नई दिल्ली: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर देश की विदेश नीति को सशक्त रूप से प्रस्तुत करने में अपनी विशेष पहचान बनाई है। वह अपने स्पष्ट और प्रभावी उत्तरों के लिए जाने जाते हैं, जिनसे वे विदेशी ताकतों और पश्चिमी मीडिया को करारा जवाब देते हैं। हाल ही में, 27वें एसआईईएस श्री चंद्रशेखरेन्द्र सरस्वती नेशनल एमिनेंस अवॉर्ड समारोह में जयशंकर ने भारत की स्वायत्तता और राष्ट्रीय हितों की रक्षा पर जोर दिया।

 

विदेशी ताकतों पर सख्त संदेश

जयशंकर ने अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि भारत किसी भी विदेशी ताकत को अपने राष्ट्रीय हितों पर वीटो लगाने की अनुमति नहीं देगा। उनका यह बयान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के स्थायी सदस्यों (पी-5) के संदर्भ में देखा जा रहा है। उन्होंने उन मौकों को याद दिलाया, जब चीन ने पाकिस्तान के आतंकी अजहर मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित करने के भारत के प्रयासों को बार-बार वीटो किया। हालांकि, 2019 में पुलवामा हमले के बाद वैश्विक दबाव के चलते चीन को अपने रुख में बदलाव करना पड़ा।

 

इसी तरह, जब भारत ने रूस से एस-400 मिसाइल प्रणाली की खरीद की, तो अमेरिका ने भारत पर प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी। लेकिन भारत की सशक्त विदेश नीति के चलते, अमेरिका को अपने फैसले में बदलाव करना पड़ा। ये घटनाएं भारत की वैश्विक शक्ति और प्रभाव को दर्शाती हैं।

 

ताकतवर विदेश नीति की नींव

जयशंकर ने इस अवसर पर भारत की प्रगति को उसकी मजबूत विदेश नीति से जोड़ा। उन्होंने कहा कि भारत ने पिछले दशक में अपनी क्षमताओं और आत्मविश्वास के बल पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज की है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत न केवल राष्ट्रीय हितों के लिए बल्कि वैश्विक दक्षिण (ग्लोबल साउथ) की भलाई के लिए भी प्रतिबद्ध है।

 

भारतीयता पर गर्व का आह्वान

अपने वीडियो संदेश में जयशंकर ने देशवासियों से भारतीय विरासत पर गर्व करने की अपील की। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति, परंपरा और प्रौद्योगिकी का संतुलन ही उसे वैश्विक समस्याओं का समाधान देने में सक्षम बनाता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत को अपनी प्रगति के दौरान अपनी भारतीयता नहीं खोनी चाहिए।

 

एसआईईएस अवॉर्ड और सम्मान

एस जयशंकर को इस समारोह में 27वें ‘एसआईईएस श्री चंद्रशेखरेन्द्र सरस्वती नेशनल एमिनेंस अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार कांची कामकोटि पीठम के 68वें द्रष्टा दिवंगत श्री चंद्रशेखरेन्द्र सरस्वती के नाम पर दिया जाता है। यह उनके योगदान और देश की विदेश नीति में उनकी भूमिका का सम्मान है।

 

निष्कर्ष

एस जयशंकर ने भारत की विदेश नीति को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई है। उनके नेतृत्व में भारत ने अपनी संप्रभुता को बनाए रखते हुए वैश्विक मंच पर सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई है। यह न केवल देश के लिए गर्व की बात है, बल्कि भविष्य में भारत की वैश्विक नेतृत्व की संभावनाओं को भी उजागर करता है।

 

चित्र साभार: गूगल