नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कांग्रेस पार्टी के भीतर स्पष्ट मतभेद उभरकर सामने आ रहे हैं। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और भारत सरकार की सैन्य कार्रवाई पर जहां एक ओर राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे केंद्र की नीतियों पर सवाल उठा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पार्टी के कई वरिष्ठ नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय सेना के रुख के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। इससे यह संकेत मिल रहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दों पर राहुल गांधी की राजनीति अब खुद उनकी पार्टी के भीतर ही सवालों के घेरे में है।

 

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान और उसके बाद सरकार ने जिस तरह से पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया, उसकी सराहना देशभर में हुई। विपक्षी दलों ने भी औपचारिक रूप से इस सैन्य कार्रवाई का समर्थन किया। लेकिन जब पाकिस्तान के प्रस्ताव पर सीजफायर की बात सामने आई और विपक्ष ने इसके पीछे अमेरिका की मध्यस्थता का हवाला देकर सरकार को घेरने की कोशिश की, तब से कांग्रेस में मतभेद और गहरे हो गए।

 

सलमान खुर्शीद ने तोड़ी पार्टी लाइन

पूर्व विदेश राज्य मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद, जो अब तक मोदी सरकार के कटु आलोचक माने जाते रहे हैं, उन्होंने विदेश सचिव विक्रम मिसरी की ब्रीफिंग के बाद साफ कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच जो भी बातचीत हुई, उसमें किसी तीसरे देश का हस्तक्षेप नहीं था। उन्होंने कहा, "पाकिस्तान के DGMO ने खुद सीजफायर का प्रस्ताव दिया और भारत ने उसका जवाब दिया।"

 

थरूर और मनीष तिवारी भी केंद्र के साथ

कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने न सिर्फ ऑपरेशन सिंदूर बल्कि सरकार की विदेश नीति का भी समर्थन किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि देश की सुरक्षा पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। वहीं मनीष तिवारी, जो प्रधानमंत्री मोदी के आलोचकों में रहे हैं, ऑल पार्टी डेलिगेशन का हिस्सा बनने के लिए आगे आए हैं और सभी नेताओं से इस मुद्दे पर एकजुट रहने का आग्रह किया है।

 

चिदंबरम ने भी साधी चुप्पी

राहुल गांधी द्वारा विदेश मंत्री एस. जयशंकर के बयानों पर उठाए गए सवालों के बाद जब यह मुद्दा पाकिस्तान में सुर्खियां बना, तब पी. चिदंबरम ने साफ कहा कि जब विदेश मंत्रालय स्पष्ट कर चुका है, तो उन्हें कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है। यह बयान भी पार्टी लाइन से अलग माने जा रहे हैं।

 

जयराम रमेश का पलटवार, पर एकजुटता पर सवाल

कांग्रेस के संचार प्रमुख जयराम रमेश ने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की विदेश यात्रा को "ध्यान भटकाने की रणनीति" बताया है। इससे यह साफ होता है कि पार्टी अब विदेश में सरकार की छवि को लेकर भी आशंकित है।

 

निष्कर्ष:

ऑपरेशन सिंदूर और उससे जुड़े घटनाक्रमों पर कांग्रेस के भीतर एक लंबी 'लक्ष्मण रेखा' खिंच गई है। मोदी सरकार की कूटनीतिक और सैन्य रणनीति पर राहुल गांधी की आलोचना अब पार्टी के भीतर भी असहजता पैदा कर रही है, और कई वरिष्ठ नेता राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता देते हुए पार्टी लाइन से अलग रुख अपना रहे हैं।

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