वॉशिंगटन डीसी: वॉशिंगटन डीसी में आयोजित क्वाड (QUAD) देशों
के विदेश मंत्रियों की बैठक में भारत ने एक बार फिर आतंकवाद के खिलाफ अपना सख्त
रुख स्पष्ट करते हुए पाकिस्तान को कठघरे में खड़ा कर दिया। भारत के विदेश मंत्री
डॉ. एस. जयशंकर की सक्रिय भूमिका से बैठक में 22 अप्रैल 2025 को
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की गई और आतंकियों को
न्याय के कटघरे में लाने की मांग की गई। क्वाड देशों—भारत, अमेरिका, जापान
और ऑस्ट्रेलिया—ने अपने संयुक्त बयान में आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता और स्पष्ट नीति
का प्रदर्शन किया।
बैठक में जारी संयुक्त
बयान में कहा गया, “क्वाड सभी प्रकार के आतंकवाद, हिंसा और हिंसक उग्रवाद की कड़े शब्दों में निंदा
करता है, जिसमें सीमा पार आतंकवाद भी शामिल है। हम जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले
की कठोर निंदा करते हैं, जिसमें 25 भारतीय नागरिकों और एक नेपाली नागरिक की मृत्यु हुई थी। हम पीड़ितों के
परिवारों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करते हैं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की
कामना करते हैं।”
क्वाड ने संयुक्त राष्ट्र
के सदस्य देशों से अपील की कि वे आतंकियों, उनके समर्थकों और
वित्तपोषकों के खिलाफ न्यायिक कार्रवाई में सहयोग करें। यह स्पष्ट संदेश पाकिस्तान
को उस समय दिया गया, जब हाल ही में पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर अमेरिका दौरे पर थे और
उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ लंच किया था। पाकिस्तान को उम्मीद
थी कि अमेरिका से उसे सहानुभूति मिलेगी, लेकिन क्वाड के इस स्पष्ट
और कड़े रुख ने उसकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
भारत ने पहलगाम हमले के
जवाब में “ऑपरेशन
सिंदूर” के तहत
पाकिस्तान और पीओके में स्थित आतंकी ठिकानों पर निर्णायक कार्रवाई की थी। इस
ऑपरेशन से पाकिस्तान पहले ही बैकफुट पर था, और अब जयशंकर के नेतृत्व
में क्वाड मंच से वैश्विक समर्थन मिलना उसकी कूटनीतिक पराजय को और गहरा करता है।
डॉ. जयशंकर ने न सिर्फ
पाकिस्तान की “लंच
डिप्लोमेसी” को ठोस
जवाब दिया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति को
फिर से मजबूती से प्रस्तुत किया। पाकिस्तान को यह समझ में आ गया होगा कि भारत अब
केवल शब्दों में नहीं, बल्कि ठोस कूटनीतिक और सैन्य कार्रवाई के ज़रिए जवाब देता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि
इस संयुक्त बयान से पाकिस्तान पर वैश्विक दबाव बढ़ेगा और आतंकवाद के मुद्दे पर
उसकी दोहरी नीति बेनकाब होती रहेगी। वहीं, भारत ने यह साबित कर दिया
है कि वह न केवल आंतरिक सुरक्षा के मोर्चे पर सशक्त है, बल्कि
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अपनी स्थिति को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत कर सकता है।
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