पूर्णिया (डॉ. गौतम पाण्डेय): संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् (UNSC) का उद्देश्य विश्व शांति और सुरक्षा बनाए रखना है। लेकिन क्या यह संस्था आज की दुनिया को सही मायनों में प्रतिनिधित्व देती है? भारत, जर्मनी, जापान, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका जैसे देश वर्षों से UNSC में स्थायी सदस्यता की मांग कर रहे हैं। क्या यह बदलाव संभव है? आइए जानते हैं!
UNSC में पाँच स्थायी सदस्य हैं—अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस और चीन। इनके पास वीटो पावर है, जिससे वे किसी भी प्रस्ताव को रोक सकते हैं। यह व्यवस्था 1945 में बनी थी, लेकिन आज की वैश्विक राजनीति में क्या यह व्यवस्था निष्पक्ष है? यही सवाल भारत और अन्य देश उठा रहे हैं।
भारत की मांग है कि उसे स्थायी सदस्यता मिले, क्योंकि:
· भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।
· वह वैश्विक शांति अभियानों में सबसे बड़ा योगदानकर्ता है।
· भारत की अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की अहम भूमिका है।
UNSC की संरचना को बदलना इसलिए जरूरी है, ताकि दुनिया की नई सच्चाइयों को सही प्रतिनिधित्व मिल सके।
इतना ही नहीं कि वीटो की दावेदारी सिर्फ भारत ही कर रहा है। भारत के अलावे जर्मनी, जापान, ब्राजील, और साउथ अफ्रीका भी UNSC में सुधार और विस्तार की आवश्यकता पर जोर देते हैं और अपने लिए वीटो के साथ स्थाई सदस्यता की भी दावेदारी करते हैं।
सभी के अपने-अपने तर्क हैं। आइए जानते हैं कि ये सभी देश किन मुद्दों पर अपने दावेदारी कर रहे हैं:
जर्मनी
जर्मनी यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और अंतरराष्ट्रीय शांति प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वह अपनी राजनीतिक और आर्थिक ताकत के आधार पर स्थायी सदस्यता की मांग करता है।
जापान
जापान एशिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। वह वैश्विक विकास और शांति प्रयासों में अग्रणी रहा है, इसलिए वह UNSC में अपनी जगह चाहता है।
ब्राजील
ब्राजील का कहना है कि लैटिन अमेरिका की आवाज़ UNSC में नहीं है, जबकि यह क्षेत्र वैश्विक राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
दक्षिण अफ्रीका
दक्षिण अफ्रीका, अफ्रीका महाद्वीप का प्रतिनिधित्व करता है। उसका मानना है कि अफ्रीका की सुरक्षा और विकास के लिए उसे स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए।
हालांकि, UNSC में सुधार करना आसान नहीं है। वर्तमान स्थायी सदस्य अपने विशेषाधिकार छोड़ने को तैयार नहीं हैं। लेकिन भारत, जर्मनी, जापान, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका लगातार प्रयास कर रहे हैं कि दुनिया की सच्चाइयों को UNSC में उचित प्रतिनिधित्व मिले।
“बहुपक्षवाद को समकालीन विश्व की वास्तविकता का प्रतिनिधित्व करने की आवश्यकता है। केवल सुधारवादी
बहुपक्षवाद, जिसके केंद्र में सुधारवादी संयुक्त
राष्ट्र हो, मानवता की आकांक्षाओं को पूरा कर सकता है। आज, संयुक्त
राष्ट्र के नवीनतम संकल्प
की 75वीं वर्षगांठ मनाते हुए, वैश्विक
बहुपक्षीय प्रणाली
में सुधार करके इसकी प्रासंगिकता को बढ़ाने, इसकी प्रभावशीलता में सुधार करने और इसे एक नए प्रकार के मानव-केंद्रित
वैश्वीकरण का आधार बनाने की बात कही गई है”। - श्री नरेंद्र मोदी, भारत
के प्रधानमंत्री.
तो क्या UNSC में बदलाव आ सकता है? क्या भारत और अन्य देशों को स्थायी सदस्यता मिलेगी? यह सवाल वैश्विक राजनीति का केंद्र बना हुआ है। आपकी क्या राय है? हमें कमेंट में बताएं।
वीडियो के लिए लिंक पर क्लिक करें: https://youtu.be/5BFVrbmQcas
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