(डॉ. गौतम पाण्डेय का विश्लेषण)
"यूँ तो भारत और पाकिस्तान के
बीच वैमनस्य कोई नया नहीं है। सीमा पर छिटपुट गोलीबारी और घुसपैठ की घटनाएँ समय-समय
पर होती ही रहती हैं। लेकिन बीते 22 अप्रैल को घटी एक अमानवीय आतंकी घटना ने पूरे देश
को झकझोर दिया, जब आतंकवादियों ने कश्मीर में 26 हिन्दुओं की केवल उनका नाम और धर्म
पूछ कर बेरहमी से हत्या कर दी।
इस नरसंहार के बाद भारत सरकार
ने कड़ा रुख अपनाया और 7 और 8 मई की रात को ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ के अंतर्गत पाकिस्तान
अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर उन्हें ध्वस्त कर दिया।
प्रारंभिक रिपोर्ट्स के अनुसार, इन हमलों में सैकड़ों आतंकवादी मारे गए और कई गंभीर
रूप से घायल हुए।
इसके बाद पाकिस्तान ने प्रतिक्रिया
स्वरूप एक ‘अघोषित युद्ध’ की शुरुआत कर दी और भारत के कई सीमावर्ती इलाकों और कुछ प्रमुख
शहरों पर मिसाइल हमले किए। भारत ने भी तुरंत और सटीक जवाबी कार्रवाई करते हुए दुश्मन
के लॉन्चपैड, रडार केंद्र और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। यह टकराव आज शाम 5:30
बजे तक जारी रहा।
लेकिन इसी के तुरंत बाद एक अप्रत्याशित
मोड़ आया, जब खबर आई कि भारत और पाकिस्तान ने आपसी सहमति से ‘बिना किसी शर्त के’ सीजफायर
यानी युद्धविराम पर सहमति जता दी है। यह निर्णय जहां कुछ के लिए राहत की खबर है, वहीं
कई रणनीतिक विशेषज्ञ इसे पाकिस्तान की चालाकी और भारत की रणनीतिक धैर्य का मिश्रण मान
रहे हैं।"
भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों
से चला आ रहा संघर्ष एक बार फिर नए मोड़ पर है। हाल ही में घोषित हुए बिना शर्त सीजफायर
ने जहां उम्मीदें जगाईं, वहीं पाकिस्तान द्वारा सीजफायर उल्लंघन और ड्रोन हमलों
की रिपोर्ट ने इन उम्मीदों पर पानी फेर दिया। भारत ने इस युद्ध को ‘ऑपरेशन सिन्दूर’
नाम दिया – एक ऐसा नाम जो शांति, रक्षा और संयम का प्रतीक है। लेकिन क्या यह युद्धविराम
टिकाऊ है? किसे इससे लाभ हुआ और कौन नुकसान में रहा? आइए इस लेख में विस्तार से समझते
हैं।
ऑपरेशन सिन्दूर:
युद्ध से विराम तक
भारत ने पाकिस्तान द्वारा सीमापार
घुसपैठ, आतंकी गतिविधियों और लगातार हो रही गोलीबारी के जवाब में एक सीमित लेकिन सटीक
सैन्य अभियान चलाया, जिसे 'ऑपरेशन सिन्दूर' नाम दिया गया। इस ऑपरेशन का मकसद था – पाकिस्तान
को सामरिक और कूटनीतिक दबाव में लाकर नियंत्रण रेखा पर शांति स्थापित करना।
भारत ने सीमित सैन्य कार्रवाई
के जरिए कई आतंकी लॉन्चपैड्स और पाक सेना की अग्रिम चौकियों को निशाना बनाया। जवाब
में पाकिस्तान ने भी गोलीबारी की लेकिन उसका प्रभाव तुलनात्मक रूप से कमजोर रहा।
इसके कुछ ही दिनों बाद, दोनों
देशों ने एक साथ बिना किसी शर्त के सीजफायर की घोषणा की। यह घोषणा भले ही अचानक
लगी हो, लेकिन इसके पीछे अंतरराष्ट्रीय दबाव, कूटनीतिक गणनाएं और आंतरिक राजनीतिक परिस्थितियां
थीं।
किसे हुआ फायदा?
भारत को लाभ:
1. रणनीतिक बढ़त:
भारत ने सीमित सैन्य कार्रवाई से यह दिखा दिया कि वह किसी भी आतंकी हमले या घुसपैठ
का जवाब देने में सक्षम है। यह एक सशक्त संदेश था।
2. अंतरराष्ट्रीय समर्थन:
शांति की पहल और युद्धविराम से भारत की वैश्विक छवि और मजबूत हुई। अमेरिका, फ्रांस
और रूस जैसे देशों ने भारत के संतुलित दृष्टिकोण की सराहना की।
3. आंतरिक स्थायित्व:
सीमावर्ती इलाकों में शांति से भारत सरकार को वहां विकास कार्यों और पुनर्वास योजनाओं
को गति देने में मदद मिलेगी।
पाकिस्तान को लाभ:
1. आर्थिक राहत:
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था गंभीर संकट से जूझ रही है। IMF के कर्ज, डॉलर संकट और राजनीतिक
अस्थिरता के बीच युद्ध से बचना उसके लिए आवश्यक था।
2. सेना की छवि सुधार:
पाकिस्तानी सेना ने सीजफायर को ‘शांति की पहल’ बता कर आंतरिक असंतोष और आलोचना को थोड़े
समय के लिए शांत किया।
3. लॉन्च पैडों का पुनर्निर्माण:
विश्लेषकों का मानना है कि सीजफायर के बहाने पाकिस्तान आतंकियों के लॉन्च पैड और इंफ्रास्ट्रक्चर
को दोबारा सक्रिय कर सकता है।
किसे हुआ नुकसान?
भारत के लिए संभावित नुकसान:
1. सीजफायर का दुरुपयोग:
पाकिस्तान का अतीत बताता है कि वह युद्धविराम का उपयोग घुसपैठ की तैयारी के लिए करता
है। यह भारत के लिए एक रणनीतिक खतरा बन सकता है।
2. जनता की नाराज़गी:
शहीदों के परिवार और राष्ट्रवादी वर्ग इस सीजफायर को अधूरा न्याय मान सकते हैं।
पाकिस्तान के लिए नुकसान:
1. कट्टरपंथियों की नाराजगी:
TTP, LeT और अन्य कट्टरपंथी संगठनों ने पाकिस्तान की सेना को ‘कमज़ोर’ करार दिया है,
जिससे आंतरिक विद्रोह और आतंक बढ़ सकता है।
2. अंतरराष्ट्रीय निगरानी:
सीजफायर के बाद पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय निगरानी बढ़ी है, जिससे उसे कोई भी घुसपैठ
या आतंकी समर्थन छिपाना कठिन हो जाएगा।
अब आया असली मोड़:
सीजफायर उल्लंघन और ड्रोन हमले
भारत और पाकिस्तान के बीच घोषित
हुए सीजफायर को अभी कुछ दिन ही हुए थे कि रिपोर्ट्स आईं कि पाकिस्तान ने एक बार
फिर नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी की है और कई जगहों पर ड्रोन हमले भी किए गए हैं।
संभावित परिणाम:
1. भारत की प्रतिक्रिया:
भारत इस बार चुप नहीं रहेगा। अब यह ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ का दूसरा चरण बन सकता है जिसमें
जवाबी हमले और सटीक टारगेटिंग शामिल हो सकती है।
2. सीजफायर पर अविश्वास:
यह उल्लंघन पाकिस्तान की विश्वसनीयता को और कम करता है। भारत अब किसी भी भविष्य की
बातचीत में अधिक सतर्क रहेगा।
3. वैश्विक दबाव:
यदि ड्रोन हमलों में नागरिक हानि हुई है तो अंतरराष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान पर और दबाव
बनाएगा, विशेषकर अमेरिका और FATF जैसे संगठन।
निष्कर्ष:
ऑपरेशन सिन्दूर भले ही एक रणनीतिक और कूटनीतिक
जीत के रूप में सामने आया हो, लेकिन पाकिस्तान के भरोसे पर सवाल फिर से खड़े हो गए
हैं। सीजफायर उल्लंघन और ड्रोन हमले इस बात का संकेत हैं कि पाकिस्तान शांति नहीं,
समय खरीदने की कोशिश कर रहा है।
भारत को चाहिए कि वह डिप्लोमैसी
और डिफेंस दोनों को संतुलन में रखे। सीजफायर का मतलब कमजोरी नहीं, बल्कि संयम की
ताकत है – लेकिन संयम तब तक ही जब तक दुश्मन पीछे से वार न करे।
आप क्या सोचते हैं – क्या ऑपरेशन
सिन्दूर के बाद शांति संभव है या पाकिस्तान एक बार फिर वही पुरानी चालें दोहराएगा?
नीचे कमेंट करके ज़रूर बताएं।
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