पूर्णिया (डॉ. गौतम पाण्डेय): नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और रॉबर्ट वाड्रा से पूछताछ के खिलाफ कांग्रेस पार्टी और उसके समर्थकों द्वारा देशभर में उग्र प्रदर्शन किए गए। इन प्रदर्शनों ने राजनीतिक और कानूनी हलकों में तीव्र बहस को जन्म दिया है कि क्या ऐसे विरोध प्रदर्शन लोकतांत्रिक अधिकारों के अंतर्गत आते हैं या फिर ये कानून व्यवस्था में बाधा उत्पन्न करते हैं।​

 

ईडी ने गांधी परिवार पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाए हैं, जिसमें आरोप है कि उन्होंने यंग इंडियन नामक एक शेल कंपनी के माध्यम से नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़े 300 मिलियन डॉलर मूल्य की संपत्तियों का अवैध अधिग्रहण किया। कांग्रेस पार्टी ने इन आरोपों को राजनीतिक प्रतिशोध बताया है और कहा है कि यह मोदी सरकार द्वारा विपक्षी नेताओं को दबाने की रणनीति का हिस्सा है। ​

 

सोनिया गांधी की ईडी में पेशी के दौरान, दिल्ली सहित देश के विभिन्न हिस्सों में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किए। दिल्ली में, लगभग 75 कांग्रेस सांसदों को पुलिस ने हिरासत में लिया, जिनमें मल्लिकार्जुन खड़गे, अधीर रंजन चौधरी, पी. चिदंबरम और शशि थरूर जैसे वरिष्ठ नेता शामिल थे। चंडीगढ़ और नागपुर में भी पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए वाटर कैनन का इस्तेमाल किया।

 

कांग्रेस पार्टी का कहना है कि ईडी की कार्रवाई विपक्षी नेताओं को डराने और बदनाम करने की साजिश है। पार्टी ने इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया है और कहा है कि सरकार जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। ​

 

हालांकि, भाजपा का कहना है कि कानून अपना काम कर रहा है और किसी को भी कानून से ऊपर नहीं होना चाहिए। पार्टी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि वह गांधी परिवार को बचाने के लिए लोकतंत्र की आड़ ले रही है।​

 

विशेषज्ञों का मानना है कि लोकतंत्र में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का अधिकार सभी को है, लेकिन जब ये प्रदर्शन हिंसक हो जाएं या सार्वजनिक व्यवस्था में बाधा उत्पन्न करें, तो यह चिंता का विषय बन जाता है। कानून व्यवस्था बनाए रखना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन साथ ही नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।​

 

नेशनल हेराल्ड मामला और इसके खिलाफ कांग्रेस के प्रदर्शन ने देश की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह मामला किस दिशा में जाता है और इसका भारतीय लोकतंत्र पर क्या प्रभाव पड़ता है।​

(GPNBihar)