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प्रयागराज/महाकुंभ नगर: वैष्णव साधुओं के अनी-अखाड़े का छावनी प्रवेश 08 जनवरी
को महाकुंभ मेला क्षेत्र में होगा। इनकी पेशवाई प्रयागराज के के.पी.इण्टर कॉलेज से
शुरू होगी। इस दौरान, साधु-संत, महामण्डलेश्वर हाथी, घोड़े, पालकी, रथ, बग्घी और चांदी
के हौदे पर सवार होकर मेला क्षेत्र में प्रवेश करेंगे। इस यात्रा में निर्वाणी, निर्मोही
व दिगम्बर अखाड़े के करीब 774 महामण्डलेश्वर शामिल होंगे। इनका छावनी प्रवेश ढोल-नगाड़े,
शंखनाद और जयघोष के साथ होगा।
यह जानकारी निर्वाणी अखाड़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत मुरलीदास महाराज ने हिन्दुस्थान
समाचार को दी। उन्होंने बताया कि छावनी प्रवेश यात्रा में अखाड़ों के पदाधिकारी और
संत शामिल होते हैं। इस यात्रा में वैष्णव अखाड़ा के अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष
भी शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि छावनी प्रवेश यात्रा में अखाड़ा के शिविर में प्रवेश
करके संत अपना डेरा जमाते हैं।
अयोध्या के श्रीहनुमान गढ़ी के संत राजूदास महाराज ने बताया कि निर्मोही, दिगम्बर और
निर्वाणी-ये तीन अनी प्रसिद्ध हैं। उन्होंने बताया कि विभिन्न शिविरों में विभिन्न
पताकाओं से युक्त संगठित होकर यह कुंभ मेले के अवसर पर मार्च करते हैं। उन्होंने बताया
कि सर्वमान्य पताका श्रीमहंत के शिविर के समक्ष लगाई जाती है। नागा,संन्यासियों का
संगठन उसी प्रकार संगठित रहता है जैसे सैनिक संगठन होते हैं।
उन्होंने बताया कि बिगुल और तुरही की आवाज सुनकर जैसे सैनिक का संगठन सावधान हो जाता
है, उसी प्रकार यह नागमणि की आवाज सुनकर सावधान हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि सेना
जैसे मार्च करते हैं, इसलिए इन्हें शाही नाम दिया गया है।
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सौजन्य:
(हि.स.)
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