर विमानन महानिदेशालय) और एयर इंडिया की टेक्निकल टीम ने तत्काल ब्लैक बॉक्स को रिकवर कर लिया। अब तक की जांच में दो बातें प्रमुख रूप से सामने आई हैं:
- इंजन में पाया गया एक फॉरेन ऑब्जेक्ट (विदेशी वस्तु) संदिग्ध है, जिसे जानबूझकर डैमेज करने के लिए डाला गया हो सकता है।
- मेंटेनेंस रिकॉर्ड में कुछ गड़बड़ी या जानबूझकर की गई हेराफेरी के संकेत मिले हैं।
साजिश की आशंका:
जांच एजेंसियों ने अब इस घटना को सिर्फ एक तकनीकी गड़बड़ी नहीं माना है। सुरक्षा एजेंसियों ने फ्लाइट टेक्निकल क्रू और ग्राउंड मेंटेनेंस स्टाफ से गहन पूछताछ शुरू कर दी है। संभावना है कि यह एक आतंकी साजिश या कॉर्पोरेट साजिश का हिस्सा हो सकती है।
सूत्रों के मुताबिक, ब्लैक बॉक्स से मिले ऑडियो में एक "अनियमित ध्वनि" की पहचान की गई है जो इंजन बंद होने से कुछ सेकंड पहले रिकॉर्ड हुई थी। इसकी फॉरेंसिक जांच की जा रही है।
एयर इंडिया की प्रतिक्रिया:
एयर इंडिया ने सभी यात्रियों को सुरक्षित रखने और त्वरित लैंडिंग कराने के लिए क्रू की सराहना की है। साथ ही, यह आश्वासन दिया है कि सभी सुरक्षा मानकों की पुन: समीक्षा की जाएगी। एयरलाइन ने इस घटना की पारदर्शी जांच का समर्थन किया है।
निष्कर्ष:
यह हादसा भारतीय विमानन सुरक्षा प्रणाली को एक बार फिर कटघरे में खड़ा करता है। यदि यह साजिश साबित होती है, तो यह न केवल एयर इंडिया के लिए, बल्कि पूरे देश की सुरक्षा व्यवस्था के लिए एक गंभीर चेतावनी होगी। यात्रियों की सुरक्षा सर्वोपरि है और ऐसे मामलों में शून्य सहनशीलता (Zero Tolerance) आवश्यक है।
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