नई दिल्ली/ वॉशिंगटन: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की जुलाई 2025 की
अध्यक्षता पाकिस्तान को मिलते ही उसने एक बार फिर कश्मीर मुद्दे को वैश्विक मंच पर
उठाने की असफल कोशिश की है। न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित
प्रेस कॉन्फ्रेंस में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि असीम इफ्तिखार अहमद ने कहा कि
अब समय आ गया है कि सुरक्षा परिषद कश्मीर मुद्दे पर “अपने प्रस्तावों को लागू
करने” के लिए
कदम उठाए।
पाकिस्तान इस महीने UNSC का
अध्यक्ष बना है, जो कि परिषद में उसकी एक महीने की रोटेशनल जिम्मेदारी का हिस्सा है। लेकिन इसे
महज औपचारिक भूमिका न मानते हुए पाकिस्तान ने कश्मीर को केंद्र में रखने की कोशिश
की है। अहमद ने कहा कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच गंभीर तनाव का कारण बना
हुआ है और अब परिषद को इस दिशा में निर्णायक भूमिका निभानी चाहिए।
हालांकि भारत ने पाकिस्तान
की इस कोशिश को एक “राजनीतिक
स्टंट” करार
देते हुए सिरे से खारिज कर दिया है। भारत का स्पष्ट रुख है कि कश्मीर उसका आंतरिक
और संप्रभु मसला है, जिसे किसी भी तीसरे पक्ष या अंतरराष्ट्रीय मंच पर
नहीं उठाया जा सकता। भारत ने 1999 के लाहौर घोषणा पत्र और 1972 के शिमला
समझौते का हवाला देते हुए दोहराया कि सभी द्विपक्षीय मुद्दों को भारत-पाकिस्तान के
बीच आपसी बातचीत से ही सुलझाया जाएगा।
पाकिस्तान की ओर से यूएन
मंच का इस्तेमाल करके कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मसला बनाने की यह कोई पहली कोशिश
नहीं है। 1948 से अब तक पाकिस्तान इस मुद्दे को कई बार UNSC में उठा
चुका है, लेकिन कभी भी कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया। इसके पीछे प्रमुख कारण यह रहा है
कि अमेरिका, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य भारत के साथ खड़े रहते
हैं और किसी भी एकपक्षीय प्रस्ताव को वीटो कर सकते हैं।
इस महीने पाकिस्तान दो अहम
कार्यक्रमों की मेज़बानी करेगा—22 जुलाई को बहुपक्षवाद और शांतिपूर्ण
समाधान पर उच्चस्तरीय बहस और 24 जुलाई को यूएन-ओआईसी सहयोग पर चर्चा। इन बैठकों की
अध्यक्षता पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार करेंगे। लेकिन
जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान का प्रयास केवल कुछ मीडिया सुर्खियों तक सीमित
रहेगा।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत के विदेश नीति
विशेषज्ञ डॉ. मनन द्विवेदी ने नवभारत टाइम्स से
बातचीत में कहा, “भारत का रुख स्पष्ट है—कोई तीसरा पक्ष इस मामले में
हस्तक्षेप नहीं कर सकता। पाकिस्तान UNSC की सदस्यता का दुरुपयोग कर
रहा है और वैश्विक मंच पर गलत अलार्म फैला रहा है।”
भारत की रणनीति साफ है—कश्मीर
में विकास कार्यों को वैश्विक मंच पर उजागर करना और
पाकिस्तान को आतंकवाद फैलाने के लिए बेनकाब करना। भारत ने पहले भी संयुक्त राष्ट्र
में पाकिस्तान की कोशिशों को खारिज किया है और इस बार भी वही रुख अपनाए जाने की
संभावना है।
विशेषज्ञों का कहना है कि
भारत को सतर्क रहते हुए यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी बहस या बैठक में
अप्रत्यक्ष रूप से भारत विरोधी एजेंडा न पनपने पाए।
निष्कर्षतः, पाकिस्तान
की मौजूदा कोशिशें अंतरराष्ट्रीय समर्थन पाने से ज्यादा घरेलू राजनीति और छवि
सुधार का प्रयास लगती हैं। भारत अपने सख्त कूटनीतिक और तथ्यों पर आधारित रुख के
जरिए इस प्रयास को फिर एक बार निष्फल करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
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