महाकुम्भ नगर: आध्यात्मिकता, संस्कृति और सामाजिक चेतना का संगम इस बार महाकुम्भ में एक ऐतिहासिक पहल का साक्षी बनने जा रहा है। पहली बार महाकुम्भ में एक ऐसा अनूठा विवाह समारोह आयोजित किया जाएगा, जहां 101 युवक-युवतियां दहेजमुक्त पवित्र वैवाहिक बंधन में बंधेंगे। यह आयोजन केवल विवाह का उत्सव नहीं होगा, बल्कि समाज में एक नई सोच, एक नई परंपरा और एक नई दिशा का प्रारंभ होगा जो दुनिया को भारतीय संस्कृति की गहराईयों से परिचित कराएगा। इस भव्य और ऐतिहासिक आयोजन के प्रेरणास्रोत हैं श्री त्रिदंडी स्वामी के शिष्य श्री जीयर स्वामी जी महाराज।

प्रेम, विश्वास और वैदिक संस्कृति की मधुर धुन पर आगामी नौ फरवरी को 101 युवक-युवतियां उस पवित्र बंधन में बंधने जा रहे हैं, जिसे हम विवाह कहते हैं-जीवनभर का संग-साथ, स्नेह और समर्पण का सेतु। इस शुभ अवसर की साक्षी बनेगी 144 साल बाद आई शुभ घड़ी और दिव्य महाकुम्भ, जहां इन दिनों विश्व की सबसे बड़ी सनातनी दुनिया बसी हुई है। यह आयोजन महाकुम्भ के सेक्टर-8 में स्वामी जी के लगे शिविर में 09 फरवरी को सायं-04 बजे से होगा।

अखिल धरा पर गूंजेंगे मंगलगीत
जब वैदिक मंत्रों की गूंज दिशाओं को पवित्र करेगी, जब कन्यादान की रस्में आंखों में श्रद्धा और हृदय में संतोष भर देंगी, जब मांग में सिंदूर भरने की वह शाश्वत परंपरा नए जीवन की राह खोलेगी तब यह आयोजन मात्र एक उत्सव नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर बन जाएगा। 101 वर-वधुओं का यह पाणिग्रहण संस्कार समाज को सादगी, समरसता और त्याग का संदेश देगा।

महाकुम्भ का पवित्र आंचल और दांपत्य सूत्र का पावन मिलन
महाकुम्भ जो युगों से आत्मज्ञान, तपस्या और आध्यात्मिक उत्थान का प्रतीक रहा है, अब सामाजिक सुधार की अलख भी जगाएगा। श्री त्रिदंडी जीयर स्वामी के सौजन्य से होने वाला यह विवाह समारोह समाज में दहेज जैसी कुरीतियों को मिटाने का एक महत्वपूर्ण संदेश देगा। इस ऐतिहासिक क्षण में बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड से 101 वर-वधु एकत्र होंगे और उनके साथ होंगे 10,000 से अधिक बाराती-परिवारजन, संतजन और श्रद्धालु जो इस पावन अनुष्ठान के साक्षी बनेंगे।

वैदिक मंत्रों की गूंज में होगा पवित्र परिणय संस्कार
महाकुंभ के दिव्य वातावरण में वैदिक ऋषियों की परंपरा के अनुरूप यह विवाह समारोह संपन्न होगा। वैदिक मंत्रोच्चार, हवन और सात फेरे इस विवाह को और भी पवित्र बनाएंगे। इस शुभ अवसर पर नवदंपतियों को न केवल संतों का आशीर्वाद मिलेगा, बल्कि उन्हें गृहस्थ जीवन की शुभकामनाओं के साथ आवश्यक उपहार भी प्रदान किए जाएंगे।

सामाजिक उत्थान का दिव्य संकल्प
श्री त्रिदंडी स्वामी के शिष्य जीयर स्वामी सदैव समाज में आध्यात्मिक जागरण और सामाजिक समरसता के पक्षधर रहे हैं। उनका मानना है कि विवाह एक आध्यात्मिक बंधन है न कि लेन-देन का सौदा। इस अनूठी पहल के माध्यम से वे यह संदेश देना चाहते हैं कि विवाह प्रेम, त्याग और विश्वास का प्रतीक होना चाहिए न कि दहेज की बोली का।

जीयर स्वामी की दिव्य प्रेरणा
श्रीत्रिदंडी स्वामी जी महाराज सदा से समाज सुधार के अग्रदूत रहे हैं। उनके शिष्य श्रीजीयर स्वामी जी उनके संकल्प को आगे बढ़ा रहे हैं। वह विवाह के इस आयोजन को विलासिता और आडंबर से मुक्त कर एक आध्यात्मिक एवं वैदिक अनुष्ठान के रूप में प्रतिष्ठित करेंगे। इस महायज्ञ के माध्यम से वह एक नई परंपरा को जन्म देना चाहते हैं, जहां विवाह महज रीति नहीं, बल्कि एक पवित्र संकल्प बने-स्नेह और कर्तव्य है।

दहेज मुक्त समाज की ओर एक कदम
पूज्य श्री जीयर स्वामी ने हिन्दुस्थान समाचार से कहा कि इस अद्भुत आयोजन का उद्देश्य केवल विवाह कराना नहीं, बल्कि समाज में एक महत्वपूर्ण संदेश देना है—दहेज एक विष है, जो संबंधों को तोड़ता है, जबकि प्रेम, सहयोग और सादगी ही वह अमृत हैं, जो जीवन को मधुर बनाते हैं। सामूहिक विवाह के इस शुभ आयोजन से यह संदेश दूर-दूर तक गूंजेगा कि विवाह प्रदर्शन का विषय नहीं, बल्कि दो आत्माओं का मिलन है, दो परिवारों का अभिन्न संगम है।

नवयुग की ओर बढ़ते कदम
उन्होंने कहा कि यह आयोजन एक परिवर्तन का प्रतीक है, एक नई सोच का जन्म है। जब 101 जोड़े मंगलफेरों में बंधेंगे, तब वे केवल अपने जीवनसाथी से ही नहीं, बल्कि समाज से भी एक वचन लेंगे-समानता, प्रेम और सहयोग का। वे न केवल अपने घरों को, बल्कि पूरे समाज को एक नई दिशा देंगे।

एक नई परंपरा का शुभारंभ
महाकुम्भ में पहली बार हो रहे इस अद्वितीय विवाह आयोजन से उम्मीद है कि यह परंपरा आगे भी जारी रहेगी। यह आयोजन केवल 101 जोड़ों के जीवन का शुभारंभ नहीं, बल्कि समाज में एक नई सोच की शुरुआत है, जहां विवाह दहेज की बेड़ियों से मुक्त होगा और रिश्ते प्रेम और सम्मान की नींव पर टिके होंगे।

उन्होंने कहा कि नौ फरवरी को महाकुंभ में गूंजने वाले वैदिक मंत्र न केवल इन 101 जोड़ों को एक नई राह दिखाएंगे, बल्कि समाज में एक नई चेतना का संचार भी करेंगे। यह विवाह समारोह इतिहास के पन्नों में एक अनूठी परंपरा, एक प्रेरक पहल और सामाजिक परिवर्तन की ओर बढ़ता हुआ एक पवित्र कदम के रूप में स्वर्णाक्षरों में दर्ज होगा। हिस