पटना/पूर्णिया/दरभंगा: बिहार में मौसम की सटीक निगरानी
और पूर्वानुमान के लिए तकनीकी बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ किया जा रहा है। भारत मौसम
विज्ञान विभाग (IMD) के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्रा ने घोषणा की है कि राज्य
के पूर्णिया और दरभंगा जिलों में डॉप्लर वेदर रडार लगाने की प्रक्रिया जारी है। यह
कदम प्रदेश में मौसम की निगरानी प्रणाली को नई ऊंचाई देने के उद्देश्य से उठाया गया
है।
पूर्णिया और दरभंगा में नई रडार
की स्थापना
डॉ. महापात्रा ने बताया कि मालदा
और बनारस में भी डॉप्लर रडार स्थापित किए जा रहे हैं। इनसे क्रमशः बिहार के दक्षिण-पूर्व
और दक्षिण-पश्चिम जिलों के मौसम की सटीक जानकारी उपलब्ध होगी। वर्तमान में पटना में
पहले से ही एक डॉप्लर वेदर रडार मौजूद है, लेकिन नए रडार की स्थापना से मौसम संबंधी
पूर्वानुमान को अधिक व्यापक और सटीक बनाया जा सकेगा। यह प्रणाली विशेष रूप से किसानों
और आम जनता के लिए वरदान साबित होगी, क्योंकि इससे अचानक होने वाले जलवायु परिवर्तनों
के कारण उत्पन्न चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी।
पंचायत स्तर पर ऑटोमेटिक वेदर
सिस्टम
मौसम विभाग के 150वें स्थापना
दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए डॉ. महापात्रा ने कहा कि बिहार की
सभी पंचायतों में ऑटोमेटिक वेदर सिस्टम (AWS) मशीनें स्थापित की जाएंगी। इससे ग्रामीण
स्तर पर भी मौसम की सही और समय पर जानकारी उपलब्ध कराई जा सकेगी। यह पहल राज्य के कृषि
और आपदा प्रबंधन तंत्र को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाएगी।
जलवायु परिवर्तन की चुनौतियां
डॉ. महापात्रा ने बताया कि वर्तमान
में जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम की सटीक जानकारी देना चुनौतीपूर्ण हो गया है। उन्होंने
कहा, “जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से मौसम संबंधी कई बदलाव अचानक देखने को मिल रहे हैं।
ऐसे में सटीक पूर्वानुमान देना कठिन हो गया है। लेकिन IMD इस दिशा में लगातार प्रयासरत
है।”
शीत दिवसों में कमी के संकेत
महापात्रा ने यह भी जानकारी दी
कि दिसंबर से फरवरी तक शीत दिवसों की संख्या में कमी आने की संभावना है। इसके पीछे
जलवायु परिवर्तन, सामान्य से अधिक तापमान और अन्य कारण प्रमुख हैं। हालांकि, उन्होंने
यह स्पष्ट किया कि शीत दिवस पूरी तरह समाप्त नहीं होंगे। मौसम विभाग का मुख्य उद्देश्य
लोगों को पूर्वानुमान के माध्यम से सटीक जानकारी देना है, जिससे वे बदलते मौसम के अनुकूल
अपनी तैयारी कर सकें।
मौसम विभाग में नई तकनीक और बढ़ता
विश्वास
मौसम विभाग ने हाल के वर्षों
में तकनीकी सुधार और वैज्ञानिक नवाचारों के जरिए जनता के विश्वास को मजबूत किया है।
IMD द्वारा अधिक सटीक और समयबद्ध जानकारी उपलब्ध कराने से कृषि, आपदा प्रबंधन और दैनिक
जीवन में लोगों को महत्वपूर्ण मदद मिल रही है। डॉप्लर वेदर रडार जैसी तकनीकें अब ग्रामीण
और शहरी क्षेत्रों में भी मौसम संबंधी अनिश्चितताओं को कम करने में सहायक होंगी।
निष्कर्ष: भविष्य की राह
बिहार में डॉप्लर रडार और ऑटोमेटिक
वेदर सिस्टम जैसी तकनीकों का विस्तार राज्य में मौसम निगरानी और पूर्वानुमान प्रणाली
के लिए एक नई दिशा प्रदान करेगा। इससे न केवल लोगों को सटीक जानकारी मिलेगी, बल्कि
जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों से निपटने में भी मदद मिलेगी। यह पहल प्रदेश के
विकास और स्थिरता के लिए एक सकारात्मक कदम है।
चित्र साभार: गूगल
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