पटना: अभ्यर्थियों के विरोध प्रदर्शन के बीच, बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) ने बीपीएससी 70वीं संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी पूरी कर ली है। परीक्षा के लिए 4.83 लाख से अधिक अभ्यर्थी पहले ही आवेदन कर चुके हैं। 13 दिसंबर को होने वाली परीक्षा के लिए 1000 से अधिक केंद्रों पर लगभग 30,000 सीसीटीवी कैमरे और जैमर लगाए जा चुके हैं।

 

दूसरी ओर BPSC अभ्यर्थी नॉर्मलाइजेशन मेथड का विरोध कर रहे हैं। बीपीएससी 70वीं संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन लागू करने के खिलाफ अभ्यर्थियों ने बिहार की राजधानी पटना में बीपीएससी ऑफिस के पास प्रदर्शन किया। सड़क जाम कर विरोध प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों को हटाने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया जिसमें कई छात्र घायल हो गए।

 

आपको ज्ञात होगा कि पिछले दिनों UPPSC के अभ्यर्थियों ने भी नॉर्मलाइजेशन मेथड के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। 5 दिनों तक चले प्रदर्शन ने उग्र रूप लेना शुरू किया जिसे देखते हुए UPPSC ने हालात की गंभीरता को समझकर अपना फैसला वापस ले लिया। तब कही जाकर 5 दिनों बाद प्रदर्शन समाप्त हो सका। परन्तु, BPSC अपने फैसले से पीछे हटने को तैयार नहीं है। सूत्रों के हवाले से पता चला है कि आयोग ने साफ कह दिया है कि बीपीएससी की 70वीं सीसीई परीक्षा 13 दिसंबर को ही और अपने पुराने फॉर्मेट पर ही होगी।  जो कि अलग-अलग शिफ्ट में होनी है। 

 

न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए चेयरमैन ने कहा, "इसे पहले ही 18 अक्टूबर से बढ़ाकर 4 नवंबर कर दिया गया था। परीक्षा के लिए 4.83 लाख से अधिक अभ्यर्थी पहले ही आवेदन कर चुके हैं। यह उन अभ्यर्थियों के साथ अन्याय होगा जिन्होंने पहले ही आवेदन कर दिया है। 13 दिसंबर को होने वाली परीक्षा के लिए सभीतैयारियां कर ली गई हैं। 1000 से अधिक केंद्रों पर लगभग 30,000 सीसीटीवी कैमरे और जैमर पहले ही लगाए जा चुके हैं।" अब अगर बीपीएससी की यह परीक्षा अलग-अलग शिफ्ट में होती है तो अभ्यर्थियों के अंकों का मूल्यांकन नॉर्मलाइजेशन मेथड के आधार पर ही होगा।

 

आइये जानते हैं आखिर यह नॉर्मलाइजेशन मेथड है क्या: 

नॉर्मलाइजेशन फॉर्मेट के तहत किसी परीक्षा में मिले अंकों को सामान्य यानी नॉर्मलाइज किया जाता है। इसका इस्तेमाल विभिन्न सेटों में प्राप्त अंकों को एक ही पैमाने पर लाने के लिए किया जाता है। बीपीएससी परीक्षा में, विभिन्न एक से अधिक शिफ्ट में होने वाले पेपरों के अंकों का मूल्यांकन इसी मेथड से होना है, जिसका अभ्यर्थी विरोध कर रहे हैं। यह दर्शाता है कि उस शिफ्ट में अन्य सभी उम्मीदवारों ने इस टॉप स्कोरर के बराबर या उससे कम स्कोर किया है। फाइनल मेरिट लिस्ट और रैंकिंग असल स्कोर से प्राप्त पर्सेंटाइल स्कोर द्वारा निर्धारित की जाएगी।

 

नॉर्मलाइजेशन का उद्देश्य:

विभिन्न शिफ्टों में पेपर का कठिनता स्तर अलग-अलग होने के कारण, बिना नॉर्मलाइजेशन के एक ही अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों का प्रदर्शन समान नहीं हो सकता है। नॉर्मलाइजेशन यह सुनिश्चित करता है कि सभी अभ्यर्थियों को समान अवसर मिले और किसी भी उम्मीदवार को केवल इसलिए नुकसान न पहुंचे क्योंकि उसने एक कठिन शिफ्ट में परीक्षा दी थी। नॉर्मलाइजेशन के माध्यम से अंतिम मेरिट सूची अधिक सटीक होती है।

 

नॉर्मलाइजेशन विरोध का कारण:

प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों का कहना है कि BPSC द्वारा परीक्षा के लिए जो नए नियम लागू किए गए हैं, वे उनके लिए अनावश्यक और भेदभावपूर्ण हैं। अभ्यर्थियों का आरोप है कि नियमों में अचानक बदलाव से उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। वे कहते हैं कि इस बदलाव से उनकी तैयारीपर असर पड़ा है, और यह न सिर्फ उनके मेहनत को नजरअंदाज करता है, बल्कि भविष्य को भी प्रभावित कर सकता है।

 

बीपीएससी का मानना है कि पर्सेंटाइल और नॉर्मलाइजेशन मेथड से पेपर लीक को रोका जा सकेगा, क्योंकि इसके तहत आयोग अलग-अलग सेट के प्रश्न पत्र तैयार करेगा। हालांकि, विरोधी पक्ष का कहना है कि परीक्षा में केवल एक ही सेट का प्रश्न पत्र होना चाहिए, ताकि सभी उम्मीदवारों को समान अवसर मिले। उनका तर्क है कि अगर अलग-अलग सेट में प्रश्न पत्र होंगे, तो कुछ सेट में में कठिन सवाल होंगे, जबकि कुछ में सरल सवाल। इससे परीक्षा के निष्पक्षता पर सवाल उठ सकते हैं।