पटना: नीति आयोग की हालिया रिपोर्ट
ने बिहार में शिक्षा और विकास से जुड़े मुद्दों पर गहरी बहस को जन्म दिया है। रिपोर्ट
में बिहार के प्रदर्शन को बेहद चिंताजनक बताया गया है, खासकर शिक्षा के क्षेत्र में।
इस संदर्भ में कांग्रेस अध्यक्ष ने नीतीश सरकार की तीखी आलोचना की और राज्य के शैक्षिक
एवं विकासात्मक पहलुओं पर कई सवाल उठाए।
नीति आयोग की रिपोर्ट पर कांग्रेस
की टिप्पणी
कांग्रेस अध्यक्ष ने नीति आयोग
की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि बिहार शिक्षा के मामले में Sustainable
Development Goals (SDG) इंडेक्स में सबसे निचले पायदान पर है। रिपोर्ट के अनुसार,
राज्य की ग्रामीण साक्षरता दर केवल 43% है, जो राष्ट्रीय औसत से काफी कम है। यह आंकड़ा
बिहार की शिक्षा व्यवस्था की गंभीर खामियों को उजागर करता है। उन्होंने कहा कि इतने
सालों के शासन के बावजूद राज्य सरकार शिक्षा के बुनियादी ढांचे को सुधारने में नाकाम
रही है।
ग्रामीण साक्षरता दर पर सवाल
ग्रामीण साक्षरता दर का 43% तक
सीमित रहना एक बड़ी समस्या है। यह दर्शाता है कि गांवों में न केवल स्कूलों की संख्या
कम है, बल्कि वहां की शिक्षा व्यवस्था भी उपेक्षित है। बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर
और शिक्षकों की कमी जैसे मुद्दों पर सरकार का ध्यान नहीं है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा
कि शिक्षा के क्षेत्र में इतनी बड़ी गिरावट राज्य के विकास को बाधित करती है।
केंद्र सरकार के बिहार पैकेज
को छलावा बताया
कांग्रेस अध्यक्ष ने न केवल राज्य
सरकार, बल्कि केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने केंद्र सरकार के बिहार पैकेज
को छलावा करार दिया। उनका कहना था कि इस पैकेज के तहत वादे किए गए कई विकास कार्य आज
तक पूरे नहीं हुए हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों ने
मिलकर बिहार के लोगों के साथ धोखा किया है।
विकास के अन्य मुद्दे
कांग्रेस ने सिर्फ शिक्षा ही
नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे और रोजगार के क्षेत्र में भी बिहार सरकार की
विफलताओं की ओर इशारा किया।
- स्वास्थ्य: ग्रामीण क्षेत्रों में
स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और अस्पतालों की बदहाल स्थिति का जिक्र किया गया।
- बुनियादी
ढांचा:
सड़कों, बिजली और जल आपूर्ति के क्षेत्र में भी सुधार की धीमी गति की आलोचना की
गई।
- रोजगार: रोजगार के अवसरों की कमी
और प्रवासी मजदूरों की बदतर स्थिति को भी उजागर किया गया।
नीतीश सरकार की चुनौती
नीतीश सरकार के लिए यह रिपोर्ट
और कांग्रेस की आलोचना एक बड़ी चुनौती है। शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए सरकार
को तुरंत प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती, छात्रों
के लिए आधुनिक सुविधाएं, और शिक्षा के लिए बजट बढ़ाने जैसे कदम उठाने होंगे।
आगे की राह
बिहार के विकास के लिए शिक्षा
पर विशेष ध्यान देना होगा। यह रिपोर्ट राज्य सरकार के लिए एक चेतावनी है कि अगर सुधारात्मक
कदम नहीं उठाए गए, तो यह स्थिति और गंभीर हो सकती है। कांग्रेस के आरोपों और नीति आयोग
की रिपोर्ट ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि विकास के वादे केवल कागज पर नहीं,
बल्कि जमीन पर दिखने चाहिए।
कुल मिलाकर, नीति आयोग की रिपोर्ट
के बाद बिहार की शिक्षा व्यवस्था और विकासात्मक नीति पर गंभीर चर्चा की आवश्यकता है।
सरकार को जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए त्वरित और प्रभावी कदम उठाने होंगे।
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