इस्लामाबाद: भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के प्रमुख और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने एक बार फिर भारत को बातचीत का प्रस्ताव दिया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, भारत के साथ मिलकर आतंकवाद के खिलाफ अभूतपूर्व साझेदारी के लिए तैयार है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब पहलगाम हमले के बाद दोनों देशों के संबंध निम्नतम स्तर पर हैं।

इस्लामाबाद में आयोजित 'आतंकवाद के खिलाफ विश्व के लिए पाकिस्तान की लड़ाई' विषयक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में बोलते हुए बिलावल ने कहा, "हम दुश्मन नहीं हैं, बल्कि ऐसे पड़ोसी हैं जिन पर एक अरब लोगों को आतंकवाद से बचाने की नैतिक जिम्मेदारी है। हमें भारत से अपेक्षा है कि वह अपने अहंकार को त्यागे और पाकिस्तान के साथ शांति स्थापित करे।"

बिलावल भुट्टो ने अपने संबोधन में कश्मीर और सिंधु जल समझौते पर भी बात की और भारत से इन लंबित मुद्दों के समाधान की अपील की। उन्होंने यह भी कहा कि "आइए हम अपनी साझा विरासत की ओर लौटें, जो नफरत नहीं बल्कि सिंधु घाटी सभ्यता की समृद्ध परंपराओं पर आधारित है।" उन्होंने यह भी जोड़ा कि आतंकवाद वैश्विक संकट है और इसे हराना भविष्य की स्थिरता के लिए आवश्यक है।

हालांकि, भारत ने एक बार फिर दोहराया है कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद पर रोक नहीं लगाता, तब तक उससे कोई बातचीत संभव नहीं है। भारत का साफ कहना है कि "आतंक और वार्ता एक साथ नहीं चल सकते।"

गौरतलब है कि 22 अप्रैल को पहलगाम में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकियों ने हमला किया था, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान गई थी। इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को सीधे जिम्मेदार ठहराया था और सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया था। इसके बाद भारत ने ऑपरेशन 'सिंदूर' के तहत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर जवाबी कार्रवाई की थी, जिसमें सैकड़ों आतंकवादी मारे गए। इसके चलते दोनों देशों के बीच चार दिन तक सीमित संघर्ष भी चला।

इस हमले ने एक बार फिर पाकिस्तान के आतंक प्रायोजन की सच्चाई को वैश्विक मंचों पर उजागर कर दिया। खुद बिलावल भुट्टो ने भी सम्मेलन में यह स्वीकार किया कि आतंक को समर्थन देना पाकिस्तान के अतीत का काला सच रहा है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिलावल भुट्टो का यह 'शांति प्रस्ताव' अंतरराष्ट्रीय दबाव और पाकिस्तान की कमजोर कूटनीतिक स्थिति का नतीजा है। भारत इसे मात्र एक और राजनीतिक ‘ढोंग’ मान रहा है, क्योंकि पाकिस्तान की जमीन पर आतंकी गतिविधियों को अभी भी संरक्षण मिल रहा है।