किन्नर अखाड़े के महामण्डलेश्वर
लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का संत समाज में बड़ा सम्मान है। देश, धर्म और समाज से जुड़े
हर छोटे बड़े मुद्दे पर वह खुलकर अपनी राय रखते हैं। महाकुम्भ में पधारे किन्नर अखाड़े
के महामण्डलेश्वर से संभल हिंसा, ज्ञानवापी सर्वे, प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट से लेकर
किन्नर समाज को ओबीसी दर्जा दिए जाने के मुद्दे पर डॉ. आशीष वशिष्ठ ने हिन्दुस्थान
समाचार के लिए बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत का महत्त्वपूर्ण अंश:
प्रश्न: किन्नर अखाड़ा बनने के बाद से आप क्या फर्क महसूस करते हैं?
उत्तर: किन्नर अखाड़ा बनने के बाद से
परिवर्तन की अनुभूति है। जिन्होंने (किन्नर) अलग-अलग धर्मों में शरण ली है, जो सनातनी
बच्चे हैं वो वापिस सनातन अपने घर की ओर आ रहे हैं। उनमें वापिस सनातन धर्म का अनुसरण
करने की ललक जागी हुई है। जहां समाज के अन्दर जय श्रीराम बोलना भी कठिन था, सनातनी
होने पर भी बहुत आक्षेप था, पर अब समाज के दृष्टिकोण बदला हुआ है।
प्रश्न: किन्नर अखाड़ा बनने के बाद से समाज की दृष्टि में किन्नर समाज का सम्मान
बढ़ा है?
उत्तर: हां... हा. किन्नर समाज का
सम्मान बढ़ा हुआ है। जिस अलग परसेप्शन (धारणा) से लोग किन्नरों को देखते थे, अब अलग
नजरिए से देखने लगे है, बहुत ज्यादा फर्क आया है, ऑफकोर्स परसेप्शन इज चेजिंग (बेशक
धारणा बदल रही है)। लोग अब दिल से स्वीकार करने लगे हैं, लोगों का दृष्टिकोण बदला है।
प्रश्न: किन्नरों के प्रति उनके परिवार की सोच कैसे बदलेगी?
उत्तर: परिवार और समाज की नजर में
किन्नर स्टिग्मा है, कलंक है। व्यक्ति को उसके जेंडर (लिंग) के कारण कलंकित किया जाता
है, ये दृष्टिकोण बदलना चाहिए।
प्रश्न: किन्नर समाज को सनातन धर्म से को जोड़ने के लिए किन्नर अखाड़े ने क्या
प्रयास किए हैं?
उत्तर: किन्नर समाज एक तरीके से सनातन
धर्म से दूर हो गया था, हमने (किन्नर अखाड़ा) किन्नर समाज को सनातन धर्म से जोड़ने के
प्रयास किए। इन्हीं प्रयासों के चलते जो दूसरे धर्मों से चले गए थे, वे पुनः सनातन
की और उन्मुख हुए हैं, उनमें सनातन की ललक हमने जगायी है।
प्रश्न: किन्नर समाज मुख्य धारा में शामिल हों, इसके लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर: इस पर सरकार को सोचना चाहिए।
जिस तरीके से बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ आन्दोलन चल रहा है, उसी तरह किन्नरों के उत्थान
के लिए भी आन्दोलन चलना चाहिए। जिस तरह से किन्नरों को हेय दृष्टि से देखा जाता है,
उस पर सरकार को एडवोकेसी कार्यक्रम करना चाहिए। सरकार को किन्नर समाज में के समक्ष
एक दूसरा दृष्टिकोण प्रस्तुत करना चाहिए।
प्रश्न: किन्नर समाज के विकास में आप सबसे बड़ी बाधा किसे मानते हैं?
उत्तर: सोच को, रूढ़िवादी परम्परा को,
कॉलोनियल (औपनिवेशिक) सोच को, अंग्रेजों और आक्रान्ताओं की जो हमारे प्रति सोच थी,
और वो सोच यह थी कि किन्नर सिर्फ भीख मांगता है, वेश्यावृत्ति करता है, बधाई मांगता
है, ऐसा नहीं है। अब समय बदल रहा है मल्टीनेशनल कम्पनीज ने किन्नरों के लिए दरवाजे
खोल दिए हैं। ऐसे बहुत सारे एग्जामप्लस (उदाहरण) हैं, हमारे ही समाज में से कोई मैनेजर
है, कोई डायरेक्टर है, कोई अच्छे-अच्छे पोस्ट पर अब लोग काम कर रहे हैं। समाज में एजुकेशन
मिले, समाज में रिर्जेवेशन (आरक्षण) मिले। किन्नर समाज के लिए रिर्जेवेशन चाहे वो ट्रांसजेण्डर
हो, (ट्रांसजेण्डर को जो पूरा अम्ब्रेला है) उसमें लोगों को सारी सुविधाएं मिलनी चाहिएं।
जो पिछड़े समाज के लोगों को मिलती है। हम लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में भी ओबीसी रिर्जेवेशन
के लिए अपील की थी। सरकार ने अभी तक वो किया नहीं है। सरकार को चाहिए कि वो किन्नर
समाज को ओबीसी कैटेगरी में डाले, जिससे हमें रिर्जेवेशन का लाभ मिल सके।
प्रश्न: महाकुम्भ में किन्नर अखाड़े की ओर से क्या विशेष किया जा रहा है?
उत्तर: बहुत कुछ किया जा रहा है। पहले
शाही स्नान के बाद आपको उसकी पूरी झलक दिखाई देगी।
प्रश्न: संभल में जामा मस्जिद सर्वे के दौरान हुई हिंसा पर आपकी क्या राय हैं?
उत्तर: सरकार को कड़ी से कड़ी सुरक्षा
में सर्वें करवाने चाहिए। अगर कोर्ट (अदालत) ने सर्वे के लिए कहा है तो सर्वे करवाना
चाहिए। लॉ ऑफ द लैण्ड (देश का कानून) के खिलाफ कोई भी हो तो उस पर एक्शन लीजिए, (थोड़ा
रूककर) और जो हमारा (मंदिर) है वो हम लेकर रहेंगे।
प्रश्न: ज्ञानवापी की तरह अन्य मस्जिदों में मंदिर खोजने को आप किस तरह देखते
हैं?
उत्तर: अगर मन्दिर है तो है, ज्ञानवापी
में मन्दिर दिखता है, लोगों की आंखों पर किस नंबर का चश्मा चढ़ाना पड़ेगा। वहां पर (मस्जिद
में) मन्दिर की दीवार है, अगर है तो है। इतिहास चीख चीखकर कहता है कि मस्जिदें मन्दिरों
को तोड़कर बनाई गई। ये इतिहास है मैं सनातन की दंत कथाएं नहीं बोल रहा, ये हमारा इतिहास
बोल रहा है, इसे वापिस लेना चाहिए। आक्रान्ताओं की वजह से हमारे धर्म पर प्रहार हुआ।
अब अगर हमारा हिन्दुस्तान है तो हम क्यों न वापिस लें।
प्रश्न: वक्फ बोर्ड की तरह सनातन बोर्ड की भी मांग उठ रही है, इसे आप कैसे देखते
हैं?
उत्तर: ये सब बोर्ड खत्म होने चाहिएं,
मातृभूमि हिन्दुस्तान की है, हमारे पूर्वजों की, सनातनियों की है, अपनों की है। आक्रान्ता
यहां आकर बसे उनकी जमीन कैसे हुई, ये हमारी जमीन है, हमारे बाप दादाओं की जमीन है,
हमारे बाप दादा इस मिट्टी में पंचतत्व में विलीन हुए हैं, ये किसकी जमीन है।
प्रश्न: एक मुस्लिम धर्मगुरु ने दावा किया है कि महाकुम्भ का आयोजन वक्फ की
जमीन पर हो रहा है, इस पर आपकी क्या मत है?
उत्तर: वो वक्फ की जमीन कहां से लाए
थे, क्या मदीने से लाए थे, सूप तो सूप छलनी भी बोलने लगी। समझना चाहिए उन लोगों को
गंगा-यमुना किसकी है, हम सनातनियों की है, हमारी परम्पराओं से है, उनकी गोद (गंगा-यमुना)
में हम कुम्भ करते हैं। और ये बदतमीजी जो बोलते हैं उन पर कार्रवाई की जाए, उन्हें
जेल में डाला जाए, उन्हें सबक सिखाया जाए।
प्रश्न: क्या आपको लगता है कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट (पूजा स्थल (विशेष प्रावधान)
अधिनियम, 1991) में बदलाव होना चाहिए?
उत्तर: इट शुड भी डम्पड इन द डस्टबिन
(इसे कूडे़दान में डाल देना चाहिए)। वैन वी आर टॉकिंग अबाउट सेक्युलरिज्म (जब हम धर्मनिरपेक्षता
की बात करते हैं तो) हम सिर्फ सनातनियों की बात करते हैं। हिन्दुओं के मंदिर सरकार
के कंट्रोल में हैं। मंदिरों के पैसे से सरकारी योजनाएं चलती है। इनकी (मुस्लिम) दरगाहों
का पैसा सिर्फ मुसलमानों के लिए है; जैनियों का पैसा जैनियों के लिए है; क्रिश्चियन
का पैसा सिर्फ क्रिश्चियन के लिए है; तो हिन्दुओं का पैसा फिर सबके लिए क्यों हैं?
हम (हिन्दू) सबसे ज्यादा टैक्स दे रहे हैं, ये क्यों है? हमें हमारा हक दीजिए।
प्रश्न: संगम की पवित्र भूमि से आप देशवासियों को आप क्या संदेश देना चाहेंगे?
उत्तर: देखिए हम सनातनी हैं। हम बहुत
मार्डन व्यक्ति हैं, हमारा धर्म भी बहुत मार्डन है। हम सबको साथ लेकर चलते हैं। हम
संपूर्ण विश्व का अपना कुटुम्ब मानने वाले सनातन धर्म से हैं। इस पर प्रहार मत कीजिए,
आप सम्मान करोगे तो हम भी सम्मान करेंगे। आप कटाक्ष करोगे तो हम भी कटाक्ष करेंगे।
हमारे देवी देवताओं के हाथ में खड्ग, चक्र, गदा और बाण सब है। शास्त्र भी है, शस्त्र
भी है। हम दोनों तरीके से निपटना जानते हैं।
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