2024 के 25 प्रमुख घटनाओं का विवरण


 

पूर्णिया से डॉ. गौतम पाण्डेय: साल 2024 में भारत और विश्व में कई महत्वपूर्ण घटनाएं घटीं, जिन्होंने समाज, राजनीति, और पर्यावरण पर गहरा प्रभाव डाला। कई मायनों में यह साल एक उथल-पुथल भरा रहा। दुनिया भर में राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक मोर्चों पर कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं। आइए, 2024 की कुछ प्रमुख घटनाओं पर एक नजर डालते हैं:

 

तीसरी बार पीएम बने नरेंद्र मोदी:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर से सरकार बनाई, जिससे देश की राजनीतिक दिशा में निरंतरता बनी रही। 19 अप्रैल से 1 जून 2024 के बीच सात चरणों में आम चुनाव हुए। चुनाव परिणाम चार जून को जारी किया गया। भाजपा ने पूर्ण बहुमत प्राप्त नहीं किया, लेकिन नीतीश कुमार की जेडीयू और चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी के समर्थन से नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने। लोकसभा चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को 292 सीटों पर जीत हासिल हुई। उसने आसानी से बहुमत हासिल कर लिया। विपक्षी दलों का इंडी गठबंधन 234 सीटों पर ही जीत दर्ज कर सका।

 

वायनाड भूस्खलन:

केरल के वायनाड जिले में 2024 में भीषण भूस्खलन ने भारी तबाही मचाई। इस प्राकृतिक आपदा में 231 से अधिक लोगों की जान चली गई और हजारों लोग बेघर हो गए। भूस्खलन ने सैकड़ों मकानों, सड़कों और पुलों को नष्ट कर दिया, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। राहत और बचाव कार्य में प्रशासन ने तेजी दिखाई, लेकिन तबाही की व्यापकता के कारण सामान्य स्थिति बहाल करने में समय लगा। इस त्रासदी से लगभग 1200 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ। वायनाड भूस्खलन ने पर्यावरण संरक्षण और आपदा प्रबंधन की दिशा में नए सिरे से सोचने की आवश्यकता पर बल दिया।

 

तिरुपति लड्डू विवाद:

तिरुपति मंदिर के प्रसाद लड्डू में जानवरों की चर्बी के इस्तेमाल के आरोप लगे, जिससे धार्मिक समुदायों में आक्रोश फैल गया और मंदिर प्रशासन को कठघरे में खड़ा किया गया। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने तिरुपति मंदिर के प्रसाद में घी की गुणवत्ता पर सवाल उठाए, जिससे धार्मिक और राजनीतिक विवाद उत्पन्न हुआ।

 

कोलकाता रेप कांड:

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया। इस घटना के बाद देशव्यापी प्रदर्शन हुए और कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठे। रेप और हत्या की घटना ने पूरे देश में आक्रोश पैदा किया, जिससे महिला सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठे।

 

यह शर्मनाक घटना न केवल कोलकाता, बल्कि पूरे भारत में महिला सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठाने का कारण बनी। घटना के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए, जहां लोगों ने अपराधियों को कठोर सजा दिलवाने की मांग की। कानून-व्यवस्था की स्थिति पर भी सवाल उठे, और महिला सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए सरकार और समाज से सख्त कदम उठाने की अपील की गई। इस कांड ने देश में आक्रोश और चिंतन को जन्म दिया।

 

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन:

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन से देश में गहरा शोक व्याप्त हो गया। उनकी सादगी, विद्वता और आर्थिक सुधारों में उनके योगदान को देश हमेशा याद करेगा। डॉ. सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान देश को नई आर्थिक दिशा दी और विश्व स्तर पर भारत की साख मजबूत की। उनके निधन पर राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक जगत के लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित की। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने उनकी सेवाओं को सराहा। डॉ. मनमोहन सिंह का जाना भारत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनका योगदान सदैव प्रेरणा देता रहेगा।

 

भारत और कनाडा के बिगड़ते रिश्ते:

2024 में भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संबंधों में तनाव बढ़ा, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान प्रभावित हुआ। खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद भारत और कनाडा के बीच कूटनीतिक तनाव बढ़ा, जिसमें भारत ने कनाडा के छह राजनयिकों को निष्कासित कर दिया।

 

राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा:

अयोध्या में राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह आयोजित हुआ, जिसमें देश-विदेश से श्रद्धालुओं ने भाग लिया। यह घटना भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक इतिहास में महत्वपूर्ण मानी गई। 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में राम मंदिर में राम लला की मूर्ति का प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश के लगभग 7000 गणमान्य शामिल हुए।

 

आदित्य-L1 की सफल लॉन्चिंग:

2024 में भारत के पहले सोलर मिशन आदित्य-L1 ने सूर्य का अध्ययन करने के लिए सफलता प्राप्त की। इस मिशन के जरिए वैज्ञानिकों को सूर्य के कोरोना, सोलर हवाओं और मैग्नेटिक फील्ड्स के बारे में नई जानकारियाँ मिलीं। इसरो की इस उपलब्धि ने अंतरिक्ष विज्ञान में भारत की प्रतिष्ठा को और बढ़ाया।

 

अयोध्या में भाजपा की हार:

अयोध्या में हुए चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा, जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी। राम मंदिर के उद्घाटन और धार्मिक भावनाओं को प्रमुख मुद्दा बनाने के बावजूद भाजपा का हारना विश्लेषकों के लिए चौंकाने वाला रहा। विपक्षी दलों ने इसे भाजपा की नीतियों और जनता की बदलती प्राथमिकताओं का संकेत बताया। इस हार ने भाजपा के चुनावी रणनीतिकारों को आत्ममंथन के लिए मजबूर कर दिया। अयोध्या में भाजपा की हार ने यह सवाल उठाया कि क्या धार्मिक मुद्दे अब चुनावी जीत की गारंटी नहीं रहे, या जनता ने विकास को प्राथमिकता दी है।

 

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव:

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में भाजपा, शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) और अजित पवार की एनसीपी की महायुति ने अप्रत्याशित जीत दर्ज की, जिससे राज्य की राजनीति में नया समीकरण उभरा। इस जीत ने महा विकास आघाड़ी (एमवीए) को बड़ा झटका दिया, जिसमें शिवसेना (उद्धव गुट), कांग्रेस और एनसीपी (शरद पवार गुट) शामिल थे। महायुति की जीत को प्रभावी चुनावी रणनीति और मजबूत गठबंधन का नतीजा माना गया। दूसरी ओर, एमवीए के नेताओं ने हार के बाद आत्ममंथन की बात कही। इस चुनाव परिणाम ने महाराष्ट्र की राजनीति की दिशा और राज्य की नीतियों पर गहरा प्रभाव डाला।

 

अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी:

आम आदमी पार्टी के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शराब नीति में कथित मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया। इस गिरफ्तारी ने दिल्ली की राजनीति में भूचाल ला दिया और विपक्षी दलों को भाजपा पर राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप लगाने का मौका दिया। आम आदमी पार्टी ने इसे केजरीवाल को बदनाम करने की साजिश बताया, जबकि भाजपा ने आरोपों की गंभीरता पर जोर दिया। उनकी गिरफ्तारी के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए, और केजरीवाल समर्थकों ने इसे लोकतंत्र पर हमला करार दिया। इस घटना ने राष्ट्रीय राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया।

 

मणिपुर में जातीय हिंसा:

मणिपुर में मई 2023 से शुरू हुई जातीय हिंसा 2024 में भी जारी रही, जिससे राज्य की स्थिति गंभीर होती गई। मणिपुर के विभिन्न समुदायों के बीच संघर्ष ने बड़ी संख्या में जान-माल का नुकसान किया और हजारों लोग बेघर हो गए। हिंसा के चलते राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ती गई, और हिंसा रोकने के लिए केंद्रीय सरकार ने कई बार हस्तक्षेप किया। इस हिंसा के चलते राष्ट्रपति शासन लागू करने की संभावना पर चर्चा तेज हो गई। मणिपुर के लोग शांति और स्थिरता की उम्मीद में राहत की मांग कर रहे हैं।

 

भारत की G20 अध्यक्षता:

भारत ने 2024 में G20 शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता की, जो वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक मामलों पर महत्वपूर्ण चर्चा का केंद्र बना। सम्मेलन में दुनिया भर के प्रमुख नेताओं ने भाग लिया और वैश्विक आर्थिक वृद्धि, व्यापार, पर्यावरण, ऊर्जा सुरक्षा, और विकास के मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। भारत ने अपने अध्यक्षता के दौरान समावेशी विकास, जलवायु परिवर्तन, डिजिटल अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य जैसे अहम विषयों पर जोर दिया। भारत की अध्यक्षता ने वैश्विक मंच पर उसकी बढ़ती कूटनीतिक ताकत को उजागर किया और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के महत्व को पुनः स्थापित किया।

 

भारत में 5G नेटवर्क का विस्तार:

भारत में 2024 में 5G नेटवर्क का विस्तार तेजी से हुआ, जिससे डिजिटल कनेक्टिविटी में सुधार और तकनीकी विकास को बढ़ावा मिला। 5G सेवाओं के लॉन्च ने उच्च गति इंटरनेट, बेहतर डेटा ट्रांसमिशन और कम विलंबता जैसी सुविधाएँ प्रदान की, जिससे व्यवसाय, शिक्षा, स्वास्थ्य और मनोरंजन के क्षेत्र में नई संभावनाएँ खुली। इसके माध्यम से स्मार्ट सिटी, ऑटोमेशन, और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) जैसे प्रौद्योगिकी क्षेत्रों को भी बढ़ावा मिला। 5G नेटवर्क के विस्तार से देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिली और भारत को वैश्विक तकनीकी प्रतिस्पर्धा में मजबूती मिली।

 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2024 का कार्यान्वयन:

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2024 का कार्यान्वयन शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण सुधारों का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य इसे अधिक समावेशी, आधुनिक और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सक्षम बनाना है। नई नीति के तहत, कक्षा 5 तक शिक्षा का माध्यम स्थानीय भाषाओं में होगा, और 12वीं कक्षा तक वैकल्पिक विषयों का विकल्प मिलेगा। इससे छात्रों को अपनी रुचि के अनुसार शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। इसके अलावा, डिजिटल शिक्षा, अनुसंधान और कौशल विकास को प्राथमिकता दी जाएगी। इस नीति का उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के माध्यम से देश में सशक्त और सक्षम मानव संसाधन का निर्माण करना है।

 

आर्थिक विकास में वृद्धि:

वर्ष 2024 में भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की गई, जिससे देश की वैश्विक आर्थिक स्थिति मजबूत हुई। सरकारी नीतियों, विदेशी निवेश, और घरेलू उत्पादन में वृद्धि ने भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी। विशेष रूप से कृषि, निर्माण, और सेवा क्षेत्रों में सुधार हुआ, जिससे रोजगार सृजन और आय में वृद्धि हुई। डिजिटल और हरित अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करने से दीर्घकालिक विकास की संभावनाएँ मजबूत हुईं। इसके अलावा, भारत ने वैश्विक बाजारों में अपनी साख बढ़ाई और प्रमुख आर्थिक मंचों पर सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की, जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार में मजबूती आई।

 

प्रियंका गांधी का चुनावी पर्दापण: 

इस साल प्रियंका गांधी वाड्रा ने राजनीति में सक्रिय रूप से पदार्पण किया है। बता दें कि लोकसभा चुनाव 2024 में राहुल गांधी ने यूपी की रायबरेली और केरल की वायनाड सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा। कांग्रेस नेता राहुल ने दोनों ही सीटों पर शानदार जीत दर्ज की थी। इसके बाद राहुल गांधी ने वायनाड सीट छोडने का फैसला किया। राहुल गांधी द्वारा वायनाड सीट छोडने पर यहां पर उपचुनाव हुए। इस सीट पर कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को उतारा और उन्होंने शानदार जीत दर्ज की और पहली बार संसद पहुंचीं।

 

हरियाणा विधानसभा चुनाव:

2024 के हरियाणा विधानसभा चुनाव परिणाम ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी। एक्जिट पोल में कांग्रेस की जीत की भविष्यवाणी की जा रही थी, लेकिन चुनाव परिणाम इसके विपरीत आए। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपनी सत्ता बरकरार रखी और राज्य में अपना प्रभाव मजबूत किया। बीजेपी ने नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री के रूप में चुना, जो पार्टी के लिए एक रणनीतिक कदम था। इस अप्रत्याशित परिणाम ने यह साबित कर दिया कि हरियाणा की राजनीति में बीजेपी की पकड़ अभी भी मजबूत है, और कांग्रेस को अपनी रणनीति पर पुनः विचार करने की आवश्यकता है।

 

जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव:

2024 में जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव हुए, जो एक दशक बाद आयोजित किए गए। पूरे देश की नजरें इस चुनाव पर थीं, खासकर अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के बाद यह पहला चुनाव था। कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने मिलकर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। उमर अब्दुल्ला को जम्मू कश्मीर का मुख्यमंत्री बनाया गया, जो कश्मीर घाटी में एक प्रमुख नेता के रूप में उभरे। इस चुनाव ने जम्मू कश्मीर की राजनीतिक दिशा को नया मोड़ दिया और क्षेत्रीय दलों की मजबूती को दर्शाया, साथ ही राज्य की राजनीतिक स्थिरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।

 

अमेरिकी चुनाव:

2024 में हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार कमला हैरिस को हराकर जीत हासिल की। यह जीत उन्हें 132 वर्षों में दूसरा, गैर-लगातार कार्यकाल जीतने वाला पहला राष्ट्रपति बनाती है। ट्रंप की जीत ने वैश्विक राजनीति पर गहरा प्रभाव डाला। उनकी विदेश नीति में संभावित बदलाव, व्यापार समझौतों की पुनरावलोकन, और जलवायु परिवर्तन जैसे वैश्विक मुद्दों पर उनकी नीतियों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चर्चाएँ शुरू कर दीं। विशेषकर, चीन-अमेरिका संबंधों में संभावित बदलाव और यूरोपीय देशों के साथ व्यापारिक संबंधों पर ध्यान केंद्रित किया गया। इस चुनाव परिणाम ने वैश्विक कूटनीति और आर्थिक नीतियों में महत्वपूर्ण बदलावों की संभावना को जन्म दिया।

 

इजरायल-गजा संघर्ष:

2024 में इजरायल और गजा के बीच हुआ संघर्ष अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए गहरी चिंता का विषय बन गया। इस हिंसक टकराव में सैकड़ों लोगों की जान चली गई और हजारों लोग बेघर हो गए। संघर्ष ने क्षेत्र में मानवीय संकट को और गहरा कर दिया, जिसमें बच्चों और महिलाओं सहित निर्दोष नागरिकों को भारी नुकसान झेलना पड़ा। अंतरराष्ट्रीय संगठनों और देशों ने हिंसा समाप्त करने और शांति बहाल करने की अपील की। इस संघर्ष ने क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ावा दिया और दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि भविष्य में ऐसे टकरावों से बचा जा सके।

 

रूस-यूक्रेन युद्ध:

रूस-यूक्रेन युद्ध, जो 24 फरवरी 2022 को शुरू हुआ था, 2024 में भी थमता नजर नहीं आया। इस युद्ध में दोनों पक्षों के बीच भीषण गोलाबारी हुई, जिससे लाखों लोग बेघर हो गए और मानवीय संकट ने विकराल रूप ले लिया। सैकड़ों लोगों की जान गई और बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुँचा। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने बार-बार शांति की अपील की, लेकिन टकराव जारी रहा। इस युद्ध ने वैश्विक अर्थव्यवस्था और ऊर्जा आपूर्ति पर भी गंभीर प्रभाव डाला। रूस-यूक्रेन संघर्ष ने स्थायी समाधान और कूटनीतिक प्रयासों की आवश्यकता को एक बार फिर उजागर किया।

 

सीरिया में असद सरकार का तख्तापलट:

हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएएस) के नेतृत्व में विद्रोही लड़ाकों ने अलेप्पो, हमा और होम्स शहरों पर कब्ज़े के बाद आठ दिसंबर को राजधानी दमिश्क पर कब्जा जमा लिया। इसके साथ ही विद्रोहियों ने सीरिया की आजादी की घोषणा कर दी। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति बशर अल असद देश छोड़कर भाग गए हैं। एचटीएएस के प्रमुख अबू मोहम्मद अल-ज़ुलानी के नेतृत्व में सीरिया का प्रशासन अपने हाथों में ले लिया। बाद में खबर आई कि असद को रूस ने शरण दी है।

 

पाकिस्तान में राजनीतिक उथल-पुथल: 

पाकिस्तान के लिए 2024 काफी उथल-पुथल वाला रहा। इमरान खान की गिरफ्तारी के खिलाफ उनके समर्थक सड़कों पर उतरे। इससे वहां राजनीतिक उथल-पुथल पैदा हुआ। साल 2025 में इमरान खान के आंदोलन और पाकिस्तान के आर्थिक संकट का असर वहां की राजनीति और स्थिरता पर दिखाई दे सकता है। अगर पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ती है, तो इसका प्रभाव भारत के लिए भी हो सकता है, क्योंकि यह क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक संबंधों को प्रभावित कर सकता है।

साल के अंतिम महीने में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के राष्ट्रीय सुरक्षा उप सलाहकार ने दावा किया कि पाकिस्तान ने एक ऐसी कारगर मिसाइल टेक्नोलॉजी तैयार कर ली है, जो अमेरिका को भी निशाना बनाने में सक्षम होगी। इस बीच मिस्र की राजधानी काहिरा में 19 दिसंबर को आयोजित डी-8 सम्मेलन में बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ के बीच मुलाकात हुई। दोनों नेताओं ने व्यापार, वाणिज्य और खेल और सांस्कृतिक प्रतिनिधिमंडलों के आदान-प्रदान बढ़ाने पर चर्चा की। बांग्लादेश में भारत विरोधी गतिविधियों के बीच शरीफ और यूनुस की यह मुलाकात चिंता पैदा करने वाली है।

 

बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल:

बांग्लादेश में 2024 में शेख हसीना सरकार के इस्तीफे के बाद राजनीतिक उथल-पुथल मच गई, जिससे देश में अराजकता फैल गई। विपक्षी दलों ने चुनावों में भ्रष्टाचार और असहमति के कारण सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। इसके परिणामस्वरूप हिंसा और झगड़े बढ़ गए, और अल्पसंख्यक समुदायों पर हमलों की घटनाएँ सामने आईं। राजनीतिक अस्थिरता के चलते नागरिकों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठे, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने स्थिति पर चिंता व्यक्त की। बांग्लादेश में शांति और कानून-व्यवस्था की बहाली के लिए प्रयासों को त्वरित रूप से लागू करने की आवश्यकता महसूस की गई।

 

इन घटनाओं ने वर्ष 2024 को भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण वर्ष के रूप में स्थापित किया, जिससे देश के भविष्य की दिशा निर्धारित होगी।

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लेखक डिजिटल मीडिया GPNewsBihar के एडिटर-इन-चीफ हैं।